Food Archives - Healthy Sansaar https://healthysansaar.in/category/food/ SEE THE HEALTH THE WAY OUR ANCESTORS SAW Mon, 02 Sep 2024 16:28:47 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://i0.wp.com/healthysansaar.in/wp-content/uploads/2020/09/cropped-HEALTHY-SANSAAR-LOGO-2.png?fit=32%2C32&ssl=1 Food Archives - Healthy Sansaar https://healthysansaar.in/category/food/ 32 32 180658306 एमिनो एसिड – Amino acid in Hindi https://healthysansaar.in/%e0%a4%8f%e0%a4%ae%e0%a4%bf%e0%a4%a8%e0%a5%8b-%e0%a4%8f%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%a1-amino-acid-in-hindi/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%258f%25e0%25a4%25ae%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%25a8%25e0%25a5%258b-%25e0%25a4%258f%25e0%25a4%25b8%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%25a1-amino-acid-in-hindi https://healthysansaar.in/%e0%a4%8f%e0%a4%ae%e0%a4%bf%e0%a4%a8%e0%a5%8b-%e0%a4%8f%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%a1-amino-acid-in-hindi/#comments Fri, 10 Dec 2021 08:11:56 +0000 https://healthysansaar.in/?p=1284 एमिनो एसिड एक तरह का आर्गेनिक कम्पाउंड है। एमिनो एसिड में अमाइन तथा कार्बोक्सिल दोनों ही ग्रुप होते हैं। इस तरह यह कार्बन ,हाइड्रोजन ,ऑक्सीजन और नाइट्रोजन का बना होता है। 4 amino acids ऐसे भी हैं जिनमें सल्फर भी होते हैं। शरीर में विटामिन और खनिज की तरह एमिनो Read more…

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एमिनो एसिड

एमिनो एसिड एक तरह का आर्गेनिक कम्पाउंड है। एमिनो एसिड में अमाइन तथा कार्बोक्सिल दोनों ही ग्रुप होते हैं। इस तरह यह कार्बन ,हाइड्रोजन ,ऑक्सीजन और नाइट्रोजन का बना होता है। 4 amino acids ऐसे भी हैं जिनमें सल्फर भी होते हैं। शरीर में विटामिन और खनिज की तरह एमिनो एसिड की भी आवश्यकता होती है। जैसे प्रोटीन हमारे शरीर का बिल्डिंग ब्लॉक है उसी तरह amino acid प्रोटीन का बिल्डिंग ब्लॉक है। यह हमारे शरीर में स्टोर नहीं होता है ,इसलिए हमे इसे आहार के माध्यम से प्रतिदिन लेने की आवश्यकता होती है। शरीर में प्रोटीन सिंथेसिस के लिए सभी 20 प्रकार के एमिनो एसिड की आवश्यकता होती है। 

एमिनो एसिड के प्रकार / Types of Amino acid 

1. एसेंशियल एमिनो एसिड – Essential Amino acid 

2. नॉन एसेंशियल एमिनो एसिड – Non Essential Amino acid 

3. कंडिशनल एमिनो एसिड – Conditional Amino acid 

1. एसेंशियल एमिनो एसिड्स –

 एसेंशियल एमिनो एसिड्स वे होते हैं जो हमारे शरीर में नहीं बनते , इसके लिए हमे अपने भोजन पर निर्भर रहना होता है। 20 प्रकार के अमीनो एसिड्स में से  9 amino acids एसेंशियल एमीनो एसिड होते हैं। इनमें से 3 branched chain amino acid ( BCAA ) होते हैं। मांसपेशी के विकास में इनका महत्वपूर्ण भूमिका होता है। लिउसीन, आइसोलिउसीन और वैलिन BCAA हैं। 

9 एसेंशियल एमीनो एसिड्स हैं – 

  1. लिउसीन 
  2. आइसोलिउसीन 
  3. वैलिन 
  4. फिनाइलअलनीन 
  5. थ्रिओनिन 
  6. ट्रिप्टोफैन 
  7. मेथिओनीन 
  8. लायसीन 
  9. हिस्टीडीन 

2. नॉन एसेंशियल एमिनो एसिड्स –

 ये हमारे शरीर में भी बनते हैं और भोजन से भी मिलते हैं। इनकी संख्या 11 हैं –

  1. ग्लूटामिक एसिड 
  2. अलनीन 
  3. ग्लुटामिन 
  4. आर्जिनिन 
  5. एस्पाराजिन 
  6. ग्लैसिन 
  7. टाइरोसीन 
  8. एस्पार्टिक एसिड 
  9. सिस्टीन
  10. प्रोलीन 
  11. सेरीन 

3. कंडिशनल एमिनो एसिड – 

ये नॉन एसेंशियल अमीनो एसिड्स ही होते हैं पर कुछ विशेष परिस्थितयों में जैसे कि कोई बिमारी या गंभीर चोट लगने की अवस्था में शरीर इनका निर्माण उतना नहीं कर पाता  जितना कि शरीर को जरुरत होती है। ये हैं – आर्जिनिन , सिस्टीन ,टाइरोसीन ,ग्लुटामिन ,सेरिन और प्रोलिन। 

इस तरह 20 प्रकार के Amino acid से प्रोटीन बनता है। पाचन के वक्त खाया गया प्रोटीन एमिनो एसिड में टूट जाता है और हमारे ब्लड स्ट्रीम में पहुँच जाता है। 

मानव शरीर का 20 % हिस्सा प्रोटीन से बना होता है। शरीर की कई प्रक्रिया में प्रोटीन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कम्पलीट प्रोटीन बनने के लिए सभी 20 प्रकार के एमिनो एसिड की आवश्यकता होती है। शरीर की कोशिकाओं ,मांसपेशियों और उत्तकों का बड़ा हिस्सा अमीनो एसिड से बना होता है। अमीनो एसिड पोषक तत्वों के संरक्षण और उपयोग में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह शरीर के अंगों ,ग्रंथियों और धमनियों के कार्य पर भी प्रभाव डालता है। यह चोट के घाव और उत्तकों को ठीक करने का भी काम करता है। आगे लेख में इसके कार्य विस्तार से पढ़ते हैं। 

एमिनो एसिड के कार्य / एमीनो एसिड के फायदे / Benefits of Amino Acids 

फैट कम करने में मददगार 

शरीर से अतिरिक्त फैट कम करने में यह मदद करता है। यह पेट, कमर और कूल्हे से अतिरिक्त चर्बी कम करता है। लिउसीन , आइसोलिउसीन ,वैलिन और ग्लूटामिक एसिड वजन नियंत्रित करने में ज्यादा फायदेमंद है। 

सूजन कम करने में सहायक 

BCAA ( leucine , isoleucine and valine ) में सूजन कम करने के गुण होते हैं। यह मांसपेशियों और जोड़ो की सूजन कम करने में में मदद करता है। इस कारण यह गठिया , डायबिटीज और लिवर सम्बन्धी समस्याओं में होनेवाली सूजन से हमारा बचाव करता है। 

मांसपेशियों को नुकसान से बचाता है एमिनो एसिड  

जब हम अधिक शारीरिक कार्य करते हैं तो मांसपेशियों में खिंचाव आता है और मांसपेशियां टूटती भी हैं। यदि शरीर में पर्याप्त मात्रा में अमीनो एसिड होते हैं तो मांसपेशियों में होनेवाला यह नुकसान जल्दी ठीक हो जाता है। 

एमिनो एसिड मूड अच्छा रखता है 

मूड अच्छा रखने के लिए डोपामाइन ,टायरोसिन ,एपिनेफ्रीन जैसे न्यूरोट्रांस्मीटर्स तथा सेरोटोनिन हॉर्मोन की जरुरत होती है। फिनाइलअलनीन अमीनो एसिड न्यूरोट्रांस्मीटर्स के लिए अग्रदूत का कार्य करता है। ट्रिप्टोफैन अमीनो एसिड सेरोटोनिन हार्मोन के उत्पादन के लिए आवश्यक होता है। सेरोटोनिन हमारे भूख ,नींद और मूड को नियंत्रित करता है। 

थकावट दूर करने में सहायक 

शारीरिक कार्य करने से शरीर में ग्लाइकोजन कम होने लगता है। ग्लाइकोजन ऊर्जा का श्रोत होता है। इसके कम होने से हमे थकावट महसूस होती है। एमिनो एसिड युक्त आहार लेने से ग्लाइकोजन का स्तर बढ़ता है। यदि शरीर में पर्याप्त अमिनो एसिड हो तो शरीर धीमी गति से ग्लाइकोजन इस्तेमाल करता है तथा अधिक कार्य करने के बावजूद हमें थकान महसूस नहीं होती। 

मजबूत मांसपेशियों का निर्माण 

पर्याप्त एमीनो एसिड लेने वालों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। वर्कआऊट करनेवाले लोगों को अपने मांसपेशी के विकास के लिए ब्रांच्ड चेन अमीनो एसिड लिउसीन,आइसोलिउसीन और वैलिन की आवश्यकता होती है। उन्हें अपने प्रोटीन के माध्यम से इन अमीनो एसिड की पर्याप्त मात्रा लेना आवश्यक हो जाता है। यही कारण है कि जिम जाने वाले लोग BCAA युक्त प्रोटीन पाउडर लेते हैं। अंडा तथा चिकन में भी ये तीनो अमीनो एसिड मौजूद है। एनिमल प्रोटीन एसेंशियल अमीनो एसिड का मुख्य श्रोत होता है। 

एमिनो एसिड उपचार में सहायक 

हमारे शरीर का बिल्डिं ब्लॉक प्रोटीन होता है। प्रोटीन कोशिकाओं ,उत्तकों ,मांसपेशियों ,नाखूनों , बालों आदि के बनने के लिए महत्वपूर्ण होता है। जब तक सही मात्रा में एमिनो एसिड शरीर में नहीं होगा ,तब तक उत्तम गुणवत्ता वाले प्रोटीन भी नहीं बनेगा। वह प्रोटीन उत्तम होता है जिसमें सभी एसेंशियल अमीनो एसिड मौजूद होते हैं। यदि प्रोटीन उत्तम गुण वाला है तो शरीर की चोट ,घाव तथा बीमारी जल्दी ठीक हो जाती है। किसी भी सर्जरी तथा बीमारी के बाद शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए पर्याप्त अमीनो एसिड की आवश्यकता होती है। 

एमिनो एसिड हीमोग्लोबिन के बनने के लिए आवश्यक 

हीमोग्लोबिन भी एक प्रोटीन है और इसके बनने के लिए हिस्टीडीन ,वैलिन ,लाइसिन ,लिउसीन और फिनाइलअलानिन अमीनो एसिड की आवश्यकता होती है। 

एमिनो एसिड की कमी के लक्षण 

  • फोकस कम होने लगता है। टायरोसिन अमीनो एसिड की कमी होने से डोपामाइन और एपीनेफ्रीन जैसे न्यूरोट्रांस्मिटर्स की कमी हो जाती है। फलस्वरूप किसी भी चीज पर फोकस करना मुश्किल हो जाता है। 
  • अधिक काम की वजह से थकावट होना आम बात है पर प्रतिदिन ऐसा महसूस होने लगे तो यह अमीनो एसिड की कमी के कारण संभव है 
  • बिमारी के बाद रिकवरी जल्दी नहीं होना
  • मांसपेशियों में कमजोरी आने लगती है। अधिक शारीरिक कार्य करने से मांसपेशी के टिश्यू टूटते हैं। पर्याप्त अमीनो एसिड नहीं होने से यह उतनी तेज़ी से बन नहीं पाते ,जिससे मांसपेशी कमजोर होने लगती है
  • हीमोग्लोबिन का कम होना तथा इम्यून सिस्टम का कमजोर होना 
  • हमेशा कुछ न कुछ खाते रहने की इच्छा होना क्योंकि भूख की इच्छा को कण्ट्रोल करनेवाले न्यूरोट्रांस्मीटर्स अमीनो एसिड से बने होते हैं। एमिनो एसिड की कमी होने से अनहैल्दी फ़ूड , मीठा तथा कार्ब्स की तरफ ज्यादा ध्यान जाता है और खाने की तीव्र इच्छा होती है।
  • शरीर में स्टैमिना की कमी  होना तथा बहुत ज्यादा नींद आना 
  • बालों का भूरा होना ,बहुत ज्यादा झड़ना ,बालों का पतला होना तथा नाखून का कमजोर होना
  • वजन में अचानक कमी आने लगना 
  • पेट का अपसेट रहना तथा डायरिया का लक्षण दिखना 
  • त्वचा पर झाइयाँ होना तथा त्वचा में ढीलापन आना
  • जल्दी बुढ़ापा आना अर्थात एजिंग का तेज़ होना। 

अधिक एमिनो एसिड के साइड इफेक्ट्स 

  • पेट अफर जाता है और अपसेट होने लगता है। पेट में दर्द भी होता है साथ उलटी और दस्त की भी सम्भावना होती है।
  • शरीर में यूरिक एसिड का लेवल बढ़ने लगता है तथा गठिया रोग होने का चांस बढ़ जाता है 
  • किडनी पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है 
  • ब्लड प्रेशर में असमान्य तौर पर कमी आ जाती है 
  • खाने की आदत प्रभावित होती है 
  • लिवर भी प्रभावित होता है तथा प्रोटीन मेटाबोलिज्म पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे शरीर में टॉक्सिसिटी बढ़ती है। बहुत अधिक अमीनो एसिड लिवर सिरोसिस का भी कारण बनता है 

एमिनो एसिड के श्रोत / Sources of Amino Acid 

एमिनो एसिड प्रोटीन का बिल्डिंग ब्लॉक होता है। इसलिए जिस खाद्य पदार्थ से हमें प्रोटीन मिलता है उनसे हमें एमिनो एसिड भी मिलता है। लेकिन सभी खाद्य  पदार्थों में सभी अमीनो एसिड नहीं होते। हमारा शरीर भी प्रोटीन का संश्लेषण करता है और भोजन से भी प्रोटीन मिलते हैं। जिन खाद्य पदार्थों से ज्यादा प्रोटीन मिलता है उनसे अमीनो एसिड भी ज्यादा मिलता है।

 जैसे सोयाबीन प्रोटीन का उत्तम श्रोत है तो इसमें अमीनो एसिड भी ज्यादा होता है। सभी सब्जियां ,फल ,अनाज ,दालें ,दूध तथा अंडा ,मछली ,चिकन आदि में अमीनो एसिड होते हैं। सब्जी और फलों से कम मात्रा में अमीनो एसिड मिलता है जबकि बीन्स ,सीड्स ,अनाज ,दाल ,अंडा ,चिकन ,मछली ,मीट से ज्यादा मात्रा में एमिनो एसिड मिलते हैं।

 दूध में भी सभी एसेंशियल अमीनो एसिड मौजूद हैं। सोयाबीन और क्विनवा में सभी एसेंशियल अमीनो एसिड हैं और प्रचुर मात्रा में हैं। अंडा में भी सभी एसेंशियल एमिनो एसिड मौजूद हैं। कद्दू के बीज ,सूरजमुखी के बीज ,अलसी बीज ,चिया ,तिल आदि में एसेंशियल एमिनो एसिड की अच्छी मात्रा मौजूद होती है। 

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एसेंशियल अमीनो एसिड की प्रतिदिन लिये जाने वाले  मात्रा / Recommended Daily intake of Essential Amino Acid 

Essential Amino Acids Per Kg need 70 kg person 
Histidine / हिस्टीडीन 10 mg700 mg
Isoleucine /आइसोलिउसीन 20 mg1400 mg
Leucine / लिउसीन 39 mg2730 mg
Lysine / लायसीन 30 mg2100 mg
Methionine +cysteine / मेथिओनीन + सिस्टीन 15 mg1050 mg
Phenylalanine+Tyrosine / फिनाइलअलनीन + टाइरोसीन 25 mg1750 mg
Threonine / थ्रिओनिन 15 mg1050 mg
Tryptophan / ट्रिप्टोफैन4 mg280 mg
Valine / वैलिन 26 mg1820 mg

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अंडे खाने के फायदे / अंडा और डायबिटीज / Benefits of Egg in Hindi https://healthysansaar.in/%e0%a4%85%e0%a4%82%e0%a4%a1%e0%a5%87-%e0%a4%96%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-benefits-of-egg/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%2585%25e0%25a4%2582%25e0%25a4%25a1%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%2596%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25a8%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%25ab%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25af%25e0%25a4%25a6%25e0%25a5%2587-benefits-of-egg https://healthysansaar.in/%e0%a4%85%e0%a4%82%e0%a4%a1%e0%a5%87-%e0%a4%96%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-benefits-of-egg/#respond Sat, 20 Nov 2021 12:41:19 +0000 https://healthysansaar.in/?p=1269 अंडे खाने के फायदे को जानकर लोगों में इसकी तरफ आकर्षण बढ़ा है। अंडा जिसे मांसाहार की श्रेणी में रखा जाता था अब शाकाहार की श्रेणी में भी रखा जाने लगा है। अंडे के अंदर इतनी पौष्टिकता होती है कि इससे एक नया जीव उत्पन्न हो जाता है लेकिन जब Read more…

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अंडे खाने के फायदे

अंडे खाने के फायदे को जानकर लोगों में इसकी तरफ आकर्षण बढ़ा है। अंडा जिसे मांसाहार की श्रेणी में रखा जाता था अब शाकाहार की श्रेणी में भी रखा जाने लगा है। अंडे के अंदर इतनी पौष्टिकता होती है कि इससे एक नया जीव उत्पन्न हो जाता है लेकिन जब तक इसमें जीव बनने कि प्रक्रिया शुरू नहीं होती ,इसे शाकाहार मानना गलत नहीं होगा। वास्तव में अंडा समय की शुरुआत से ही हमारे आहार का हिस्सा रहा है। अंडे में मौजूद उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन और 9 एसेंशियल एमीनो एसिड की मौजूदगी ,इसे व्यायाम / एक्सरसाइज करने वालों की पहली पसंद बना देता है। इससे अंडे की लोकप्रियता और बढ़ गयी। यह आसानी से उपलब्ध होता है और इसे पकाने की विधि भी सरल होती है। बाहर पढ़ने गए बच्चे और घर में रह रहे बुजुर्ग माता – पिता सभी इसे आसानी से पका कर पौष्टिकता प्राप्त कर लेते हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि अंडे खाने के फायदे क्या है और इसमें किस तरह के पोषक तत्व मौजूद हैं। यह भी जानेंगे कि डायबिटीज और हार्ट डिजीज में अंडा खा सकते हैं या नहीं। 

अंडे में मौजूद पोषक तत्व / Nutritional content in Egg 

अंडे में मौजूद पोषक तत्व इसे हमारे लिए महत्वपूर्ण बनाते हैं। अंडे की पौष्टिकता मुर्गी को खिलाये जाने वाले खुराक पर भी निर्भर होती है। ओमेगा 3 की मात्रा बढ़ाने के लिए मुर्गी को अलसी बीज खिलाये जाते हैं। सामान्यतः एक अंडे में 125 mg ओमेगा 3 होता है पर अलसी बीज खिलाने से इसकी मात्रा 400 mg तक पहुँच जाता है। एक बढ़िया पोल्ट्री फार्म के अंडे से ज्यादा गुणवत्ता वाले अंडे मिलते हैं।

अंडे में उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन होते हैं। इसमें 9 एसेंशियल एमिनो एसिड्स होते हैं। ALA तथा DHA ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है। एंटीऑक्सीडेंट्स होने के साथ साथ 13 आवश्यक विटामिन्स और खनिज भी होते हैं। 

2 अंडे से हमे – 

प्रतिदिन की आवश्यकता का 82 % विटामिन D मिलता है 

प्रतिदिन की आवश्यकता का 50 % फोलेट मिल जाता है 

प्रतिदिन की आवश्यकता का 25 % विटामिन B 2 मिलता है 

प्रतिदिन की आवश्यकता का 40 % सेलेनियम मिलता है 

अंडे खाने के फायदे को समझने के लिए एक बड़े अंडे से प्राप्त होनेवाले पोषक तत्व की मात्रा देखते हैं 

Nutritional content of one large egg 

पोषक तत्व सम्पूर्ण अंडा /Whole egg अंडे का सफ़ेद भाग /Egg white अंडे का पीला भाग / जर्दी / Egg Yolk 
कैलोरी( kcal ) 751759
प्रोटीन ( gm )6.25 gm 3.52 gm 2.78 gm
टोटल लिपिड ( gm )5.0005.00
कार्बोहाइड्रेट ( gm )0.60.30.3
कोलेस्ट्रॉल ( mg ) 186 0186
फैटी एसिड ( gm)4.3304.33
सैचुरेटेड फैट ( gm )1.5501.55
मोनोअनसैचुरेटेड फैट (gm)1.9101.91
पाली अनसैचुरेटेड फैट (gm)0.6800.68
ओमेगा 3 ( mg )125 0125
थायमिन VB1(mg ) 0.0310.0020.028
राइबोफ्लेविन VB2 ( mg )0.254 0.1510.103
नियासिन VB3 ( mg )0.0360.0310.005
विटामिन B6 ( mg )0.0700.0010.069
फोलेट ( mcg )23.51.022.5
विटामिन B12 ( mcg )0.500.070.43
विटामिन A ( IU )317.50317.5
विटामिन E (mg )0.7000.70
विटामिन D ( IU) 24.5024.5
कोलिन ( mg )215.10.42214.6
बायोटिन ( mcg )9.982.347.58
कैल्शियम (mg )25223
आयरन (mg )0.720.010.59
मैग्नीशियम (mg)541
कॉपर ( mg )0.0070.0020.004
आयोडीन (mg )0.0240.0010.022
जिंक (mg )0.5500.52
सोडियम (mg )71 mg 55 
पोटैशियम ( mg )69 mg 54 19 
मैंगनीज ( mg )0.0120.0010.012

अंडे खाने के फायदे / Benefits of eating egg 

1. अंडे खाने से उच्चतम गुणवत्ता वाले प्रोटीन प्राप्त होते हैं 

अंडे खाने के फायदे में यह सबसे महत्वपूर्ण है कि इससे उच्चतम गुणवत्ता वाले प्रोटीन अच्छी मात्रा में प्राप्त होते हैं। प्रोटीन को जीवन का बिल्डिंग ब्लॉक माना जाता है। अंडे में मौजुद प्रोटीन की क्वालिटी की तुलना अन्य प्रोटीन से की जाए तो ,यदि अंडे से प्राप्त प्रोटीन की गुणवत्ता 93 % की कसौटी पर है तब दूध से प्राप्त प्रोटीन 83 % तथा मछली से प्राप्त प्रोटीन 76 % की कसौटी को प्राप्त करता है। एक अंडे से 6.25 gm प्रोटीन मिलता है। अंडे में प्रोटीन के साथ सभी 9 एसेंशियल एमिनो एसिड्स मौजूद हैं। इसी कारण अंडे से प्राप्त प्रोटीन की गुणवत्ता बढ़ जाती है।  एसेंशियल एमिनो एसिड्स और प्रोटीन मांसपेशी के निर्माण में सहायक होते हैं। अंडा इन्ही कारणों से वर्जिश करनेवाले और गठिला शरीर की चाह रखनेवालों की पहली पसंद होती है। नेशनल हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च कौंसिल के अनुसार महिलाओं को 46 ग्राम और पुरुषों को 64 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता प्रतिदिन होती है। इनके सेवन से मांसपेशियां मजबूत बनती हैं तथा व्यक्ति की स्टैमिना बढ़ती है। 

2. खून बढ़ाने में मददगार साबित होता है अंडा 

अंडे खाने के फायदे उनलोगों के लिए भी है जिनका हीमोग्लोबिन कम रहता है तथा लाल  रक्त कोशिकाओं की संख्या कम रहती है। अंडा में आयरन भी होता है और इसमें मौजूद आयरन हीम आयरन होता है। हीम आयरन शरीर में आसानी से अब्सॉर्ब हो जाता है। यद्यपि अंडे में फोसपोप्रोटीन होता है जो आयरन के अवशोषण को बाधित  करता है फिर भी यह हीमोग्लोबिन के निर्माण में सहायक होता है। क्योंकि अंडे में अच्छी मात्रा में फोलेट ,कॉपर और विटामिन B12 होते हैं। यह RBC के निर्माण में सहायता करते हैं। अंडे में ओमेगा 3 भी मौजूद है जो HDL कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। शरीर में स्स्वस्थ कोशिकाओं के निर्माण के लिए सही मात्रा में कोलेस्ट्रॉल का होना भी आवश्यक होता है। कोशिका झिल्ली की स्वस्थता कोलेस्ट्रॉल पर निर्भर करती है। सही कोलेस्ट्रॉल स्वस्थ RBC का निर्माण करता है। यदि आहार में उचित मात्रा में विटामिन सी ली जाये तो अंडा खून बढ़ाने में अपना योगदान देता है। जिन्हें आयरन की कमी रहती हो वे अंडे का सेवन अलग से करें , अपने मुख्य भोजन के साथ अंडा नहीं लें क्योंकि अंडा भोजन का 25 % आयरन अब्सॉर्प्शन रोक देता है। 

3. अंडे खाने के फायदे में विटामिन D की पूर्ति करना भी है 

अंडे की जर्दी ( पीला भाग ) में स्वाभाविक रूप से विटामिन D होता है। दो अंडे के सेवन से प्रतिदिन की आवश्यकता का 82 % विटामिन D प्राप्त होता है। 

विटामिन डी कैल्शियम और फॉस्फोरस के अवशोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

यह हमारे हड्डियों को मजबूत बनाने तथा दांतो के रख रखाव के लिए आवश्यक होता है। 

विटामिन डी मांसपेशियों की स्वस्थता और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी सहायता करता है। अच्छी इम्युनिटी के लिए सही मात्रा में विटामिन  डी का होना आवश्यक है। 

4. कोलिन का बढ़िया श्रोत है अंडा 

अंडे खाने के फायदे में एक महत्वपूर्ण कारण है इसमें मौजूद choline ( कोलिन ) . कोलिन एक प्रकार का विटामिन है और इसका निर्माण हमारे लिवर में भी होता है। लेकिन सभी का लिवर इतना सक्षम नहीं होता कि दैनिक आवश्यकता की पूर्ति कर सके। इसलिए कोलिन की दैनिक आवश्यकता की पूर्ति के लिए हमे यह भोजन से लेना पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे शिशु के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के विकास में कोलिन प्रभावशाली भूमिका निभाता है। यह बढ़ते हुए बच्चों में संज्ञानात्मक विकास ( cognitive development ) और बुजुर्गो में संज्ञानात्मक गिरावट को कम करने में मदद करता है। अंडा कोलिन का समृद्ध श्रोत है। एक अंडे से करीब 215 mg कोलिन प्राप्त होता है। कोलिन एक मजबूत कोशिका झिल्ली बनाने में मदद करता है ,यह DNA मिथइलेशन की प्रक्रिया में मदद करता है ,यह न्यूरोट्रांसमीटर acetylcholine के उत्पादन में भी मदद करता है। 

5. अंडे ओमेगा 3 के अच्छे श्रोत हैं 

ओमेगा 3 एक एसेंशियल फैटी एसिड है। यह पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड है। एक अंडे से करीब 125 mg ओमेगा 3 प्राप्त होता है। यह हमारे आँखों के लिए , मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए ,बेहतर ह्रदय स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होता है। ओमेगा 3 का सबसे बढ़िया श्रोत फैटी फिश होते हैं ,लेकिन जो मछली नहीं खा सकते उनके लिए अंडा एक अच्छा विकल्प है। फैटी फिश से ALA ,EPA तथा DHA तीनो ओमेगा 3 मिलता है जबकि अंडा से ALA तथा DHA मिलता है। चियाबीज ,अलसी बीज तथा अखरोट से केवल ALA ही मिलता है। अंडे से ज्यादा ओमेगा 3 प्राप्त करने के लिए पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों को अलसी बीज खिलाये जाते हैं। ऐसे मुर्गी के अंडे से करीब 400 mg ओमेगा 3 मिल जाता है। 

पढ़ें : ओमेगा 3 के फायदे 

6. अंडे खाने के फायदे आँखों के लिए 

अंडा खाने से हमारे आँख स्वस्थ रहते हैं। अंडे में विटामिन A , विटामिन E ,सेलेनियम ,ओमेगा 3 ,ल्यूटिन तथा जी ज़ैंथीन मौजूद हैं जो आँखों से जुडी समस्या को रोकने में मदद करते हैं। उम्र बढ़ने के साथ मैकुलर डिजनरेशन की परेशानी हो जाती है जिसमें आँखों की दृष्टि धीरे – धीरे कम होने लगती है। ल्यूटिन तथा जी ज़ैंथीन इसे रोकने में सहायक होता है। यह अंडे के पीले भाग यानि जर्दी में उपस्थित होता है। 

7. अंडे खाने के फायदे मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए 

अंडा ब्रेन के लिए अच्छा माना जाता है। गर्भवती महिला को अंडा खाने की सलाह दी जाती है ताकि गर्भ में पल रहे शिशु का मस्तिष्क बेहतर विकसित हो। अंडे में मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए विटामिन B12 ,विटामिन B6 ,ओमेगा 3 तथा कोलिन मौजूद होते हैं। नर्वस सिस्टम स्वस्थ रखने में कोलिन की अहम भूमिका होती है। इसके अतिरिक्त अंडे में अन्य महत्वपूर्ण खनिज ,एमिनो एसिड और विटामिन्स होते हैं ,जो नर्वस सिस्टम और स्वस्थ मस्तिष्क के रख रखाव में सहायक होते हैं। 

8. अंडे खाने के फायदे ह्रदय स्वास्थ्य के लिए  

लोगों को भ्रम है कि जिन्हें ह्रदय स्वस्थ रखना हो उन्हें अंडा नहीं खाना चाहिए क्योंकि अंडे में कोलेस्ट्रॉल होता है। यह सत्य है कि एक अंडे से करीब 185 mg कोलेस्ट्रॉल मिलता है फिर भी अंडा ह्रदय स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है। एक सप्ताह में 4 से 5 अंडा खाया जाये अर्थात एक दिन में एक से ज्यादा अंडा नहीं तो इसके फायदे बहुत हैं। एक रिसर्च में पाया गया कि जो प्रतिदिन एक अंडा खाते हैं उनमें हार्ट अटैक की सम्भावना 15 % तक कम जाती है। अंडे में ऐसे बहुत से पोषक तत्व हैं जो ह्रदय स्वाथ्य के लिए आवश्यक होते हैं। इसमें ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए पोटैशियम ,मैग्नीशियम ,ओमेगा 3 ,कोलिन ,विटामिन D ,फोलेट तथा सभी एसेंशियल एमिनो एसिड्स हैं। यह मेटाबोलिक सिंड्रोम की स्थिति में भी सुधर लाता है। जैसे इन्सुलिन रेसिस्टेन्स कम करना ,HDL कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि करना ,वजन कम करने में मदद करना तथा ट्राइग्लिसराइड का लेवल कम करना।  उबला अंडा और बिना तेल के पकाया गया अंडा बेहतर होता है। अंडे के पोषक तत्वों को बरकरार रखने के लिए अंडे को 80 % तक ही पकाकर खाना चाहिए। ज्यादा पकाने से कई पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। कच्चा अंडा नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसे कच्चा खाया जाये तो पेट में एक प्रकार का इन्फेक्शन होने की सम्भावना रहती है। 

9. अंडे खाने के फायदे गर्भावस्था में 

गर्भावस्था के दौरान अंडा खाने की सलाह दी जाती है। इसके सेवन से गर्भवती महिला में पोषक तत्वों की कमी नहीं होती तथा भ्रूण की विकास में मदद मिलता है। शिशु का जन्मदोष से बचाव होता है तथा मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी का विकास सही हो पाता है। यह सेरोटोनिन हार्मोन के उत्पादन में भी सहायता करता है। इसके सेवन से गर्भवती महिला का मानसिक स्वास्थ्य उत्तम रहता है।  सप्ताह में 4 से 5 अंडा खाया जाये तो पर्याप्त पोषण मिल जाता है। एक दिन में एक ही अंडा खाना चाहिए। 

10. अंडे खाने के फायदे त्वचा ,नाखून और बालों के लिए 

अंडे में कोलाजन उत्पादन बढ़ाने का गुण होता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स फ्री रेडिकल्स कम करते हैं तथा यह एंटी इंफ्लेमेटरी होता है। इसलिए अंडे के सेवन से झुर्रियां कम होती है ,त्वचा में कसाव आता है तथा त्वचा का लचीलापन बरक़रार रहता है। अंडे के सफ़ेद भाग का उपयोग फेस मास्क की तरह भी किया जाता है। अंडे में मौजूद विटामिन A ,विटामिन  E और बायोटिन बालों और नाखूनों को मजबूत बनाते हैं। अंडे के सेवन से बाल काळा और स्वस्थ रहते हैं। अंडे को हेयर मास्क में मिलाकर लगाया जाये तो बालों में नमी बानी रहती है तथा बालों में चमक आती है। 

11. अंडे में सभी एसेंशियल एमिनो एसिड्स मौजूद हैं 

प्रोटीन जो हमारे शरीर के बिल्डिंग ब्लॉक  हैं ,एमिनो एसिड्स से बनते हैं। 21 प्रकार के एमिनो एसिड का प्रयोग कर प्रोटीन का निर्माण होता है। इनमें से 9 एमिनो एसिड हमारा शरीर नहीं बनाता ,ये हमे भोजन से लेने होते हैं। इन्हें एसेंशियल एमिनो एसिड कहा जाता है। ऐसा प्रोटीन जिसमें ये सभी एसेंशियल एमिनो एसिड सही अनुपात में हो उच्चतम गुणवत्ता वाला प्रोटीन होता है। अंडे से प्राप्त प्रोटीन में ये सभी एसेंशियल एमिनो एसिड होते हैं। उत्तकों की मरम्मत करने ,ऊर्जा का उत्पादन करने ,रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने ,मांसपेशियों के बढ़ने ,शरीर की कार्यक्षमता बढ़ाने ,चर्बी कम करने ,पोषक तत्वों के अवशोषण के लिए ,सेरोटोनिन हॉर्मोन के उत्पादन के लिए एसेंशियल एमिनो एसिड की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त भी एसेंशियल एमिनो एसिड्स का  योगदान कई कार्यों में होता है। 

डायबिटीज में अंडा खाना चाहिए या नहीं ?

डायबिटीज में अंडा खाना अच्छा होता है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स और ग्लाइसेमिक लोड 1 से भी कम है। यह ब्लड में शुगर लेवल बिलकुल नहीं बढ़ाता है। एक अंडा खाया जाये तो बहुत प्रकार के पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। इससे सभी एसेंशियल एमिनो एसिड्स मिलते हैं तथा यह प्रोटीन का अच्छा श्रोत है। चूँकि अंडे के पीले वाले भाग में करीब 185 mg कोलेस्ट्रॉल होता है इसलिए एक अंडा ही एक दिन में खाना चाहिए। दो अंडा खाना चाहते हैं तो दूसरे अंडे का पीला भाग अर्थात जर्दी( yolk )  नहीं खाएं। यह हार्ट के लिए और ब्लड प्रेशर के लिए भी सुरक्षित है। इसमें अतिरिक्त नमक नहीं खाना चाहिए क्योंकि अंडे में सोडियम भी होता है। यह इन्सुलिन रेसिस्टेन्स कम करने में सहायक है ,आँखों के लिए भी अच्छा होता है,नर्वस सिस्टम के लिए भी बेहतर होता है  तथा मसल ग्रोथ के लिए भी उत्तम है। डायबिटिक पेशेंट को कई खाद्य पदार्थों से परहेज़ करना होता है ,ऐसे में अंडा सम्पूर्ण पोषण पाने का उत्तम श्रोत है। अंडा पकाने में तेल का प्रयोग कम से कम  करना चाहिए और 80 % तक पका हुआ अंडा खाना चाहिए।  इसके साथ हरी पत्तेदार सब्जी खाने से फाइबर की पूर्ति होती है क्योंकि अंडे में फाइबर बिलकुल नहीं होता। 

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इन्सुलिन रेसिस्टेन्स क्या होता है

ग्लाइसेमिक लोड और ग्लाइसेमिक इंडेक्स

डायबिटीज में खाया जाने वाला अनाज

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जामुन के फायदे और नुकसान / Jamun benefits in Hindi https://healthysansaar.in/%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a5%81%e0%a4%a8-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-%e0%a4%a8%e0%a5%81%e0%a4%95%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%a8-jamun-benefit-hindi/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%259c%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25ae%25e0%25a5%2581%25e0%25a4%25a8-%25e0%25a4%25ab%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25af%25e0%25a4%25a6%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%25a8%25e0%25a5%2581%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25b8%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25a8-jamun-benefit-hindi https://healthysansaar.in/%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a5%81%e0%a4%a8-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-%e0%a4%a8%e0%a5%81%e0%a4%95%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%a8-jamun-benefit-hindi/#respond Sat, 24 Jul 2021 12:28:58 +0000 https://healthysansaar.in/?p=1186 जामुन गर्मी के मौसम में आम के साथ आनेवाला फल है। जामुन का स्वाद बिलकुल अनोखा थोड़ा कसैला और थोड़ा मीठा होता है। यह अंडाकार होता है। कच्चा जामुन हरे रंग का और पकने पर जमुनी रंग और काले रंग का होता है। जामुन का फल ,बीज ,पत्ते ,छाल सभी Read more…

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जामुन के फायदे और नुकसान

जामुन गर्मी के मौसम में आम के साथ आनेवाला फल है। जामुन का स्वाद बिलकुल अनोखा थोड़ा कसैला और थोड़ा मीठा होता है। यह अंडाकार होता है। कच्चा जामुन हरे रंग का और पकने पर जमुनी रंग और काले रंग का होता है। जामुन का फल ,बीज ,पत्ते ,छाल सभी औषधीय होते हैं। इसका पेड़ आम के पेड़ की तरह बड़े बड़े करीब 60 फीट से 100 फीट तक ऊंचाई का होता है। इसमें एक वर्ष में एक बार फल आता है। जामुन के फायदे सालों भर लिए जा सकते हैं। इसके लिए इसके बीज का चूर्ण ,जामुन का सिरका ,पके जामुन को सूखाकर बनाया गया चूर्ण बाजार में उपलब्ध है। इसकी पत्तियों और छाल का प्रयोग वर्ष भर किया जा सकता है। 

जामुन को अंग्रेजी में Indian blackberry कहते हैं। इसका बोटैनिकल नाम Syzygium cumini है। यह Myrtaceae फैमिली का है। जामुन को अनेक नामों से जाना जाता है। 

संस्कृत –   राजजम्बु ,महाफला , जम्बू 

उर्दू    –     जामन 

माराठी  –   जाम्बूल 

गुजराती –   जाम्बु , झम्बूडी 

बंगाली   –   जाम , काला जाम 

तमिल   –    नवल , सम्बल 

तेलुगु    –    जम्बूवू 

जामुन में मौजूद पोषक तत्व / Nutritional value of Jamun 

पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम 
पानी 84 gm 
ऊर्जा 251 kcal
कार्बोहाइड्रेट 14 gm
फाइबर 0.6 gm
फैट 0.23 gm
प्रोटीन 0.995 gm
विटामिन B1 0.019 mg
विटामिन B2 0.009 mg
विटामिन B3 0.245 mg
विटामिन B6 0.038 mg
विटामिन C 11.85 mg
कैल्शियम 11.65 mg
आयरन 1.41 mg
मैग्नीशियम 35 mg
फॉस्फोरस 15.9 mg
पोटैशियम 55 mg
सोडियम 26.2 mg
GI 25
GL 4

जामुन के पोषक तत्वों की मात्रा में काफी अंतर पाया गया है। कुछ स्टडी के अनुसार जो पोषक तत्वों की मात्रा बताई गयी वो 100 ग्राम जामुन के पल्प की बताई गयी है। कुछ स्टडी में 100 ग्राम ( whole jamun with seed )साबुत जामुन में मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा बताई गयी है। यहाँ बीज के पोषक तत्वों की मात्रा को साथ में नहीं लिया गया। कुछ जामुन में पल्प ज्यादा होता है ,कुछ में कम। इसलिए भी पोषक तत्वों की मात्रा में अंतर आ जाता है। 

जामुन के फायदे / Jamun benefits in Hindi

जामुन  के फायदे हीमोग्लोबिन बढ़ाने में 

जामुन में आयरन की मात्रा अच्छी है। 100 ग्राम जामुन से करीब 1.41 mg आयरन मिलता है। इसमें विटामिन C की भी मौजूदगी है। यह आयरन के अब्सॉर्प्शन के लिए आवश्यक तत्व है। इस तरह जामुन खाकर हीमोग्लोबिन बढ़ाया जा सकता है। जामुन के बीज में भी आयरन की अच्छी मात्रा है। जो लोग इसके बीज का चूर्ण खाते हैं ,उनमें भी hb सही रहता है। हीमोग्लोबिन की सही मात्रा रहने से ऑक्सीजन का फ्लो शरीर में सही रहता है। 

जामुन के फायदे हृदयस्वास्थ्य के लिए 

ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए पोटैशियम ,कैल्शियम और मैग्नीशियम तीनो की आवश्यकता होती है। जामुन में ये तीनो तत्व मौजूद हैं। पोटैशियम ब्लड प्रेशर मेन्टेन करके रखता है। साथ ही जामुन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स फ्री रेडिकल्स को न्यूट्रलाईज़ कर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम करता है। कैल्शियम हार्ट मसल्स को कॉन्ट्रैक्ट करने के लिए स्टिमुलेट करता है तथा मैग्नीशियम उन मसल्स को रिलैक्स करने में मदद करता है। इस तरह कैल्शियम और मैग्नीशियम हार्ट बीट मेन्टेन करके रखते हैं।  

जामुन के फायदे इनफ्लामेशन में 

इनफ्लामेशन की स्थिति में त्वचा में जलन होती है ,त्वचा लाल रंग का हो जाता है और यह सूज भी जाता है। इसमें दर्द भी रहने लगता है। जामुन में मौजूद विटामिन्स ,मिनरल्स और इसका एंटी इंफ्लैमटरी गुण इसे इस लायक बनाते हैं कि इसके सेवन से इनफ्लामेशन भी कम होता है और अलसर की समस्या हो तो वो भी ठीक हो जाती है। इसके इसी गुण के कारण इसे कैंसर के लिए भी उपयोगी बताया जाता है। 

जामुन के फायदे आँखों और त्वचा के लिए 

जामुन में विटामिन A की अच्छी मात्रा है जो हमारे आँखों के लिए अच्छा होता है। इसमें एंटी इनफ्लामेटरी गुण ,एंटी माइक्रोबियल गुण और विटामिन C होते हैं। इस कारण यह त्वचा के लिए बहुत अच्छा होता है। जिन लोगों को सफ़ेद दाग हैं उनके लिए जामुन बहुत फायदेमंद है। जामुन का पेस्ट सफ़ेद दाग पर लगाने से दाग हलके होने लगते हैं। नियमित तौर पर यह पेस्ट लगाने से थोड़े समय बाद यह दाग पूरी तरह से ठीक भी हो सकता है।

जामुन तथा जामुन की गुठली में एंटीबैक्टीरियल गुण 

जामुन तथा इसके बीज में एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण होते हैं। त्वचा को संक्रमित करने वाले बैक्टीरिया जैसे Escherichia coli ,Staphylococcus aureus ,Bacillus subtilis के ग्रोथ को जामुन रोक देता है। जामुन का एक्सट्रेक्ट कुछ फंगल ग्रोथ को भी रोक देता है। जामुन तथा इसके बीज के सेवन से त्वचा रोग ठीक होता है। इसके पेस्ट को संक्रमित जगह पर लगाने से भी फायदा होता है। 

जामुन तथा जामुन की गुठली के फायदे डायबिटीज में  

जामुन का गुदा तथा जामुन का बीज दोनों ही डायबिटीज में फायदेमंद होते हैं। जामुन का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 25 और ग्लाइसेमिक लोड 4 है। इसलिए यह डायबिटीज में खाया जाने वाला फल है। जामुन के पत्ते तथा इसके छाल में भी एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते हैं। जामुन के सीजन में इसके फल का सेवन काला नमक या सेंधा नमक के साथ किया जाता है। 

यह रक्त में शुगर लेवल बढ़ने नहीं देता। इसके बीज का चूर्ण खाने से बार -बार प्यास लगना और बार – बार पेशाब आने की समस्या में लाभ मिलता है। जामुन के बीज का चूर्ण एक बार में 3 ग्राम ली जाती है। इसे सुबह और शाम के खाने के बाद लेना ज्यादा अच्छा होता है। यह स्टार्च को शुगर में कन्वर्ट नहीं होने देता बल्कि इसे एनर्जी में कन्वर्ट कर देता है। इस कारण रक्त में शुगर का लेवल नहीं बढ़ पाता। ऐसा इसमें मौजूद अल्कालॉइड्स के कारण होता है। 

यह इन्सुलिन का सेक्रेशन भी बढ़ा देता है। इसका प्रभाव डायबिटीज की दवा से भी ज्यादा अच्छा देखा गया है। जामुन के पत्ते को उबालकर इसका चाय पीने से भी मधुमेह में लाभ मिलता है। जामुन के बीज का चूर्ण विटामिन्स ,मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं। यह डायबिटीज के साथ आनेवाली समस्या जैसे आँखों की समस्या ,इनफ्लामेशन की समस्या में भी लाभ पहुंचाते हैं। 

जामुन पेट की समस्या में उपयोगी 

जामुन खाने से पेट की समस्या ठीक होती है। जब जामुन का मौसम नहीं हो तो इसके बीज और छाल का उपयोग करके भी पेट की समस्या दूर की जा सकती है। छाल को उबालकर उसका पानी पीने से पेट दर्द ठीक होता है। गैस की समस्या  में भी यह फायदेमंद है। अपच ,पेचिस ,डायरिया में भी जामुन के बीज तथा छाल का प्रयोग लाभप्रद होता है। 

जामुन पथरी में उपयोगी 

15 दिन भी जामुन खा लिया जाये तो पथरी गल कर बाहर निकल जाती है। जामुन का मौसम नहीं रहने पर इसके बीज के चूर्ण का प्रयोग किया जाता है। किडनी की पथरी तथा किडनी की अन्य समस्या में दही में जामुन के बीज का चूर्ण मिलाकर सेवन किया जाता है। 

मुख स्वास्थ्य में जामुन की पत्तियां उपयोगी 

जामुन की पत्तियों को उबालकर उस पानी से कुल्ला करने पर मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है ,मसूड़े स्वस्थ होते हैं तथा सूजन भी ठीक होती है।इस पानी से कुल्ला करने पर मुंह के छाले भी ठीक होते हैं। छालों पर पत्तियों का पेस्ट या जामुन के बीज के चूर्ण का पेस्ट लगाने से भी छाले ठीक होते हैं। पत्तियों को जलाकर उसके राख में नमक मिलाकर मंजन करने से दांत की समस्या और पायरिया ठीक होती है। मसूड़े भी स्वस्थ होते हैं। 

जामुन के फायदे लिवर के लिए 

लिवर की एक समस्या है कोलेस्टेसिस ,जिसमें बाइल जूस /पित्त का प्रवाह कम हो जाता है या रुकावट आ जाती है। इससे पेट में दर्द रहने लगता है। त्वचा का रंग पीला हो जाता है ,आँखों में पीलापन दीखता है ,शरीर में खुजली होती है ,पेशाब का रंग गहरा हो जाता है ,भूख  नहीं लगती तथा मतली भी आती रहती है। इस स्थिति में जामुन तथा जामुन का बीज बहुत प्रभावी होता है। स्टडी में भी इसका प्रभाव देखा गया है। यह संभव हो पाता है जामुन में मौजूद anthocyanin बायोएक्टिव कंपाउंड के कारण। जामुन का सिरका भी लिवर के लिए अच्छा होता है। 

जामुन के फायदे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में 

जामुन में विटामिन A ,विटामिन C ,विटामिन B6 ,आवश्यक मिनरल्स तथा एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। यह एंटीबैक्टीरियल ,ऐंटिफंगल ,एंटी वायरल ,एंटी इनफ्लामेटरी होता है। इस कारण इसका सेवन हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। जामुन के मौसम में जामुन अवश्य खाना चाहिए। यह याददाश्त तेज़ करता है तथा यौन क्षमता बढाने का भी काम करता है। 

जामुन फायदेमंद यदि बच्चे बिस्तर पर पेशाब करते हैं 

यदि बच्चों को बिस्तर पर पेशाब करने की समस्या हो तो जामुन के बीज का चूर्ण 2 ग्राम सुबह और 2 ग्राम शाम में शहद के साथ देने से लाभ मिलता है। बड़ों को भी ऐसी समस्या हो तो वह जामुन के बीज का चूर्ण पानी के साथ ले सकते हैं। 

जामुन खाने का नुकसान 

यदि अधिक मात्रा में जामुन खायी जाये तो पेट की समस्या हो सकती है। शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है। अधिक मात्रा में जामुन या जामुन के बीज का चूर्ण लेना फेफड़ों के लिए अच्छा नहीं होता। वैध के अनुसार एक बार में 3 ग्राम जामुन के बीज का चूर्ण लेना सुरक्षित रहता है। ज्यादा लेने से कफ तथा वात सम्बन्धी समस्या बढ़ जाती है। जामुन को नमक के साथ खाना फायदेमंद बताया जाता है। 

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करेला के फायदे तथा नुकसान 

मेथी के फायदे तथा नुकसान 

गिलोय के फायदे 

हल्दी के फायदे तथा नुकसान 

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करेला के फायदे और नुकसान / Bitter Gourd benefits in Hindi https://healthysansaar.in/%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a5%87%e0%a4%b2%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-bitter-gourd-benefits/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25b0%25e0%25a5%2587%25e0%25a4%25b2%25e0%25a4%25be-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%25ab%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25af%25e0%25a4%25a6%25e0%25a5%2587-bitter-gourd-benefits https://healthysansaar.in/%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a5%87%e0%a4%b2%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-bitter-gourd-benefits/#respond Thu, 15 Jul 2021 10:23:29 +0000 https://healthysansaar.in/?p=1176 करेला के फायदे से हम सभी अवगत हैं ,इसलिए इसके कड़वे स्वाद के बावजूद इसे हम सब्जियों में महत्वपूर्ण स्थान देते हैं। बचपन में हम करेला खाना पसंद नहीं करते ,लेकिन जैसे जैसे हमारी उम्र बढ़ती है ,इसका स्वाद भी पसंद आने लगता है। इसकी गुणों से भी हमारी पहचान Read more…

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करेला के फायदे से हम सभी अवगत हैं ,इसलिए इसके कड़वे स्वाद के बावजूद इसे हम सब्जियों में महत्वपूर्ण स्थान देते हैं। बचपन में हम करेला खाना पसंद नहीं करते ,लेकिन जैसे जैसे हमारी उम्र बढ़ती है ,इसका स्वाद भी पसंद आने लगता है। इसकी गुणों से भी हमारी पहचान हो जाती है। करेला खून साफ करता है ,रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और डायबिटीज में यह बहुत फायदेमंद है। इतना तो हम सभी जानते हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि करेले के पोषक तत्व और करेला के फायदे तथा नुकसान क्या है।

करेला क्या है ? What is Bitter Gourd or Bitter Melon ?

करेला के फायदे और नुकसान

करेला एक बेल है ,जिसके फल को सब्जी के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। इसका स्वाद कड़वा होता है। इसका रंग हलके हरे रंग से गहरे हरे रंग के बीच होता है। करेला को इंग्लिश में Bitter Gourd और Bitter Melon कहते हैं। करेला का बोटैनिकल नाम Momordica charantia है। यह कुकुरबिटेसी फैमिली का सदस्य है। इसे अन्य भाषाओं में करैला ,करईला ,करेली ,करेना ,कालरा ,काकरल ,करंट आदि नामों से भी जाना जाता है। यह अफ्रीका ,कैरेबियन ,भारत और मध्य पूर्वी देशों में बहुत लोकप्रिय है। 

करेला में मौजूद पोषक तत्व / Nutritional Content of Bitter Gourd 

पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम 
ऊर्जा 17 kcal 
कार्बोहाइड्रेट 3.70 gm 
प्रोटीन 1 gm 
टोटल फैट 0.17 gm
कोलेस्ट्रॉल 0 mg
डाइटरी फाइबर 2.80 gm
थायमिन ( विटामिन B1 )0.04 gm
फोलेट ( विटामिन B9 )72 mcg
नियासिन ( विटामिन B3 )0.4 mg
पैंटोथेनिक एसिड 0.212 mg
पायरीडॉक्सीन ( विटामिन B6 )0.043 mg
राइबोफ्लेविन ( विटामिन B2 ) 0.040 mg
विटामिन A 471 IU
विटामिन C 84 mg
सोडियम5 mg
पोटैशियम 296 mg
कैल्शियम 19 mg
कॉपर 0.034 mg
आयरन 0.43 mg
मैग्नीशियम 17 mg
मैंगनीज 0.089 mg
जिंक 0.80 mg

इसके अतिरिक्त इसमें बीटा कैरोटीन ,एल्फा कैरोटीन ,लिउटीन तथा जी जैंथिन भी होते हैं। यह लिनोलेनिक एसिड ( ओमेगा 6 फैटी एसिड ) और ओलिक एसिड ( ओमेगा 9 फैटी एसिड ) का भी अच्छा श्रोत है। करेले में एंटी इंफ्लेमेटरी ,एंटी फंगल ,एंटी वायरल ,एंटी बैक्टीरियल ,एंटी एलर्जिक और एंटी पैरासिटिक गुण भी होते हैं। यह गर्मी में मिलनेवाला सब्जी है। इसकी तासीर ठंढी होती है। 

करेला  के फायदे संक्षेप में 

  • करेला रक्त साफ करता है 
  • यह डायबिटीज में बहुत फायदेमंद होता है 
  • यह पेट के लिए भी बहुत अच्छा होता है ,कब्ज और बवासीर से छुटकारा दिलाता है 
  • मुंह के छाले को ठीक करता है 
  • माताओं में यह दूध की सप्लाई को बढ़ाता है 
  • पेट के कीड़े को खत्म कर पेट की सफाई करता है। 

करेला के फायदे / karela ke fayde in Hindi / Benefits of Karela in Hindi 

करेला के फायदे डायबिटीज में / Benefits of Karela in diabetes 

करेला में ऐसे कई बायोएक्टिव कम्पाउण्ड मौजूद है जो इसे डायबिटीज के लिए उपयुक्त बनाते हैं। इसे अध्ययन के द्वारा साबित किया जा चूका है। इसके एंटी डायबिटिक प्रभाव को पूरा विश्व स्वीकार करता है। इसके सपोर्ट में कई रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं। करेला में चेरान्टिन सब्सटांस होता है , जो एंटीडायबिटिक गुण को दर्शाता है। यहाँ तक कि इसका प्रभाव डायबिटीज में लिए जाने वाले दवा tolbutamide से भी ज्यादा है। इसके अतिरिक्त इसमें अन्य कम्पाउण्डस हैं जैसे -पॉलीपेप्टाइड ,vicine , glycosides ,saponins इत्यादि। यह पैंक्रियास में बीटा कोशिकाओं को regenerate करता है। यह इन्सुलिन के उत्पादन को बढ़ाता है। यह इन्सुलिन रेसिस्टेन्स भी कम करता है। इसे टाइप -1 और टाइप – 2 दोनों तरह के डायबिटीज में फायदेमंद बताया जाता है। फिर भी इसे मेडिसिन मानकर इस पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। डॉक्टर की सलाह लेकर उचित दवा लेनी चाहिए और करेला भी डाइट में शामिल करना चाहिए। जिन्हें प्रीडायबिटीज है ,वे इसका नियमित सेवन कर डायबिटीज के जोखिम से बच सकते है। 

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करेला लिवर को स्वस्थ रखने में फायदेमंद / Karela benefits for liver 

चूहों पर किये गए स्टडी में पाया गया है कि यह लिवर को स्वस्थ रखने का काम करता है। इसका प्रभाव फैटी लिवर में भी देखा गया है। यह लिवर में फैट जमने से भी रोकता है। इसके सेवन से लिवर में एंजाइम ज्यादा बनता है। इस कारण इसे रात में नहीं खाना चाहिए। रात में करेले का सेवन लिवर की समस्या बढ़ा सकता है। अलकोहल के कारण हुए फैटी लिवर और सूजन में यह बहुत असरकारी है। इसके सेवन से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होता है तथा सूजन भी कम होता है। 

करेला कोलेस्ट्रॉल  कम करने में फायदेमंद / Karela lowers cholesterol 

करेला में फाइबर की अच्छी मात्रा है तथा इसमें एंटी ऑक्सीडेंट्स और बायोटिक कम्पाउण्डस भी है जो कोलेस्ट्रॉल कम करने में उपयोगी होता है। इसके सेवन से लिपिड मेटाबोलिज्म में भी बढ़ोतरी होती है। चूहों पर किये गए अध्ययन में चूहों को करेले के अर्क का सप्लीमेंट दिया गया। इससे उनके कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड में कमी पायी गयी। 

करेला के फायदे कब्ज और बवासीर में / Karela benefits in Piles 

करेला में फाइबर की अच्छी मात्रा है तथा इसमें भोजन पचाने का भी गुण होता है। यह मल को नरम बनाकर मल त्यागना आसान बना देता है। इसमें करेले के पत्ते का रस भी उपयोगी होता है। करेले की जड़ को घिसकर मस्सों पर लेप करने से बवासीर में लाभ मिलता है। करेले के पत्ते के रस ( 10 – 15 ml ) में शहद मिलाकर पिलाने से जलोदर रोग में लाभ मिलता है। जलोदर रोग में पेट में पानी भर जाता है और पेट फूल जाता है। 

करेला के फायदे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में / Karela benefits for improving immune system 

करेला में विटामिन C तथा विटामिन A की अच्छी मात्रा मौजूद है ,साथ ही इसमें कई आवश्यक मिनरल्स और प्लांट कंपाउंड्स हैं जो हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करते हैं। जरुरी नहीं है इसके लिए प्रतिदिन करेले की सब्जी ही खायी जाये। करेले के टुकड़े को पानी में उबालकर उसका चाय भी पिया जा सकता है। इसी तरह इसके पत्ते को भी उबालकर चाय पिया जा सकता है। 

करेला आंत के कीड़े को ख़त्म करने में उपयोगी / Karela for intestinal worm 

करेले में अन्थेलमिंटिक कम्पाउंड पाए जाते हैं , जो आंत में पनप रहे हानिकारक कीड़ों को नष्ट करते हैं। यह उन्हें नष्ट करने के साथ – साथ उन विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का भी काम करते हैं। इसके लिए 10 – 15 ml पत्ते का रस सुबह सुबह एक सप्ताह तक पीना चाहिए। करेले के बीज को पीसकर 2 – 3 gm चूर्ण खाने से भी लाभ मिलता है। 

करेला के फायदे वजन कम करने में / Karela benefits in weight loss 

करेले में एंटी ऑक्सीडेंट्स , फाइटो नुट्रिएंट्स और फाइबर होते हैं ,जो वजन घटाने में सहायक हैं। इसमें कैलोरी बहुत ही कम और कोलेस्ट्रॉल बिलकुल नहीं होता। यह कार्बोहाइड्रेट के मेटाबोलिज्म को बढ़ाकर शरीर में एकत्रित फैट की मात्रा को कम करता है। न्युट्रिशन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक इसके बीज का तेल शरीर में फैट के जमने की प्रक्रिया को कम कर देता है। 

करेला सूजन कम करने में फायदेमंद / Karela benefits in inflammation 

करेले में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं ,इसलिए इसके सेवन से शरीर में हुए सूजन में कमी आती है। जोड़ों के दर्द में राहत के लिए करेले के पत्ते को पीसकर लेप लगाया जाता है। साथ ही तिल के तेल में करेले के बीज का तेल मिलाकर मालिश करने से दर्द में राहत मिलता है। 

करेला बुखार में फायदेमंद / Benefits of Karela in fever 

बुखार में करेले की उबली हुई सब्जी खाना ,करेले की चाय या करेला के पत्ते की चाय पीना लाभदायक होता है। इसमें एंटी वायरल ,एंटीबैक्टीरियल ,एंटी फंगल ,एंटी पैरासिटिक गुण होते हैं। बुखार का कारण इनमें से कुछ भी हो सकता है। करेले का सेवन इन माइक्रोब्स को नष्ट कर बुखार ठीक करता है। इसमें अनेक विटामिन्स और मिनरल्स भी होते है जो कमजोरी को दूर करने में मदद करते हैं। 

करेला त्वचा के लिए फायदेमंद / karela benefits for skin 

करेला का नियमित सेवन किया जाये तो त्वचा स्वस्थ रहता है। करेला में रक्त तथा लिवर को शुद्ध करने का गुण होता है। इससे फोड़े फुंसी ठीक होते हैं तथा त्वचा में चमक आती है। इसमें विटामिन C तथा विटामिन A के साथ साथ अन्य शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट्स है जो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को कम कर देते हैं ,झुरिर्यों को रोकने में मदद करते हैं तथा सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणों से भी बचाते हैं। 

करेला के फायदे आँखों के लिए / Karela benefits for eye 

करेला में आँखों के लिए आवश्यक तत्व विटामिन A तथा बिटा कैरोटीन होता है। इसमें ओमेगा 6 फैटी एसिड्स भी होते हैं ,लिउटीन तथा जी ज़ैंथीन भी होते हैं। यह सभी आँखों को स्वस्थ रखने , सूजन कम करने ,मैक्यूलर डिजनरेशन कम करने तथा मोतियाबिंद के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं। यह आँखों को ड्राई होने से भी बचाता है। इसके लिए करेला के बीज को भी खाना चाहिए। 

करेला दूध पिलाने वाली माताओं के लिए उपयोगी 

करेला में पोषक तत्वों की भरपूरता है। इसमें ऐसे भी गुण होते हैं जो माताओं के स्तन में दूध की सप्लाई को बढ़ाते हैं। इसके लिए करेला की सब्जी खानी चाहिए या करेला के पत्तों को उबालकर उसका पानी पीना चाहिए। 

करेला मुंह के छाले और तलवे की जलन में फायदेमंद 

करेला के पत्ते को पीसकर इसका लेप तलवे पर लगाने से तलवे का जलन शांत होता है। छालों पर यह लेप लगाने से छाले ठीक होते हैं और फोड़े फुंसी पर यह लेप लगाने से फोड़े फुंसी ठीक होते हैं। इसके पत्तों में एंटी इंफ्लेमेटरी तथा एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं और यह ठंढा भी होता है। इस कारण यह इन समस्याओं में लाभकारी है। 

करेला के नुकसान / Side effect of karela 

  • करेला के अधिक सेवन से पेट सम्बन्धी समस्या उत्पन्न हो सकती है 
  • स्तनपान कराने वाली माताओं को भी करेला अल्प मात्रा में ही खाना चाहिए 
  • जो डायबिटीज की दवा ले रहे हैं उन्हें अपने शुगर लेवल की जाँच करते रहना चाहिए क्योंकि करेले में भी शुगर लेवल कम करने का गुण है। यह इन्सुलिन का लेवल भी बढ़ाता है। संभव है ब्लड में शुगर लेवल आवश्यकता से कम हो जाये। 
  • गर्भवती महिलाओं को कम मात्रा में करेला खाना चाहिए। इसमें कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो गर्भपात का कारण बन सकते हैं। इस पर शोध हुआ है और इसकी पुष्टि भी की गयी है। पुराने समय में करेले के बीज का प्रयोग गर्भ गिराने के लिए किया जाता था। 

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केला के फायदे सम्पूर्ण स्वास्थ्य में / Benefits of Banana in Hindi https://healthysansaar.in/%e0%a4%95%e0%a5%87%e0%a4%b2%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-benefits-of-banana-in-hindi/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2587%25e0%25a4%25b2%25e0%25a4%25be-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%25ab%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25af%25e0%25a4%25a6%25e0%25a5%2587-benefits-of-banana-in-hindi https://healthysansaar.in/%e0%a4%95%e0%a5%87%e0%a4%b2%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-benefits-of-banana-in-hindi/#respond Sun, 13 Jun 2021 10:06:31 +0000 https://healthysansaar.in/?p=1085 केला के फायदे / Kela ke fayde –  केला के फायदे से अनजान कोई नहीं है। इसके कुछ फायदे तो सभी को पता है। एक तो यह महंगा नहीं है ,साथ ही एक या दो केले खरीद कर भी अपनी भूख मिटाई जा सकती है। यह आसानी से सभी जगह Read more…

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केला के फायदे

केला के फायदे / Kela ke fayde – 

केला के फायदे से अनजान कोई नहीं है। इसके कुछ फायदे तो सभी को पता है। एक तो यह महंगा नहीं है ,साथ ही एक या दो केले खरीद कर भी अपनी भूख मिटाई जा सकती है। यह आसानी से सभी जगह मिल जाता है। शायद ही कोई फल इसके जितना लोकप्रिय हो। यह हर मौसम में मिलनेवाला सदाबाहर फल है। इसकी किस्में / वैरायटी अनगिनत है। दक्षिण भारत के केले अलग किस्म के होते हैं तो उत्तर भारत के केलो में भी बहुत किस्में होती हैं। यह चाहे किसी भी प्रदेश का हो ,होता है स्वादिष्ट और पौष्टिकता से भरपूर। अपने रंग से आकर्षित करने वाला केला अनगिनत तरीकों से फायदा पहुंचाता है।

केला के फायदे संक्षेप में

  • केला वजन घटाने में मदद करता है
  • आँखों के लिए भी फायदेमंद है
  • यह ह्रदय को स्वस्थ रखता है 
  • यह तनाव कम करता है तथा अच्छी नींद लाने में सहायक है।
  • आंत के अल्सर में आराम दिलाता है।
  • एनीमिया रोग दूर करने में मदद करता है 
  • केला इलेक्ट्रोलाइट्स की पूर्ति करता है। 

केला में मौजूद पोषक तत्व / Nutritional content of Banana / Nutritional value of Banana 

केला में कार्बोहाइड्रेट ,प्रोटीन ,फाइबर ,विटामिन A ,विटामिन C ,विटामिन E ,विटामिन K ,मैग्नीशियम ,कैल्शियम ,कॉपर ,आयरन ,मैंगनीज ,पोटैशियम ,फॉस्फोरस ,जिंक ,सेलेनियम तथा विटामिन B के कई विटामिन्स मौजूद होते हैं। इसके अतरिक्त इसमें कई प्लांट कंपाउंड्स जैसे कि गैलिक एसिड , कैटेचिन ,एपिकैटेचिन्स ,टैनिन्स और अन्थोसैनिन्स भी होते हैं। इन प्लांट कंपाउंड्स में एंटीऑक्सीडेंट्स प्रॉपर्टीज होती हैं। 

केला में मौजूद पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम केला 
पानी 75 %
एनर्जी /ऊर्जा 89 kcal
कार्बोहाइड्रेट 22.84 gm
प्रोटीन 1.09 gm
फैट 0.33 gm
फाइबर 2.6 gm
शुगर 12.23 gm
                                                                       मिनरल्स 
कैल्शियम 5 mg
मैग्नीशियम 27 mg
मैंगनीज 0.24 mg
आयरन 0.26 mg
फॉस्फोरस 22 mg
पोटैशियम 358 mg
सोडियम 1 mg
जिंक 0.15 mg
सेलेनियम 1.0 mcg
                                                                   विटामिन 
विटामिन C 8.7 mg
थायमिन /विटामिन B1 0.031 mg
राइबोफ्लेविन / विटामिन B2 0.073 mg
नियासिन / विटामिन B3 0.665 mg
विटामिन B6 0.367 mg
फोलेट 20 mcg
विटामिन A 64 IU
विटामिन E 0.10 mg
विटामिन K 0.5 mcg

केला के फायदे सेहत के लिए / kela ke fayde /Health Benefits of Banana in Hindi 

1. केला के फायदे पाचन स्वास्थ्य के लिए / Benefits of Banana for Digestion in Hindi 

केला फाइबर युक्त फल है। यह भोजन को पचाने में मदद करता है ,साथ ही पाचन के बाद पचे हुए भोजन को  निष्काषन के लिए आसानी से आंत में आगे बढ़ाने का भी काम करता है। फाइबर के कारण कब्ज जैसी समस्या नहीं हो पाती। इसमें रेसिस्टेंट स्टार्च होता है। यह आंत की बैक्टीरिया के लिए अच्छा भोजन होता है। इसके लिए सही पका हुआ केला खाना चाहिए। 

2. वजन कम करने में सहायक / Benefits of Banana in weight loss in Hindi 

सुनने में अटपटा लगता है कि केला खाने से वजन कम होता है। लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से यही सच है। इसमें पेक्टिन फाइबर है जो भूख नहीं लगने देता। इसमें रेसिस्टेंट स्टार्च भी होता है जो पाचन को धीमा कर आंत के बक्टेरिया के लिए अच्छा भोजन साबित होता है। रेसिस्टेंट स्टार्च प्राकृतिक रूप से फैट जलाने का कार्य करता है।  लेकिन यह जितना अधिक पकता है उसमें पेक्टिन और रेसिस्टेंट स्टार्च कम होने लगता है। इसलिए जिन्हें वजन कम करना हो वो कम पका हुआ केला खाएं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि यदि अधिक पका हुआ केला खाया जाये तो वजन बढ़ सकता है क्योंकि उसमें कैलोरी और शुगर दोनों ज्यादा होगा और पेक्टिन तथा रेसिस्टेंट स्टार्च कम। लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं। 

3. केला के फायदे ह्रदय स्वास्थ्य के लिये / Benefits of Banana for Heart in Hindi 

ह्रदय स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है रक्त चाप (ब्लड प्रेशर) का सही होना। इसमें पोटैशियम की मात्रा अच्छी होती है। यह रक्त वाहिकाओं / ब्लड वेसल्स को सख्त नहीं होने देता। रक्त वाहिकाओं का लचीलापन बरकरार रहता है,

फलस्वरूप रक्तचाप सही रहता है। रक्त का संचार सुचारु हो पाता है। जिनका ब्लड प्रेशर लो रहता है ,उनके लिए भी केला अच्छा है। इसमें मैग्नीशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं। ये सभी संयुक्त रूप से ह्रदय को स्स्वस्थ रखने का कार्य करते हैं। 

4. डायबिटीज में फायदेमंद / Benefits of Banana in Diabetes in Hindi 

डायबिटीज में केला खाने की सलाह नहीं दी जाती है। इसका कारण होता है इसकी मिठास। लेकिन कम ताजा पका हुआ केला डायबिटिक भी खा सकते हैं। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स केवल 50 और 100 ग्राम केले का  ग्लाइसेमिक लोड 12 होगा। लेकिन ज्यादा पका हुआ केला डायबिटीज में नहीं खाना चाहिए। कम पके केले में पेक्टिन फाइबर और रेसिस्टेंट स्टार्च दोनों ज्यादा होते हैं। ये रक्त में ग्लूकोज लेवल कम करने में मदद करते हैं। इसके सेवन से इन्सुलिन सेंस्टिविटी बढ़ती है ,जिससे इन्सुलिन रेसिस्टेन्स कम होता है। इसमें मैग्नीशियम और अन्य प्लांट कंपाउंड्स भी हैं जो इसे डायबिटीज के लिए उपयुक्त बनाते हैं। इस तरह केले के फायदे डायबिटीज में भी है। 

5. हड्डियों के लिए फायदेमंद / Benefits of Banana for bones in Hindi 

हड्डियों की मजबूती और विकास के लिए आवश्यक तत्व कैल्शियम ,मैग्निसियम ,फॉस्फोरस ,मैंगनीज ,कॉपर और जिंक होते हैं। इसमें ये सभी तत्व मिल जाते हैं। इसमें इन तत्वों की मात्रा बेशक कम है लेकिन प्रतिदिन इसे अपनी डाइट में शामिल किया जाये तो यह हड्डियों को मजबूत बनाने में अपना योगदान देते हैं। बढ़ते हुए बच्चों को केला अवश्य खिलाना चाहिए। यह हड्डियों को पोरस होने से भी बचाता है। 

6. केला के फायदे आँखों के लिए / Benefits of Banana for eyes in Hindi 

केला में अन्य पोषक तत्वों के साथ कैरोटेनॉयड्स भी है। हमारा शरीर कैरोटेनॉयड्स को विटामिन A में बदल देता है। विटामिन A हमारी आँखों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह रेटिना में पिगमेंट को बढ़ाने का काम करता है। विटामिन A एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है जो अँधेरे में भी साफ देखने में मदद करता है। 

7. अल्सर में लाभदायक / Benefits of Banana in ulcer in Hindi 

केला के फायदे अल्सर में भी है। अल्सर के कई कारण होते हैं। ज्यादा तीखा खाने से और गरम खाने से अल्सर संभव है। पेट में गर्मी के कारण या एसिडिटी के कारण भी अल्सर हो जाता है। ऑटो इम्यून डिजीज में भी मुंह और आंत में जख्म हो जाता है। केला आंत में होने वाले हर प्रकार के जख्म और अल्सर में फायदेमंद है। इसके लिए अच्छा पका हुआ केला खाना चाहिए। 

8. एसिडिटी में फायदेमंद / Benefits of Banana in acidity in Hindi 

केला अम्लीय फल है पर इसकी क्रिया शरीर में क्षारीय होती है। इसका ph value 4.50 – 5.20 होता है। इसमें पोटैशियम की उच्च मात्रा भी है ,जो इसे एसिडिटी में खाने लायक फल बना देता है। एक अच्छा पका हुआ केला एसिडिटी कम करनेका कार्य करता है। इसके सेवन से एसिड रिफ्लक्स और सीने के जलन में फायदा होता है। 

9. केला के फायदे डायरिया में / Benefits of Banana in Hindi 

डायरिया की समस्या में यह बहुत फायदेमंद है। इस में मौजूद पेक्टिन फाइबर पानी में घुलनशील होता है। इसमें रेसिस्टेंट स्टार्च भी होते हैं। दोनों आंत से अतिरिक्त पानी को सोखकर मल को सख्त करते हैं। रेसिटेंट स्टार्च आंत की बैक्टीरिया के लिए अच्छा भोजन भी होता है। इसमें मौजूद इलेक्ट्रोलाइट्स ,डायरिया में होने वाले इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को पूरा करते हैं। केला डिहाइड्रेशन के दौरान भी लेना चाहिए। 

10. एनीमिया में फायदेमंद / Benefits of Banana in anaemia in Hindi 

केला में आयरन की मात्रा बहुत अच्छी नहीं है। 100 ग्राम से केवल 0.26 मिलीग्राम आयरन मिलता है। लेकिन इसमें विटामिन C और फोलेट मौजूद है जो केले में उपस्थित आयरन को अब्सॉर्ब करने में मदद करते हैं। इसमें विटामिन B6 भी है जो लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए आवश्यक होता है। इस तरह एनीमिया में एक या दो केला प्रतिदिन खाया जाये तो hb बढ़ाना आसान हो जाता है। 

11. केला के फायदे गर्भावस्था में / Benefits of Banana during pregnancy 

गर्भावस्था के दौरान केला नियमित खाना चाहिए। इसमें मौजूद फाइबर कब्ज की समस्या नहीं होने देती। इसमें विटामिन B6 मौजूद है जो मॉर्निंग सिकनेस अर्थात सुबह सुबह मन खराब होने से बचाता है। यह एनीमिया से रक्षा करता है। इसमें मौजूद फोलेट भ्रूण के मस्तिष्क के विकास तथा स्पाइनल कॉर्ड के विकास में मदद करता है।

12. ऊर्जा प्रदान करता है / Banana for Energy  

केला में जटिल कार्बोहाइड्रेट ,विटामिन B6 ,विटामिन C ,पोटैशियम होता है जो ऊर्जावान बना कर रखता है। 

100 ग्राम से 89 कैलोरी ऊर्जा मिल जाती है। एक्सरसाइज से आधा घंटा पहले केला खा लेने से ऊर्जा बनी रहती है। 

13. अस्थमा में फायदेमंद / Benefits of Banana in asthma 

यूरोपियन रेस्पिरेटरी जर्नल की एक सर्वेक्षण के अनुसार केले खाने से बच्चों में अस्थमा का खतरा कम जाता है। ऐसा इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और पोटैशियम के कारण होता है। इसका सेवन करने वाले लोगों के फेफड़ें ज्यादा स्वस्थ होते हैं। ब्रिटिश रिसर्च के अनुसार जिन बच्चों को प्रतिदिन एक केला खिलाया जाता था उनमें 34 %कम अस्थमा के लक्षण दिखें। 

14. अवसाद तथा एंग्जायटी में केला के फायदे / Benefits of Banana in depression 

अवसाद से ग्रसित लोगों में देखा गया कि केला खाने से उनके मूड में सुधार आता है। इसका कारण है इसमें मौजूद ट्रिप्टोफैन एमिनो एसिड। हमारा शरीर इसे सेरोटोनिन में बदल देता है। सेरोटोनिन मूड को अच्छा रखने वाला हॉर्मोन है। इसमें पोटैशियम ,जिंक और मैग्नीशियम भी है जिससे तनाव कम होता है। 

15. मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद / Benefits of Banana for brain 

मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए दो आवश्यक तत्व हैं विटामिन B6 और मैग्नीशियम। इसमें ये दोनों तत्व अच्छी मात्रा में मौजूद है। विटामिन B6 सेरोटोनिन और डोपामाइन के उत्पादन को बढ़ाते हैं। इससे मूड अच्छा रहता है ,तनाव दूर होता है और एकाग्रता में वृद्धि होती है। 

16. मासिक धर्म में केला फायदेमंद / Benefits of Banana in period 

पीरियड के दौरान मूड का चिड़चिड़ा होना देखा गया है। ऐसे में केला खाने से मूड सही होता है। इसमें मौजूद विटामिन B6 ,ट्रिप्टोफैन एमीनो एसिड और मैग्नीशियम सेरोटोनिन के उत्पादन में मदद करते हैं ,जिससे मूड बेहतर होता है। पोटैशियम और मैग्नीशियम पेट की ऐंठन में कमी लाते हैं। इससे पाचन भी सही रहता है। 

17. केला के फायदे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में / Banana for boosting immunity 

केला में विटामिन A ,विटामिन C ,विटामिन B6 ,आयरन तथा कैरोटेनॉयड्स होते हैं। ये सभी संयुक्त रूप से इम्युनिटी बढ़ाने का कार्य करते हैं। ये WBC की संख्या बढ़ाने का भी कार्य करते हैं। 

18. केला हैंगओवर में फायदेमंद / Benefits of Banana in Hangover 

अलकोहल की अधिक मात्रा शरीर में पोटैशियम और सोडियम जैसे मिनरल्स का संतुलन बिगाड़ देती है। ऐसे में केला खाने से आराम मिलता है। पोटैशियम की सही मात्रा मिलने से बेचैनी कम होती है और मैग्नीशियम मन  शांत करता है तथा सिर दर्द में आराम दिलाता है। 

19. केला छोटे बच्चों के लिए सुपरफूड / Benefits of Banana for small child 

बच्चा जब ठोस आहार लेना शुरू करता है तब उस समय अच्छा पका हुआ केला सुपरफूड बनता है। इसमें सभी पोषक तत्व मौजूद है जो एक कम्पलीट फ़ूड में होना चाहिए। यह बच्चों को बीमारी से भी बचाता है और उचित विकास में मदद करता है। 

20. अनिद्रा में लाभदायक / Benefits of Banana in insomnia 

केला में मौजूद पोषक तत्व तनाव दूर कर मन शांत करता है तथा मांसपेशी को रिलैक्स करता है। इसमें मौजूद ट्रिप्टोफैन एमीनो एसिड सेराटोनिन और मेलाटोनिन का उत्पादन बढ़ाता है। जिससे व्यक्ति अच्छी नींद ले पाता है। 

21. केला के फायदे हाइपोथायरॉइड में / Benefits of Banana in Hypothyroidism 

थाइरोइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन ( TSH ) के बढ़ने से पता चलता है कि हाइपोथायरॉइड हो चूका है। इसका एक कारण आयोडीन की कमी भी होती है। हाइपोथायरॉइड में केला बहुत फायदेमंद होता है। इसमें आयोडीन मौजूद है। केला में विटामिन B2 ,B3 ,B6 ,विटामिन C और विटामिन A तथा सेलेनियम भी होते हैं। ये सभी थायरॉइड ग्लैंड को एक्टिव करने का कार्य करते हैं। 

22. कैंसर में भी केला फायदेमंद / Benefits of Banana in cancer 

जब यह अच्छे से पक जाता है और उसके छिलके पर भूरे रंग की पैचेज आ जाते हैं तो केला एक पदार्थ का उत्पादन करता है। इस पदार्थ को ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर कहते हैं। यह शरीर से असामान्य/abnormal  कोशिकाओं को बाहर निकाल देता है। केले के छिलके पर जितना गहरा भूरा रंग होता है उसमें इम्युनिटी बढ़ाने की योग्यता उतनी ही ज्याद होती है  और उतना ही वह कैंसर की सम्भावना को भी कम करता है। 

केला के फायदे त्वचा के लिए / Benefits of Banana for skin 

  • केला बहुत अच्छा मॉइस्चराइज़र है। केला और दूध को मिक्स करके बनाया गया पेस्ट एक अच्छा उबटन का काम करता है। इसमें मौजूद विटामिन A , राइबोफ्लेविन ,नियासिन ,थायमीन तथा सिलिका त्वचा को चमकदार बनाता है। नहाने के समय दूध और केले के उबटन से 5 मिनट के लिए मसाज करने से त्वचा में निखार आ जाता है। 
  • केले का फेस पैक एंटी एजिंग का कार्य करता है। इसमें मौजूद सिलिका त्वचा में कोलाजेन को बढ़ाता है।इससे एजिंग प्रोसेस डिले हो जाता है।  
  • केला , चीनी तथा शहद से तैयार स्क्रब मृत कोशिकाओं को हटाने का कार्य करता है। यह त्वचा को मुलायम भी बनाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा को अल्ट्रा वायलेट किरणों से बचाता है। 

केला बालों के लिए भी फायदेमंद / Benefits of Banana for hair 

इसमें मौजूद पोषक तत्व , एंटी ऑक्सीडेंट गुण और सिलिका बालों को मोटा और घना बनाता है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो स्कैल्प के रूखेपन को ठीक करते हैं। यह डैंड्रफ की समस्या को दूर करता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं ,इस कारण इसका प्रयोग स्कैल्प के संक्रमण को ठीक करता है। केले के साथ दही का मिश्रण लगाने से बाल ज्यादा मुलयम होते हैं और बालों को साफ करना आसान रहता है। केले में नारियल तेल और ओलिव आयल भी मिक्स करके लगाया जाता है। इसमें अंडे मिलाकर लगाने से बालों में चमक आती है तथा नए बाल तेजी से आते हैं। केला और नारियल का दूध मिक्स करके लगाने से बाल मजबूत ,चमकदार और सीधे होते हैं। 

केले का हेयर मास्क लगाने में सावधानी यह रखनी होती है कि बालों में इसका अंश न रह जाये। हेयर मास्क के बाद अच्छे से शैम्पू करनी चाहिए। 

केला खाने का सही समय / Right time for eating Banana  

  • केला सुबह सुबह खली पेट नहीं खाना चाहिए। इसमें मैग्नीशियम और पोटैशियम की उच्च मात्रा होती है। यह कैल्शियम के स्तर को बिगाड़ सकता है। कुछ लोगों को इससे परेशानी हो जाती है। 
  • केला ऐसा फल है जो अनाज के साथ भी खाया जाये तो पच  जाता है।  इसलिए इसे मुख्य भोजन के बाद भी खा सकते हैं 
  • इससे एकाग्रता बढ़ती है तथा ऊर्जा भी मिलती है। इसलिए बच्चों को सुबह नास्ते में केला देना सही रहता है। 
  • यदि किसी का मूड सही नहीं हो तो उसे केला खाने को देना चाहिए। इससे मूड अच्छा होने लगता है। 
  • दिन में किसी भी समय भूख लगने पर इसे खा सकते हैं। 
  • एक्सरसाइज करने से पहले केला खाने से एनर्जी बनी रहती है और पेट खाली भी नहीं लगता। लेकिन एक्सरसाइज के आधे घंटे पहले इसे खाना चाहिए। 
  • रात में इसे खाने से बचना चाहिए। कफ प्रवृति वाले लोगों को बलगम या गले में खराश की शिकायत हो सकती है। सभी को रात में यह खाने से परेशानी नहीं होती। आयुर्वेद में रात्रि में केला खाना मनाही होता है।
  • पीरियड के दौरान केला खाना अच्छा होता है। इससे दर्द में आराम मिलता है और मूड सही होता है।  
  • दूध के साथ केला खाने का चलन है ,लेकिन आयुर्वेद में दूध के साथ कोई भी फल मना किया जाता है। दूध के साथ इसे खाने से यह पचने में मुश्किल करता है और शरीर को सुस्त बनाता है।  इसलिए जब दूध पीने का समय हो तो इसे नहीं खाना चाहिए।

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सूखी खुबानी के फायदे ,3 खुबानी-अनगिनत फायदे / Dried Apricot benefits https://healthysansaar.in/%e0%a4%b8%e0%a5%82%e0%a4%96%e0%a5%80-%e0%a4%96%e0%a5%81%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-dried-apricot-benefits-in-hindi/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%25b8%25e0%25a5%2582%25e0%25a4%2596%25e0%25a5%2580-%25e0%25a4%2596%25e0%25a5%2581%25e0%25a4%25ac%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25a8%25e0%25a5%2580-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%25ab%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25af%25e0%25a4%25a6%25e0%25a5%2587-dried-apricot-benefits-in-hindi https://healthysansaar.in/%e0%a4%b8%e0%a5%82%e0%a4%96%e0%a5%80-%e0%a4%96%e0%a5%81%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-dried-apricot-benefits-in-hindi/#respond Sun, 30 May 2021 12:18:36 +0000 https://healthysansaar.in/?p=1015 सूखी खुबानी के फायदे भी ताज़े खुबानी की तरह ही है। ताज़े खुबानी को दो तरह से सुखाया जाता है। एक बीज के साथ और दूसरा बीज निकालकर। सूखी खुबानी के फायदे सालों भर लिया जा सकता है। जिस तरह ताज़ा खुबानी एक दिन में 3 – 4 पीस खाते Read more…

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सूखी खुबानी के फायदे
सूखी खुबानी

सूखी खुबानी के फायदे भी ताज़े खुबानी की तरह ही है। ताज़े खुबानी को दो तरह से सुखाया जाता है। एक बीज के साथ और दूसरा बीज निकालकर। सूखी खुबानी के फायदे सालों भर लिया जा सकता है। जिस तरह ताज़ा खुबानी एक दिन में 3 – 4 पीस खाते हैं ,उसी तरह सूखी खुबानी भी 3 – 4 पीस खाते हैं। सूखी खुबानी की तासीर गर्म होती है। इस बात का ध्यान रखते हुए इसका सेवन करना चाहिये। सूखी खुबानी को खाने से पहले 4 – 5 घंटे के लिए भिगो देने से यह गर्मी नहीं करता। खुबानी वात और कफ दोष को शांत करने में सक्षम है। खुबानी को इंग्लिश में Apricot कहते हैं और इसका वैज्ञानिक नाम Prunus armeniaca है। खट्टा मीठा स्वाद वाला खुबानी बहुत फायदेमंद होता है। यह छोटे बच्चों और बुजुर्गों को भी दिया जा सकता है। 

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ताज़े खुबानी के 15 फायदे 

सूखी खुबानी में मौजूद पोषक तत्व / Nutritional Value of Dried Apricot 

पोषक तत्व सूखी खुबानीमात्रा प्रति 100 ग्राम  ताज़ा खुबानी मात्रा प्रति 100 ग्राम 
ऊर्जा 250 kcal48 kcal
प्रोटीन 25 gm1.4 gm
फैट 5 gm0.39 gm
कार्बोहायड्रेट 72.5 gm11.12 gm
फाइबर 10 gm2 gm
शुगर 53 gm 9.24 gm
कैल्शियम 100 mg13 mg
आयरन 2.7 mg0.39 mg
सोडियम 25 mg1 mg
पोटैशियम 1880 mg259 mg
विटामिन C 3 mg10 mg
विटामिन A 250 IU1926 IU
मैग्नीशियम 65 mg10 mg
फास्फोरस 125 mg 23 mg
कॉपर 0.4 mg0.078 mg
मैंगनीज 0.4 mg0,077 mg
बोरोन 2.11 mg

सूखी खुबानी के फायदे / सूखी खुबानी खाने के फायदे / Dried Apricot benefits in Hindi 

1. सूखी खुबानी के फायदे डायबिटीज में / Dried Apricot benefits in Diabetes 

बादाम ,अखरोट ,काजू और पिस्ता की तरह सूखी खुबानी का सेवन डायबिटीज के रोगी कर सकते हैं। 100 ग्राम ड्राइड एप्रीकॉट का GL 21 होता है। यदि 3 खुबानी खाते हैं तो यह करीब 25 ग्राम होगा और इसका GL 6 के आस पास होगा। सूखी खुबानी के फायदे के सामने यह GL कम है। इसमें मौजूद मिनरल्स ,एंटीऑक्सीडेंट्स और प्लांट कंपाउंड्स इसे डायबिटीज के लिए उपयुक्त बना देते हैं। इसमें मौजूद मैग्नीशियम और फाइबर शुगर लेवल कम करने में मदद करते हैं। सूखी खुबानी के गुठली को तोड़कर इसके बीज भी खाये जा सकते हैं। लेकिन एक व्यक्ति 2-3  बीज ही खाये ,इस बीज में एंटीऑक्सीडेंट्स के साथ साइनाइड का भी कुछ अंश रहता है। 

2. सूखी खुबानी के फायदे हड्डियों के लिए / Dried Apricot benefits for strong bones 

हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए ड्राई फ्रूट्स बहुत अच्छा विकल्प होता है। सूखी खुबानी भी उन्ही में से एक है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसमें कैल्शियम के साथ – साथ फास्फोरस ,मैग्नीशियम , कॉपर और मैंगनीज भी है। ये सभी हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए जरूरी होते हैं। इसके साथ ही एक और तत्व है बोरोन जो हड्डियों के स्वस्थ विकास के लिए उपयोगी पाया गया है। सूखी खुबानी में बोरोन की अच्छी मात्रा उपलब्ध है। 100 ग्राम सूखी खुबानी में 2.11 मिलीग्राम बोरोन होता है। इस तरह हम देखते हैं कि सूखी खुबानी का सेवन मजबूत हड्डी प्रदान करता है। बोरोन की मात्रा किशमिश में 4.57 mg प्रति 100 ग्राम होता है। 

3. सूखी खुबानी आँखों के लिए फायदेमंद / Dried Apricot benefits for eyes 

सूखी खुबानी के फायदे आँखों को स्वस्थ रखने में है। सूखी खुबानी में मौजूद विटामिन A ,कैरोटीन ,ज़ी जैंथीन ,बीटा कैरोटेनॉइड आँखों की नसों को मजबूती प्रदान कर आँखों को स्वस्थ रखने का कार्य करते हैं। इसमें मौजूद कैरोटिनॉइड ज़ी जैंथीन मैक्युलर डिजनरेशन से आँखों की रक्षा करता है। यह हमारी आँखों में पर्याप्त नमी बना कर रखता है। सूखी खुबानी खाने से मोतियाबिंद की सम्भावना  कम होती है। 

4. सूखी खुबानी खाने के फायदे गर्भावस्था में / Dried Apricot benefits in pregnancy 

गर्भावस्था के दौरान पोषक तत्वों से भरपूर फल खाना अच्छा होता है। इस समय गर्भवती महिला को आयरन ,फोलिक एसिड ,कैल्शियम ,फास्फोरस , सिलिकॉन ,पोटेशियम तथा विटामिन युक्त खाद्य पदार्थ की आवश्यकता होती है। सूखी खुबानी में ये सभी पोषक तत्व मौजूद है। साथ ही यह एंटीऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर है और द्रव संतुलन भी बना कर रखता है। दूध पिलाने वाली माताओं को भी सूखी खुबानी का सेवन करना चाहिए। 

5. सूखी खुबानी खाने के फायदे एनीमिया में / Dried Apricot benefits in Anemia 

एनीमिया रोग का अर्थ है रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी। हीमोग्लोबिन के बनने के लिए आयरन ,कॉपर और विटामिन B6 की जरूरत होती है। विटामिन बी 6 लाल रक्त कोशिकाओं के बनने में सहायता करता है। आयरन के अवशोषण के लिए विटामिन C ,फोलेट और कॉपर की आवश्यकता होती है। सूखी खुबानी में ये सभी तत्व मौजूद हैं जो हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करते हैं। इस तरह सूखी खुबानी खाने के फायदे hb बढ़ाने में भी है। 

6. सूखी खुबानी खाने के फायदे त्वचा के लिए / Dried Apricot benefits for skin 

सूखी खुबानी में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स कंपाउंड्स ,पोषक तत्व , खुबानी का एंटी एजिंग इफ़ेक्ट इसे त्वचा के लिए उत्तम बनाते हैं। सूखी खुबानी में विटामिन A और  C दोनों ही मौजूद हैं जो  फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम कर एजिंग डिले करता है। खुबानी का पल्प तथा खुबानी कर्नेल आयल का प्रयोग स्किन के लिए बनाये जाने वाले कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में प्रयोग किये जाते हैं। यह त्वचा को मुलायम और स्वस्थ बनाने के साथ साथ त्वचा को एग्ज़ीमा और खुजली जैसी समस्या से भी छुटकारा दिलाता है। 

7. सूखी खुबानी ह्रदय स्वास्थ्य के लिए / Dried Apricot benefits for heart 

सूखी खुबानी में ऐसे कई पोषक तत्व और प्लांट कंपाउंड्स हैं जो हमारे ह्रदय को स्वस्थ रखते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स ,विटामिन A , C और E ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम कर ह्रदय को क्षति से बचाते हैं। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम करने का अर्थ है फ्री रेडिकल्स को न्यूट्रलाइज करना। खुबानी में मौजूद फाइबर कोलेस्ट्रॉल कम करने का कार्य करता है। इसमें मौजूद पोटैशियम ब्लड वेसल्स और धमनियों के तनाव को कम करते हैं। जिससे उच्च रक्तचाप में कमी आती है। इस तरह सूखी खुबानी खाने के फायदे ह्रदय को स्वस्थ रखने में  होता है। चूंकि खुबानी के सेवन से लिवर में फैट नहीं जमा हो पाता ,इसलिए यह ट्राइग्लिसराइड लेवल कम करने में मददगार साबित होता है। 

8. सूखी खुबानी वजन घटाने में फायदेमंद / Dried Apricot for weight loss 

3 से 4 सूखी खुबानी प्रतिदिन खायी जाये तो वजन कम करने में मदद मिलती है। इसमें कैलोरी ज्यादा नहीं होती 3 खुबानी से करीब 75 kcal मिलती है। इसे खाने के बाद भूख नहीं लगती। इसका कारण इसमें मौजूद फाइबर तथा इसे खाने के बाद satiety हार्मोन लेप्टिन का  रिलीज़ होना है। लेप्टिन हार्मोन भूख महसूस नहीं होने देता और ऊर्जा का संतुलन भी नियंत्रित करता है। 

9. सूखी खुबानी कब्ज में फायदेमंद / Dried Apricot benefits in constipation 

सूखी खुबानी को रात में पानी में भिगो कर रखने और सुबह इसे चबा कर खाने से कब्ज़ में आराम मिलता है। एक बार में 3 से 4 खुबानी खानी चाहिए। इसमें मौजूद फाइबर मल को नरम करता है। इसमें लैक्सेटिव गुण भी होते हैं। सूखी खुबानी इंफ्लामेशन कम करने का भी कार्य करता है। इसलिए जिन्हें आंत में सूजन हो और लीकी गट की समस्या हो वे सूखी खुबानी का सेवन करें। 

10. सूखी खुबानी खाने के फायदे लिवर के लिए / Dried Apricot benefits for Liver 

ताज़ा खुबानी और सूखी खुबानी दोनों ही लिवर के लिए फायदेमंद होते हैं। पर सूखी खुबानी के फायदे लिवर के लिए ज्यादा है। यह फैटी लिवर की समस्या में बहुत प्रभावी है। इसमें मौजूद फाइबर लिवर को डैमेज होने से तथा लिवर में फैट जमा होने से बचाता है। 

सूखी खुबानी के नुकसान / Side Effects of Dried Apricot 

1 . सूखी खुबानी पित्त को बढ़ानेवाली होती है। इसकी तासीर गर्म होती है। यदि सूखी खुबानी को बिना भिगोये अधिक मात्रा में खा ली जाए तो पेट में गर्मी हो जाएगी और पित्त बढ़ने की समस्या भी हो सकती है। 

2 . इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है। इसे ढंग से चबा कर नहीं खाया जाए तो गैस बनने और बदहज़मी की समस्या हो सकती है। 

3 . सूखी खुबानी को प्रिज़र्व करने के लिए सल्फर डाइऑक्साइड का प्रयोग किया जाता है। यह अस्थमा रोगी की समस्या को और बढ़ा सकता है। 

4 . अध्ययन में पाया गया कि सूखी खुबानी में ochratoxin A की उपस्थिति होती है। यह कार्सिनोजेनिक होता है। ताज़ा खुबानी को सूखाने के दौरान  यह विकसित होता है। इसलिए सीमित मात्रा में ही ड्राइड एप्रीकॉट खाये। 

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खुबानी के फायदे ,15 फायदे /Apricot (Khubani )benefits in Hindi https://healthysansaar.in/%e0%a4%96%e0%a5%81%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-apricot-benefits-in-hindi/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%2596%25e0%25a5%2581%25e0%25a4%25ac%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25a8%25e0%25a5%2580-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%25ab%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25af%25e0%25a4%25a6%25e0%25a5%2587-apricot-benefits-in-hindi https://healthysansaar.in/%e0%a4%96%e0%a5%81%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-apricot-benefits-in-hindi/#respond Wed, 26 May 2021 08:29:14 +0000 https://healthysansaar.in/?p=997 खुबानी के फायदे दो प्रकार से प्राप्त किये जा सकते हैं।खुबानी एक प्रकार का फल है। खुबानी को सूखे मेवे की तरह भी प्रयोग में लाया जाता है। खुबानी की खेती पहाड़ी इलाकों में की जाती है। इसकी खेती 5000 वर्षों से की जा रही है। आयुर्वेद और चरक संहिता में Read more…

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खुबानी के फायदे दो प्रकार से प्राप्त किये जा सकते हैं।खुबानी एक प्रकार का फल है। खुबानी को सूखे मेवे की तरह भी प्रयोग में लाया जाता है। खुबानी की खेती पहाड़ी इलाकों में की जाती है। इसकी खेती 5000 वर्षों से की जा रही है। आयुर्वेद और चरक संहिता में स्वास्थ्य की दृष्टि से खुबानी के फायदे औषधि की तरह बताई गयी है। इस लेख में हमलोग ताज़ा खुबानी के फायदे जानेंगे।

खुबानी क्या होता है ? What is Apricot ?

खुबानी / Apricot

खुबानी एक गुठलीदार फल है। खुबानी का फल छोटा ,पीला तथा चटक नारंगी की तरह होता है। इसका ऊपरी परत मुलायम और रोयेंदार होता है।खुबानी के गूदे का स्वाद खट्टा मीठा होता है।  खुबानी की बीज गुठली के अंदर होती है। इसके गुठली को तोड़ने से छोटे बादाम की तरह बीज निकलती  है। इसके बीज का भी सेवन किया जाता है और इसके बीज से तेल भी निकलता है। खुबानी की तासीर गरम होती है। यह कफ और वात दोष को कम करने वाला फल है। वनस्पति विज्ञान के अनुसार खुबानी , आलूबुखारा और आड़ू तीनो एक ही परिवार rosaceae के सदस्य हैं। तीनो का genus भी एक ही है। खुबानी ,आलूबुखारा और आड़ू का वैज्ञानिक नाम है-

खुबानी – Apricot – Prunus armeniaca 

आलूबुखारा – Plum – Prunus domestica 

आड़ू –  Peach – Prunus persica 

जिस तरह आम की कई किस्में होती हैं ,उसी तरह खुबानी के पकने के समय और स्वाद में विभिन्नता के अनुरूप अलग किस्में हैं। इनमें से कुछ किस्मों के नाम हैं – सफेदा ,चारमग्ज़ ,एमा ,हरकोट ,शक्करपारा ,कैशा ,चौबटिया मधु ,चौबटिया केसरी ,रायल ,वुलकान इत्यादि। 

खुबानी में मौजूद पोषक तत्व / Nutritional Value of Apricot in Hindi 

100 ग्राम ताज़े खुबानी में मौजूद पोषक तत्व और पोषक तत्वों की मात्रा –

पोषक तत्व / nutritional content मात्रा प्रति 100 ग्राम/ value per 100 gram 
ऊर्जा48 kcal
प्रोटीन1.4 gram
फैट0.39 gram 
कार्बोहाइड्रेट11.12 gram 
फाइबर2 gram
शुगर9.24 gram
कैल्शियम13 mg
आयरन 0.39 mg
मैग्नीशियम 10 mg
फास्फोरस23 mg
पोटासियम 259 mg
सोडियम 1 mg
जिंक 0.2 mg
कॉपर 0.078 mg
विटामिन C 10 mg
मैंगनीज 0.077 mg
थायमिन ( विटामिन B1 )0.03 mg
राइबोफ्लेविन ( विटामिन B2 )0.04 mg
नियासिन ( विटामिन B3 )0.6 mg
विटामिन B6 0.24 mg
फोलेट 9 mcg
बीटा कैरोटीन 1094 mcg
विटामिन E 0.89 mg
विटामिन K 3.3 mcg

खुबानी के फायदे / खुबानी खाने के फायदे / Apricot benefits in Hindi 

1. खुबानी के फायदे ह्रदय स्वास्थ्य के लिए / Apricot benefits for heart 

खुबानी में ऐसे कई पोषक तत्व और प्लांट कंपाउंड्स हैं जो हमारे ह्रदय को स्वस्थ रखते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स ,विटामिन A , C और E ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम कर ह्रदय को क्षति से बचाते हैं। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम करने का अर्थ है फ्री रेडिकल्स को न्यूट्रलाइज करना। खुबानी में मौजूद फाइबर कोलेस्ट्रॉल कम करने का कार्य करता है। इसमें मौजूद पोटैशियम ब्लड वेसल्स और धमनियों के तनाव को कम करते हैं। जिससे उच्च रक्तचाप में कमी आती है। इस तरह खुबानी खाने के फायदे ह्रदय को स्वस्थ रखने में  होता है। 

2. खुबानी के फायदे आंत को स्वस्थ रखने में / Apricot benefits for gut health 

खुबानी में फाइबर की मात्रा अच्छी है। 100 ग्राम खुबानी ( 3 – 4 खुबानी ) से 2 ग्राम फाइबर मिलता है। इसमें घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर हैं। घुलनशील फाइबर लैक्सेटिव का काम करते हैं। अघुलनशील फाइबर भोजन को पचने के बाद आसानी से आंत में आगे बढ़ने में मदद करते हैं। साथ ही यह गुड बैक्टीरिया के ग्रोथ में भी मदद करते हैं। फलस्वरूप पाचक रस का सही श्राव होता है और लैक्सेटिव प्रभाव तथा अघुलनशील फाइबर कब्ज से बचाता है। इस तरह खुबानी खाने के फायदे हमारे आंत को स्वस्थ रखने में है। 

3. खुबानी के फायदे हड्डियों के लिए / Apricot benefits for strong bone 

खुबानी खाने के फायदे हड्डियों को स्वस्थ रखने में भी है। हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम के साथ साथ फास्फोरस , मैग्नीशियम , कॉपर और मैंगनीज की भी आवश्यकता होती है। हड्डियों के घनत्व को बनाये रखने के लिए खुबानी का सेवन अच्छा होता है। बोन डेंसिटी सही रहने से ऑस्टियोपोरोसिस तथा उम्र के साथ बढ़ने वाली हड्डियों की अन्य बीमारी नहीं होती। 

4. खुबानी खाने के फायदे द्रव संतुलन में / Apricot benefits in fluid balance 

इलेक्ट्रोलाइट्स खनिज होते हैं जो हमारे रक्त ,मूत्र और शरीर के तरल पदार्थ में मौजूद होते हैं। ये इलेक्ट्रोलाइट्स द्रव संतुलन में अहम भूमिका निभाते हैं। सोडियम ,पोटैशियम ,जिंक ,क्लोराइड ,मैग्नीशियम ,फास्फोरस ,कैल्शियम ,फॉस्फेट ये सभी इलेक्ट्रोलाइट्स हैं। द्रव संतुलन बनाये रखने के लिए पोटैशियम की मात्रा ज्यादा और सोडियम कम होना चाहिए। खुबानी में पोटेशियम की उच्च मात्रा द्रव संतुलन बनाये रखती है और यह भी सुनिश्चित करती है कि शरीर के प्रत्येक अंग और मांसपेशियों तक उचित मात्रा में ऊर्जा पहुँच रही हो। द्रव असंतुलन होने से आलस, ऐंठन ,थकावट ,सिर दर्द ,मुंह और होठों का सूखना जैसी समस्याएं होने लगती है। खुबानी में मौजूद इलेक्ट्रोलाइट्स  ऐसी स्थिति नहीं आने देते। 

5. खुबानी के फायदे बुखार में / Apricot benefits in fever 

बुखार होने पर जैसे अन्य फल फायदेमंद होते हैं ,वैसे ही खुबानी भी बुखार में खाने लायक औषधीय फल है। इसमें मौजूद पोषक तत्व ,इलेक्ट्रोलाइट्स ,प्लांट कंपाउंड्स इसे बुखार में खाने लायक अच्छा फल बनाते हैं। खुबानी में एंटी इंफ्लामेटरी गुण होता है तथा यह शरीर के तापमान को सामान्य करने में भी मदद करता है। 

6. खुबानी का तेल कान दर्द में फायदेमंद / Apricot oil benefits in ear ache 

खुबानी के बीज से तेल निकलता है। इस तेल में एंटीऑक्सीडेंट्स की अच्छी उपस्थिति होती है। खुबानी के तेल को एप्रीकॉट कर्नेल आयल भी कहते हैं। इसका दो बूँद कान दर्द के दौरान कान में डाला जाये तो कान दर्द में राहत मिलती है। आयुर्वेद आचार्य इस तेल से कान दर्द का इलाज करते हैं ,पर इसमें और शोध की आवश्यकता है।  

7. खुबानी के फायदे आँखों के लिए / Apricot benefits for eye 

खुबानी खाने से आँखें भी स्वस्थ होती हैं। खुबानी में मौजूद बीटा कैरोटीन , जी ज़ैंथीन ,कैरोटेनॉयड्स ,विटामिन A और विटामिन E ऑप्टिक नसों को मजबूत कर हमारे आँखों को स्वस्थ बनाते हैं। इसमें मौजूद जी ज़ैंथीन आँखों को मैक्युलर डिजनरेशन से बचाता है। खुबानी आँखों में पर्याप्त नमी बना कर रखता है। खुबानी खाने से मोतियाबिंद का  जोखिम कम हो जाता है। 

8. खुबानी खाने के फायदे त्वचा के लिए / Apricot benefits for skin 

खुबानी में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स कंपाउंड्स ,पोषक तत्व , खुबानी का एंटी एजिंग इफ़ेक्ट इसे त्वचा के लिए उत्तम बनाते हैं। फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम कर यह एजिंग डिले करता है। खुबानी का पल्प तथा खुबानी कर्नेल आयल का प्रयोग स्किन के लिए बनाये जाने वाले कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में प्रयोग किये जाते हैं। यह त्वचा को मुलायम और स्वस्थ बनाने के साथ साथ त्वचा को एग्ज़ीमा और खुजली जैसी समस्या से भी छुटकारा दिलाता है। 

9. खुबानी के फायदे एनीमिया में / Apricot benefits in Anaemia 

एनीमिया रोग का अर्थ है रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी। हीमोग्लोबिन के बनने के लिए आयरन ,कॉपर और विटामिन B6 की जरूरत होती है। विटामिन बी 6 लाल रक्त कोशिकाओं के बनने में सहायता करता है। आयरन के अवशोषण के लिए विटामिन C ,फोलेट और कॉपर की आवश्यकता होती है। खुबानी में ये सभी तत्व मौजूद हैं जो हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करते हैं। इस तरह खुबानी खाने के फायदे hb बढ़ाने में भी है। 

10. खुबानी के फायदे डायबिटीज में / Apricot benefits in diabetes 

डायबिटीज में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स और कम ग्लाइसेमिक लोड वाले खाद्य पदार्थों का सेवन अच्छा होता है। खुबानी का GI और GL दोनों ही कम है। साथ ही इसमें मैग्नीशियम और फाइबर भी मौजूद है। ये दोनों ही शुगर लेवल पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। खुबानी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम करते हैं। बढ़ा हुआ ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस केवल डायबिटीज ही नहीं कई बीमारियों का कारण बनता है। खुबानी में anthocyanin और कैरोटेनॉयड्स एंटीऑक्सीडेंट्स हैं जो डायबिटीज के खतरे को कम करते हैं। 

11. खुबानी खाने के फायदे लिवर स्वास्थ्य के लिए / Apricot benefits for liver 

खुबानी लिवर में फैट जमा होने से बचाता है। इसमें मौजूद फाइबर लिवर को डैमेज होने से बचाता है। यह लिवर को डिटॉक्सिफाई करता है। खुबानी में मौजूद प्लांट कंपाउंड्स हेपटोप्रोटेक्टीव  गुण प्रदर्शित करते हैं। ताज़ा खुबानी से ज्यादा असरदार लिवर के लिए सूखा खुबानी होता है। 

12. खुबानी गैस्ट्राइटिस में फायदेमंद / Apricot benefits in gastritis 

गैस्ट्राइटिस आंत की वह समस्या है जिसमें आंत की अंदरूनी लाइनिंग में इंफ्लामेशन / सूजन हो जाता है। इसके कई कारण होते हैं। खुबानी में एंटी इंफ्लामेटरी गुण होता है जो सूजन कम करता है। साथ ही यदि गैस्ट्राइटिस का कारण हेलिकोबैक्टर नामक बैक्टीरिया है तो उससे खुबानी रक्षा करता है। गैस्ट्राइटिस को क्रोनिक होने से बचाने के लिए 2 – 3 खुबानी प्रतिदिन खानी चाहिए।  

13. खुबानी कैंसर में फायदेमंद / Apricot benefits in cancer 

कैंसर होने का सटीक कारण अभी तक नहीं पता। फ्री रेडिकल्स का शरीर में बढ़ना इसका एक कारण बताया जाता है। फ्री रेडिकल्स को नियंत्रण में रखा जाये तो कैंसर की सम्भावना कम हो जाती है। खुबानी एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। खुबानी के बीज में amygdalin प्लांट कंपाउंड्स होते हैं जो एंटी कैंसर एजेंट का कार्य करते हैं। यह कैंसर सेल की वृद्धि को रोकते हैं तथा कैंसर सेल को नष्ट करने का भी काम करते हैं। 

14. खुबानी खाने के फायदे वजन कम करने में / Apricot benefits in weight loss 

ताज़ा खुबानी खाने के फायदे वजन कम करने में भी है। खुबानी में कैलोरी कम है और फाइबर भरपूर है। इसलिए इसे खाने से satiety हारमोन लेप्टिन रिलीज़ होता है। यह भूख महसूस नहीं होने देता और ऊर्जा का संतुलन भी नियंत्रित करता है। भूख महसूस नहीं होने के कारण हम एक्स्ट्रा खाने से बच जाते हैं। इस तरह हमारा वजन नियंत्रण में रहता है। 

15. खुबानी खाने के फायदे गर्भावस्था में / Apricot benefits in pregnancy 

गर्भावस्था के दौरान पोषक तत्वों से भरपूर फल खाना अच्छा होता है। इस समय गर्भवती महिला को आयरन ,फोलिक एसिड ,कैल्शियम ,फास्फोरस , सिलिकॉन ,पोटेशियम तथा विटामिन युक्त खाद्य पदार्थ की आवश्यकता होती है। खुबानी में ये सभी पोषक तत्व मौजूद है। साथ ही यह एंटीऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर है और द्रव संतुलन भी बना कर रखता है।  

खुबानी खाने के नुकसान / Khubani khane ka nuksan in Hindi 

खुबानी खाने का नुकसान कुछ नहीं है। यदि किसी को इससे एलर्जी होती है तो कुछ एलर्जी संबंधी समस्याएं हो सकती है। खुबानी के बीज में साइनाइड का कुछ अंश होता है। इसलिए एक साथ 30 -35 बीज खा ली जाये तो नुकसान दिख सकता है। एक या दो बीज खाने से कोई नुकसान नहीं होता | छोटे बच्चों को यह बीज नहीं खिलानी चाहिए।  एक दिन में 4  से 5 खुबानी खाना सेहत की दृष्टि से फायदेमंद है। 

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मूंगफली के फायदे और 8 नुकसान / Peanut benefits in Hindi https://healthysansaar.in/%e0%a4%ae%e0%a5%82%e0%a4%82%e0%a4%97%e0%a4%ab%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-%e0%a4%a8%e0%a5%81%e0%a4%95%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%a8-mungfali-fayde-n/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%25ae%25e0%25a5%2582%25e0%25a4%2582%25e0%25a4%2597%25e0%25a4%25ab%25e0%25a4%25b2%25e0%25a5%2580-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%25ab%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25af%25e0%25a4%25a6%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%25a8%25e0%25a5%2581%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25b8%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25a8-mungfali-fayde-n https://healthysansaar.in/%e0%a4%ae%e0%a5%82%e0%a4%82%e0%a4%97%e0%a4%ab%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-%e0%a4%a8%e0%a5%81%e0%a4%95%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%a8-mungfali-fayde-n/#respond Fri, 30 Apr 2021 10:20:39 +0000 https://healthysansaar.in/?p=939 मूंगफली से हम सभी अवगत हैं। इसे प्रोटीन का उच्च श्रोत मानकर हम में से अधिकतर लोग इसका सेवन करते हैं। मूंगफली के फायदे केवल प्रोटीन तक ही सीमित नहीं है , इसके और भी फायदे हैं जो हम इस लेख में जानेंगे।  मूंगफली के फायदे जानकर इसका अधिक सेवन Read more…

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मूंगफली से हम सभी अवगत हैं। इसे प्रोटीन का उच्च श्रोत मानकर हम में से अधिकतर लोग इसका सेवन करते हैं। मूंगफली के फायदे केवल प्रोटीन तक ही सीमित नहीं है , इसके और भी फायदे हैं जो हम इस लेख में जानेंगे।  मूंगफली के फायदे जानकर इसका अधिक सेवन करने लगे तो इसके नुकसान का भी सामना करना पड़ेगा। इसलिए अच्छी तरह जान लें कि इसकी तासीर कैसी है ? कितना खाना चाहिए ? किन्हें नहीं खानी चाहिए ? कैसे इसका सेवन करना लाभदायक होगा ?

मूंगफली क्या है ? What is peanut ? Peanuts in Hindi . 

मूंगफली के फायदे और नुकसान

मूंगफली वास्तव में legume है जो fabaceae /फैबेसी फैमिली के अंतर्गत आता है। इस फैमिली में दाल ,मटर ,सोयाबीन ,लोबिया ,बीन्स इत्यादि आते हैं। इसकी पौष्टिकता ,तासीर और सेवन करने की मात्रा को देखते हुए इसे नट्स की श्रेणी में रखना गलत नहीं होगा। चूँकि यह जमीन के अंदर होता है ,इसलिए इसे groundnut भी कहते हैं। इसका पौधा मेथी के पौधे की तरह दिखता है। जब पौधे को जमीन से निकालते हैं तो जड़ों में इसकी फलियां लगी होती हैं। एक फली में दो या तीन पीनट होते हैं। 

मूंगफली का मूल स्थान ब्राज़ील और पेरू माना जाता है। भारत में गुजरात और राजस्थान में इसकी खेती सबसे ज्यादा होती है। पीनट के उत्पादन में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है। इसमें तेल की प्रचुरता के कारण इसे तिलहन फसल के तौर पर भी देखा जाता है। Mungfali को English में peanut , groundnut और earthnut भी कहते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम / बॉटनिकल नाम  Arachis hypogaea है। 

अन्य भाषाओं में मूंगफली का नाम 

हिंदी – मूंगफली 

मराठी – शेंगदाणा

गुजराती – सिंगदाना 

तेलुगु – पलेलु

तमिल – नीलाक्कडलई 

मलयालम – निलाक्काताला 

मणिपुरी – बादाम 

नेपाली – बादाम 

बिहार में – चिनिया बादाम 

मूंगफली में मौजूद पोषक तत्व / Nutritional Value of Peanuts 


पोषक तत्व 

प्रति 100 ग्राम मूंगफली में मात्रा 
ऊर्जा 567 kcal
कार्बोहाइड्रेट 17 gm
प्रोटीन 25.8 gm
टोटल फैट 49.2 gm
सैचुरेटेड फैट 6.28 gm
मोनोअनसैचुरेटेड फैट 24.43 gm
पॉलीअनसैचुरेटेड फैट / ओमेगा 6 15.56 gm
ओमेगा 3 0 gm
डाइटरी फाइबर 8.5 gm
फोलिक एसिड ( vitamin B9 )240 mcg
थायमिन ( vitamin B1 ) 0.640 mg
राइबोफ्लेविन ( vitamin B2 )0.135 mg
नियासिन ( vitamin B3 )12.06 mg
पैंटोथैनिक एसिड ( vitamin B5 )1.76 mg
पायरीडॉक्सिन ( vitamin B6 )0.348 mg
विटामिन E 8.33 mg
सोडियम 18 mg
पोटासियम 705 mg
कैल्शियम 92 mg
कॉपर 1.14 mg
आयरन 4.58 mg
मैग्नीशियम 168 mg
मैंगनीज 1.9 mg
फास्फोरस 76 mg
सेलेनियम 7.2 mcg
जिंक 3.27 mg

इसके अतिरिक्त इसमें कई प्लांट कंपाउंड्स हैं जो एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। जैसे – कौमारिक एसिड , रेस्वेराट्रोल ,आइसोफ्लेवोंस ,फाइटिक एसिड , फाइटोस्टेरॉल। 

मूंगफली की तासीर    

मूंगफली की तासीर गर्म होती है। इसलिए इसे सर्दी के मौसम में ज्यादातर खाया जाता है। एक सीमित मात्रा में मूंगफली हर मौसम में खाया जा सकता है। 2 – 3 चम्मच पीनट प्रतिदिन खाया जाये तो अधिक फायदेमंद होता है। गर्मी के मौसम में इसे पूरी रात पानी में भिगोकर सुबह खाया जाये तो मूंगफली के फायदे ज्यादा प्राप्त होते हैं। 

मूंगफली के फायदे / मूंगफली खाने के फायदे / Peanut benefits in Hindi 

1. मूंगफली के फायदे ह्रदय स्वास्थ्य के लिए / Peanut benefits for heart in Hindi 

मूंगफली में मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट है ,जो ह्रदय के लिए बेहतर होते हैं।  इसमें मौजूद ओमेगा 9 मोनोअनसैचुरेटेड फैट गुड कोलेस्ट्रॉल HDL को बढ़ाता है और बैड कोलेस्ट्रॉल LDL को कम करता है। यह धमनियों में प्लाक नहीं जमने देता तथा जमे हुए प्लाक को हटाने का भी काम करता है। अन्य नट्स की तरह मूंगफली में भी हार्ट को स्वस्थ रखने वाले पोषक तत्व हैं। इसमें मैग्नीशियम ,कॉपर ,नियासिन , ओलेइक एसिड और रेस्वेराट्रोल जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स हैं। इसमें पोटेशियम की भी अच्छी मात्रा है जो उच्च रक्तचाप में कमी लाता है। सीमित मात्रा में यह खायी जाये तो इसके फायदे ह्रदय स्वास्थ्य को उत्तम रखने में है। 

2. मूंगफली के फायदे डायबिटीज में / Peanut benefits in diabetes in Hindi 

मूंगफली का सेवन डायबिटीज के खतरे को 20 % तक कम कर देता है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम और मैंगनीज के कारण ऐसा होता है। मूंगफली का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 13 है और 100 ग्राम मूंगफली का ग्लाइसेमिक लोड 2 है। इसलिए यदि अपने आहार में इसे या इसका मक्खन /peanut butter शामिल करते हैं तो यह भोजन का GL कम कर देता है। इसमें मौजूद ओमेगा 9 फैटी एसिड ,मैग्नीशियम और फाइबर इसे डायबिटीज के लिए उपयुक्त बनाते हैं। उच्च GL वाले फ़ूड के साथ इसे खाया जाये तो यह उस फ़ूड का GL कम कर देता है। जैसे साबूदाना और पोहा में पीनट या ब्रेड के साथ पीनट बटर खायी जाये तो यह साबूदाना ,पोहा और ब्रेड का GL कम करता है। 

3. मूंगफली के फायदे वजन कम  करने में / Peanut benefits for weight loss in Hindi 

मूंगफली में फाइबर की मात्रा भरपूर है। इसलिए इसे खाने के बाद लम्बे समय तक भूख नहीं लगती और हम एक्स्ट्रा कैलोरी लेने से बच जाते हैं। फाइबर और प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होने के कारण इसे पचने में समय और एनर्जी दोनों ज्यादा लगता है। इससे भी वजन कम होने लगता है। 

4. पित्त में पथरी बनने से रोकता है / Peanut benefits in gallstone in Hindi 

यह एक अध्ययन में देखा गया कि मूंगफली का सेवन करने से पित्त में पथरी बनने का खतरा कम जाता है। इसका सटीक कारण पता नहीं ,पर चूँकि यह कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है और कोलेस्ट्रॉल पित्त में पथरी बनने का एक मुख्य कारण होता है। इसलिए मूंगफली के फायदे हार्ट और गाल ब्लैडर दोनों को स्वस्थ रखने में है। 

5. मूंगफली के फायदे डिप्रेशन में / Peanut benefits in depression in Hindi  

मूंगफली में मौजूद पॉलीफेनोल कम्पाउंड्स रेस्वेराट्रोल एक एंटीऑक्सीडेंट है। यह एंटी डिप्रेसेंट का काम करता है। साथ ही इसमें ट्रिप्टोफैन एमीनो एसिड है जो मूड सुधारने वाले हार्मोन सेरोटोनिन के श्राव को बढ़ाता है। इससे मूड अच्छा होता है ,अवसाद और एंग्जायटी में कमी आती है और मन शांत होता है। 

6. मस्तिष्क के लिए फायदेमंद / Peanut benefits for brain in Hindi 

मूंगफली में मौजूद नियासिन मस्तिष्क के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। पार्किसन्स और अल्ज़ाइमर्स में विटामिन B1 और विटामिन B3 दी जाती है। मूंगफली में यह दोनों अच्छी मात्रा में कुदरती तौर पर मौजूद है। साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स भी मस्तिष्क स्वस्थ रखने का काम करते हैं। इस तरह मूंगफली के फायदे नर्वस सिस्टम को स्वस्थ रखने में भी है। 

7. गठिया में पीनट के फायदे / Peanut benefits in Arthritis in Hindi 

गठिया के दर्द और सूजन में आराम के लिए आवश्यक है पोटेशियम युक्त फ़ूड लिया जाये। मूंगफली में पोटेशियम की अच्छी मात्रा है और यह सूजन भी कम करता है। इसके तेल से  जोड़ों की मालिश की जाये तो दर्द में आराम मिलता है। मूंगफली के फायदे वजन कम करने में भी है, गठिया रोगी के लिए जरूरी है कि उनका वजन कम हो।लेकिन इसके लिए सिमित मात्रा में ही पीनट खानी चाहिए अन्यथा पीनट सूजन बढ़ा भी देता है।

8. मूंगफली के फायदे हड्डियों के लिए /  Peanut benefits for bones in Hindi 

मजबूत हड्डी के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है। कैल्शियम के अवशोषण और हड्डी के घनत्व को बनाये रखने के लिए मैग्नीशियम ,फास्फोरस और जिंक की आवश्यकता होती है। इसमें ये सभी तत्व मौजूद हैं। यह हड्डी के साथ साथ मसल्स को स्वस्थ बनाये रखने में भी सहायता करता है। यदि नियमित तौर पर यह खाया जाये तो ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम नहीं होगा। 

9. मूंगफली के फायदे सर्दी – जुकाम में / Peanut benefits in cold in Hindi

मूंगफली की तासीर गर्म होती है। सर्दी के मौसम में इस का सेवन सर्दी जुकाम से बचाता है। इसमें जिंक और सेलेनियम है जो जुकाम और संक्रमण में आराम दिलाता है। खांसी के दौरान साबुत मूंगफली नहीं खानी चाहिए ,मूंगफली की चटनी या पीनट बटर खाया जा सकता है। पीनट के सेवन से फेफड़े स्वस्थ होते हैं। 

10. खून की कमी दूर करता है / Peanut benefits for increasing hb in Hindi   

100  ग्राम मूंगफली में करीब 4.5 mg आयरन होता है। इसमें कॉपर और फोलिक एसिड भी है। यदि गुड़ के साथ पीनट खायी जाये तो आयरन का अवशोषण बढ़ जाता है। गुड़ में मौजूद विटामिन C और कॉपर पीनट में मौजूद आयरन के अवशोषण को बढ़ा देता है। रेड ब्लड सेल बनाने के लिए विटामिन B6 की आवश्यकता होती है। इसमें यह भी मौजूद है। लेकिन एक बात का ध्यान रखना होता है कि मूंगफली 8-10 घंटे पानी में भिगोकर खायी जाये तब यह ज्यादा फायदेमंद होता है। प्रत्येक नट्स की तरह इसमें भी फाइटिक एसिड है जो आयरन के अवशोषण में रुकावट पैदा करता है। भिगोने और रोस्ट करने से फाइटिक एसिड का असर कम हो जाता है। खून बढ़ाने के लिए मूंगफली के फायदे लेने हैं तो इसको भिगोकर गुड़ के साथ खाना चाहिए। 

11. मूंगफली के फायदे ऊर्जावान बनाये रखने में / Peanut benefits for making energetic 

मूंगफली खाने से हड्डी मजबूत होती है ,खून की कमी पूरी होती है ,शरीर को उचित प्रोटीन मिलता है ,अच्छी मात्रा में ऊर्जा प्राप्त होता है और यह विटामिन B6 का भी श्रोत है जो मूड अच्छा बना कर रखता है। इस तरह यह सभी चीज़ें संयुक्त रूप से शरीर को ऊर्जावान बनाकर रखते हैं। इसके सेवन से न शरीर जल्दी थकती है और न ही दिमाग जल्दी थकता है। 

12. मूंगफली के फायदे स्वस्थ त्वचा के लिए / Peanut benefits for healthy skin 

मूंगफली में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इसके सेवन से एक्ज़िमा और सोराइसिस जैसे त्वचा रोग ठीक होते हैं। इसके लिए सीमित मात्रा  में नियमित रूप से पीनट खानी होती है। ज्यादा पीनट खाने से सूजन बढ़ जाता है। इसमें विटामिन इ मौजूद है जो त्वचा के लिए बेहतर माना जाता है। इसे भिगोकर पेस्ट बनाकर फेस पैक की तरह लगाया जाये तब त्वचा स्वस्थ और जवां दिखती है। इसमें मौजूद फैटी एसिड त्वचा को हाइड्रेट रखता है। कोल्ड प्रेस्ड मूंगफली का तेल त्वचा के लिए अच्छा होता है। इसमें मौजूद फाइबर विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकाल त्वचा को स्वस्थ बनाता है। 

13. बालों के लिए फायदेमंद / Peanut benefits for hair in Hindi 

मूंगफली में L – Arginine तथा लाइसिन एमीनो एसिड मौजूद है जो बालों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं। इसमें बायोटिन ( vitamin B7 ) भी उपस्थित है जो नए बालों को उगाने और बालों को झड़ने से बचाने में मददगार साबित होता है। 

14. मूंगफली के फायदे गर्भावस्था में / Peanut benefits during pregnancy in Hindi 

गर्भावस्था के दौरान पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए पीनट एक अच्छा विकल्प है। 2 – 3 चम्मच भिगोया हुआ पीनट खाना गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित माना जाता है। इसमें बायोटिन ,फोलिक एसिड और आयरन है जो गर्भस्थ शिशु के विकास में बहुत मददगार साबित होते हैं। भोजन में इन तत्वों की कमी नहीं हो इसलिए डॉक्टर द्वारा मेडिसिन के रूप में ये सभी पोषक तत्व दिए जाते हैं। प्राकृतिक रूप से इन पोषक तत्वों की पूर्ति की जाए तो भ्रूण में 70 % तक न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के जोखिम को कम किया जा सकता है। यह गर्भवती महिलाओं की कमजोरी दूर कर उन्हें ऊर्जावान बनाता है। बच्चियों को शुरुआत से ही मूंगफली खिलाया जाये तो PCOS की समस्या का खतरा बहुत कम जायेगा। 

15. मूंगफली के फायदे कैंसर में / Peanut benefits in cancer in Hindi 

मूंगफली में कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट्स हैं। इसमें मौजूद vitamin B1  ,vitamin E ,कौमारिक एसिड ,आइसोफ्लेवोंस , फाइटोस्टेरॉल्स जैसे पॉलीफेनोलिक कंपाउंड्स कैंसर के जोखिम को कम करने की क्षमता रखते हैं। यह पेट के कैंसर के साथ अन्य कैंसर से बचाव में भी मदद करता है। कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक है कि एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर भोजन किया जाये। 

मूंगफली के नुकसान / Side effects of Peanuts 

मूंगफली का सेवन अधिक मात्रा में की जाये तो इसके साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिलते हैं 

1. मूंगफली से एलर्जी 

कुछ लोगों को मूंगफली से एलर्जी होती है। उन्हें इसे या इससे से बनी कोई भी चीज़ खाते ही चकत्ते , खुजली ,चेहरे पर सूजन ,घबराहट ,साँस में दिक्कत आदि होने लगती है। कई बार अस्पताल में भी दाखिल होना पड़ जाता है। कभी कभी यह जानलेवा भी हो जाता है। इसलिए जिन्हें एलर्जी हो उन्हें इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। 

2. अफ्लाटॉक्सिन का असर 

मूंगफली को उमस और गरम तथा नमी वाली जगह पर रख देते हैं या पैकिंग से पहले अच्छी तरह सुखाते नहीं हैं तो Aspergillus flavus द्वारा यह इन्फेक्टेड हो जाता है। यह एक प्रकार का विषैला पदार्थ अफ्लाटॉक्सिन उत्पन्न करता है। इससे लिवर प्रभावित होता है। ऐसे में भूख नहीं लगती और जॉन्डिस के सभी लक्षण दिखने लगते हैं। 

3. फाइटिक एसिड का असर 

मूंगफली एक बीज है। सभी बीज में फाइटिक एसिड होता है। यह आयरन ,कैल्शियम और जिंक के अवशोषण को बाधित करता है। जिन लोगों में आयरन की कमी होती है और उनका मुख्य भोजन अनाज होता है उनमें इसका ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है। इससे बचने के लिए इसे पानी में 8 -10 घंटे भिगोकर या धीमी आंच पर रोस्ट कर के खाना चाहिए। कच्चा पीनट बिलकुल नहीं खाये। 

4. पेट की समस्या 

यदि अधिक मात्रा में मूंगफली खा ली जाये तो अपच ,पेट दर्द ,उल्टी ,गैस बनने की समस्या हो जाती है। इसका कारण इसमें मौजूद लेक्टिन होता है। इसे पचने में बहुत समय लगता है। 

5. अस्थमा में नुकसानदायक 

अस्थमा के रोगी को moongfali /peanut नहीं खानी चाहिए। यह अस्थमा की समस्या को और बढ़ा देता है 

6. गठिया में नुकसानदायक 

एक तरफ यह गठिया में फायदा पहुंचाता है। लेकिन इसे अधिक मात्रा में खा ली जाये तो यह सूजन बढ़ा देता है। इससे गठिया का दर्द और भी बढ़ जाता है। 

7. थायराइड में परेशानी 

ह्यपोथायरोइड की समस्या में मूंगफली से परहेज बताया जाता है। यदि इसका सेवन इस परिस्थिति में किया जाता रहा तब TSH का लेवल और बढ़ा हुआ आता है। 

8. ओमेगा -3 की कमी  

मूंगफली में ओमेगा – 6 की अच्छी मात्रा मौजूद है। लेकिन इसमें ओमेगा – 3 नहीं है। यदि ज्यादा मात्रा में यह खायी जाये तो इसमें मौजूद ओमेगा – 6  हमारे शरीर में ओमेगा – 3 की मात्रा को कम करने लगता है। ओमेगा – 3 हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है और इसकी उपलब्धता बहुत कम फ़ूड में होती है। 

मूंगफली का सेवन कैसे करें –

मूंगफली के फायदे और नुकसान

मूंगफली रात को पानी में भिगोकर सुबह खाया जाना सबसे अच्छा होता है। 2 – 3 चम्मच पीनट एक व्यक्ति के लिए एक दिन में पर्याप्त होता है। 

मूंगफली के दाने को भूनकर खाया जाता है। सर्दी के मौसम में इसकी फलियों को भूनकर खाया जाना सभी पसंद करते हैं। 

भिगोई हुई कच्ची पीनट की चटनी और भुनी हुई पीनट की चटनी ,दोनों पसंद किये जाते हैं

पीनट बटर /peanut butter आजकल बहुत पसंद किया जाने लगा है। यह स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। इसमें भुने हुए पीनट से मक्खन तैयार किया जाता है।  

सर्दी के मौसम में गुड़ के साथ भुनी हुई मूंगफली की गज़क ,चिक्की ,लड्डू भी खाया जाना अच्छा होता है। 

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अंजीर के फायदे और नुकसान

छुहारे के फायदे

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रागी के फायदे सम्पूर्ण विकास में / Ragi benefits in Hindi https://healthysansaar.in/%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%97%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-ragi-benefits-in-hindi/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%25b0%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%2597%25e0%25a5%2580-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%25ab%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25af%25e0%25a4%25a6%25e0%25a5%2587-ragi-benefits-in-hindi https://healthysansaar.in/%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%97%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-ragi-benefits-in-hindi/#respond Fri, 23 Apr 2021 10:05:00 +0000 https://healthysansaar.in/?p=925 रागी इन दिनों बहुत ही लोकप्रिय अनाज बन चुका है। फिर भी अभी कुछ लोग इस बात से अनजान हैं कि रागी क्या है ? रागी के फायदे क्या हैं ? इस लेख में हम रागी से सम्बंधित कई बातें जानेंगे और रागी के फायदे भी विस्तार से जानेंगे। रागी Read more…

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रागी इन दिनों बहुत ही लोकप्रिय अनाज बन चुका है। फिर भी अभी कुछ लोग इस बात से अनजान हैं कि रागी क्या है ? रागी के फायदे क्या हैं ? इस लेख में हम रागी से सम्बंधित कई बातें जानेंगे और रागी के फायदे भी विस्तार से जानेंगे। रागी की तासीर गर्म होती है और यह कफ दोष को शमन करने वाली होती है। चूँकि यह शुष्क और गर्म है ,इसलिए इससे पित्त और वात बढ़ने की सम्भावना रहती है। लेकिन रागी को पानी में भिगोने के बाद प्रयोग किया जाये तो पित्त में बढ़ोतरी नहीं होगी और घी का प्रयोग किया जाये तो वात दोष भी संतुलित रहेगा। 

रागी क्या है ? रागी कौन सा अनाज है ?What is Ragi ?

रागी के फायदे

रागी बहुत पुराना अनाज है। यह एक मोटा अनाज है। ज्वार ,बाजरा, प्रोसो की तरह रागी भी मिलेट है। यह पोएसी फैमिली के अंतर्गत आता है। इसकी बाली में से 6 -8  फिंगर की तरह छोटी बालियां निकलती हैं। पौधे को देखने में ऐसा लगता है कि पौधा कोई चीज़ पकड़ने के लिए अपने हाथ ऊपर की और उठाये हुए हैं। पौधे की आकृति के अनुरूप ही इसे English में Finger Millet कहा जाता है। 

रागी कैसा दिखता है ?

रागी के फायदे

रागी दिखने में कोदो मिलेट की तरह तथा राई की तरह दिखती है। ध्यान से देखा जाये तो यह कोदो से छोटा तथा राई से भी छोटा अनाज है। रागी लाल रंग का अनाज है जो एक तरफ से चपटा है तथा हल्का झुर्रीदार है। 

रागी की खेती 

रागी की कई किस्में हैं जैसे – भैरवी ,चिलिका ,शुव्रा ,GPU 45 ,VL -149 इत्यादि। रागी को तैयार होने में 3-4 महीने का समय लगता है। मानसून शुरू होते ही इसकी बुवाई आरम्भ कर दी जाती है। इसे गेहूं की तरह छींटकर भी बोया जाता है और धान की तरह रोपण विधि से भी इसकी बुवाई होती है। मध्य प्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,उड़ीसा ,कर्नाटक ,महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के लिए भैरवी किस्म उपयुक्त है। VL -149 आंध्र प्रदेश और तमिल नाडु को छोड़कर देश के सभी मैदानी और पठारी भागों के लिए उपयुक्त है। 

रागी का नाम अन्य भाषाओं में / Ragi in other languages 

हिंदी – रागी , मकरा , मंडुआ 

इंग्लिश – Finger Millet , Poko grass 

संस्कृत – मधूलिक ,नर्तक ,बहुपत्रक 

उर्दू    –  मंडवा

कोंकणी – नाचणी 

उड़िया – मांडिया 

तेलुगु – रागुलु , तेदालु 

तमिल  – kezhvaragu , केलवारागु ,कयुर 

कन्नड़ – रागी 

पंजाबी – चालोदरा 

मराठी – नाचणी 

आसामी – मरुबा धान

बिहारी – मरुआ 

गुजराती – पागली , नावतोनागली

बंगाली – मरुआ

रागी के पोषक तत्व / Nutritional value of Ragi / Finger millet 

रागी ग्लूटेन मुक्त अनाज है। यह कैल्शियम और पोटेशियम का बहुत बढ़िया श्रोत है। यह डाइटरी फाइबर का भी बढ़िया श्रोत है। इसमें कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट्स और एमिनो एसिड्स है। रागी में कुछ विशेष एमिनो एसिड्स जैसे लिउसीन ,  फिनाइल-अलानीन ,आईसोलिउसीन और मेथिओनीन उपस्थित है।

 USDA Nutrient Database के अनुसार 100 ग्राम रागी में पोषक तत्वों की मात्रा निम्न लिखित हैं –

पोषक तत्व 100 ग्राम में मौजूद मान (value )
पानी 8.67 gm
ऊर्जा 378 kcal
प्रोटीन 7.3 gm
फैट 1.3 gm
कार्बोहाइड्रेट 72.6 gm 
पूर्ण डाइटरी फाइबर 19.1 gm
फाइबर 3.6 gm 
कैल्शियम 344 mg
आयरन 3.9 mg
मैग्नीशियम 137 mg
फास्फोरस 283 mg
पोटैशियम 408 mg
सोडियम 11 mg
जिंक 2.3 mg
थायमिन ( Vitamin B1 )0.421 mg
राइबोफ्लेविन ( Vitamin B2 )0.19 mg
नियासिन ( Vitamin B3 )1.1 mg

रागी के फायदे / रागी खाने के फायदे / Ragi Benefits in Hindi 

रागी के फायदे ह्रदय स्वास्थ्य में / Ragi benefits for heart 

रागी एक ऐसा अनाज है जिसे खाने से ह्रदय स्वस्थ रहता है। ह्रदय रोग से बचाव के लिए आवश्यक है रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में रहे। रागी पोटेशियम और मैग्नीशियम का बढ़िया श्रोत है , जिससे उच्च रक्तचाप में कमी आती है। यह फाइबर का भी अच्छा श्रोत है जो कोलेस्ट्रॉल स्तर के नियंत्रण में सहायक है। रागी में मौजूद एमीनो एसिड लिवर में फैट नहीं जमने देता। यह एक्स्ट्रा फैट बाहर निकाल शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम करता है। रागी के सेवन से केवल LDL कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का स्तर कम होता है , HDL का स्तर सामान्य रहता है। रागी के फायदे धमनियों में प्लाक बनने से रोकने में भी है। प्लाक हार्ट अटैक का कारण बनता है। रागी का नियमित सेवन किया जाए तो प्लाक की समस्या नहीं होगी और धमनियां भी सख्त नहीं होंगी। 

रागी के फायदे मधुमेह में / Ragi benefits in diabetes 

रागी में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इसे साबुत ( whole grain ) पकाकर और फरमेंट करके खाया जाए तो एमीनो एसिड्स का प्रभाव ज्यादा देखा जाता है। साबुत फाइबर युक्त रागी का ग्लाइसेमिक इंडेक्स अपेक्षाकृत  कम होता है। Asia Pacific Journal of Clinical Nutrition ने अपने शोध में बताया कि जब रागी के आटे से बनी रोटी डायबिटिक पेशेंट को खिलाई गयी , तब रागी का GI 104 पाया गया। जबकि अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि रागी में मौजूद पॉलीफेनोल्स के कारण ,इसके सेवन से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होता है। फलस्वरूप शुगर लेवल कम होने लगता है। इसमें मौजूद फाइबर के कारण पाचन धीमी गति से होता है ,जिससे रक्त में ग्लूकोज धीमी गति से रिलीज़ होता है। निष्कर्षतः साबुत रागी का सेवन मधुमेह में फायदेमंद है। 

रागी खाने के फायदे वजन घटाने में / Ragi benefits for weight loss 

वजन घटाने के लिए आवश्यक है फाइबर युक्त कम फैट वाला भोजन किया जाये।100 ग्राम  रागी में डाइटरी फाइबर 19 ग्राम है। इसलिए इसे खाने के बाद पेट भरा हुआ महसूस होता है। यह पचने में भी समय लगाता है। इसमें मौजूद ट्रिप्टोफैन एमीनो एसिड के कारण भूख का एहसास नहीं होता। इसलिए रागी खाने के बाद भूख नहीं लगती और एक्स्ट्रा कैलोरी लेने से बच जाते हैं। यह भी देखा गया है कि कैल्शियम युक्त भोजन करने से फैट सेल में कमी आती है। रागी कैल्शियम का धनी है। 100 ग्राम रागी में कैल्शियम की मात्रा 344 मिलीग्राम है।  इस तरह रागी के फायदे वजन घटाने में भी है। 

रागी के फायदे हड्डियों के लिए / Ragi benefits for bones 

रागी में कैल्शियम की मात्रा बहुत ज्यादा है। 100 ग्राम रागी से 344 mg कैल्शियम मिल जाता है। यह विटामिन D प्राप्त करने का नेचुरल सोर्स है। हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम के साथ अन्य तत्व जैसे फास्फोरस , जिंक ,कॉपर और मैग्नीशियम की भी आवश्यकता होती है। रागी में ये सभी तत्व अच्छी मात्रा में मौजूद हैं। इसलिए इसे बच्चों को खिलाया जाता है जिससे उनका उचित ग्रोथ हो सके। इसके नियमित सेवन से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा भी नहीं रहता। रागी के फायदे बोन डेंसिटी को मेंटेन कर के रखने में भी है। 

रागी खाने के फायदे एनीमिया में / Ragi benefits in anemia 

एनीमिया का मुख्य कारण शरीर में आयरन की कमी होती है। रागी आयरन का बढ़िया श्रोत है। आयरन के अवशोषण के लिए विटामिन C ,फोलिक एसिड और कॉपर का होना आवश्यक है। रागी में ये सभी तत्व मौजूद हैं जिस कारण इसमें मौजूद आयरन  का अवशोषण शरीर कर पाता है। फलस्वरूप हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ जाता है और एनीमिया रोग सही हो जाता है। साबुत रागी को 7 – 8 घंटे भिगोकर रखने के बाद, इसे अंकुरित कर खाने से विटामिन C की मात्रा बढ़ जाती है ,फाइटिक एसिड का असर कम हो जाता है ,जिससे आयरन का अवशोषण शरीर के द्वारा अच्छी तरह हो पाता है।  

रागी के फायदे बढ़ती उम्र में त्वचा के लिए / Ragi benefits in aging process 

रागी का सेवन बेहतर और जवां त्वचा पाने के लिए भी किया जा सकता है | रागी में विटामिन D मौजूद है जो त्वचा को चमक प्रदान करता है। रागी में लाइसिन तथा मेथिओनीन एमीनो एसिड है जो त्वचा को झुर्रियों से बचाते हैं । 

रागी में मौजूद पॉलीफेनोल कम्पाउंड्स एंटीऑक्सीडेंट्स का कार्य करते हैं और एजिंग प्रोसेस डिले करते हैं। ये कोलेजन को भी स्वस्थ बना कर रखते हैं। इससे त्वचा का लचीलापन बरकरार रहता है और झुर्रियां नहीं आ पाती। यह त्वचा को फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से भी बचाता है ,जिससे काले धब्बे त्वचा पर नहीं आ पाते। इस तरह रागी के फायदे सुन्दर और स्वस्थ त्वचा पाने में भी है। इसके आटे को फेस पैक में भी प्रयोग किया जाता है। 

रागी के फायदे कैंसर में / Ragi benefits in cancer  

एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइटोकेमिकल्स में एंटी कार्सिनोजेनिक गुण होते हैं। इन कंपाउंड्स के कारण कैंसर सेल का ग्रोथ रूक जाता है क्योंकि  ये फ्री रेडिकल्स को न्यूट्रलाइज कर शरीर से बाहर निकाल देते हैं।  रागी में मौजूद फेनोलिक एसिड ,टैनिन और फ्लैवोनोइड्स एंटीऑक्सीडेंट्स हैं | इनका सबसे सकारात्मक परिणाम जीभ के कैंसर ,कोलोन कैंसर और ब्रैस्ट कैंसर पर देखा गया है। रागी में विटामिन B17 भी है जो कैंसर सेल को ख़त्म करने में अहम् भूमिका निभाता है। रागी के फायदे कैंसर में लेना है तो साबुत रागी का प्रयोग आहार में करना चाहिए क्योंकि एंटीऑक्सीडेंट्स प्रॉपर्टीज ऊपरी परत में ज्यादा होती है। 

रागी के फायदे मस्तिष्क के लिये / Ragi benefits for relaxation 

रागी में मौजूद एमीनो एसिड मस्तिष्क को प्राकृतिक रूप से रिलैक्स करते हैं। इसमें मौजूद ट्रिप्टोफैन एमीनो एसिड के कारण एंग्जायटी ,अवसाद ,माइग्रेन ,चिंता ,सिरदर्द ,अनिद्रा इत्यादि में राहत मिलती है। 

रागी खाने के फायदे शिशुओं के लिए / Ragi benefits for babies 

साबुत रागी को पूरी रात भिगोकर रखा जाये तथा सुबह उसे पीसकर तथा छानकर हलवा /लापसी बनायी जाये तो यह शिशुओं को भी दिया जा सकता है। 4 महीने के बच्चे भी इसे आसानी से पचा सकते हैं। एक साल के बच्चे के लिए इसे बिना छाने हलवा बना कर खिलाया जा सकता है। यह बच्चों के सम्पूर्ण विकास में मदद करता है। साबुत रागी को 7 – 8 घंटे भिगोकर दलिया पकाकर भी खिलाया जा सकता है।इससे बच्चों की हड्डी मजबूत होती है , बच्चे एक्टिव रहते हैं और तंदुरुस्त रहते हैं। 

रागी दूध पिलाने वाली माताओं के लिए फायदेमंद / Ragi benefits for nursing mother 

जो माताएं बच्चों को दूध पिलाती हैं  ,उन्हें सम्पूर्ण पोषण मिलना चाहिए। रागी सम्पूर्ण पोषण प्राप्त करने का बहुत बढ़िया श्रोत है। रागी का दलिया गुड़ और दूध के साथ पकाकर माताओं को दिया जाये तो इससे माँ का दूध बढ़ता है। यह लैक्टेशन में बहुत मददगार साबित होता है। 

रागी के फायदे ग्लूटेन एलर्जी लोगो के लिए / Ragi benefits for gluten allergy people  

रागी में मौजूद एमीनो एसिड रागी को सुपर फ़ूड बना देते हैं। जो लोग गेहूं ,मक्की और जौ नहीं खा सकते उनके लिए रागी बहुत अच्छा विकल्प है। यह ग्लूटेन मुक्त अनाज है। इसे चावल की तरह भी पकाकर खा सकते हैं और रोटी भी पकाई जाती है। गेहूं की तरह इसमें भी मिठास होता है। इसकी रोटियां गहरे रंग की बनती हैं | 

रागी घाव तथा संक्रमण में फायदेमंद / Ragi benefits in wound healing and infection  

रागी में कुछ फंगल और बैक्टीरियल ग्रोथ के प्रति एंटी माइक्रोबियल गुण देखें गए हैं। इसमें एंटीसेप्टिक गुण भी है | रागी में मेथिओनीन ,वैलीन तथा आइसोलिउसीन एमिनो एसिड्स हैं जो टिश्यू रिपेयर की प्रक्रिया को तेज़ करते हैं। इस तरह रागी के फायदे  घाव भरने में भी है। 

रागी से बनाये जाने वाले आहार 

  • रागी को 7-8 घंटे भिगोकर इसे सुखाने के बाद पीसकर आटा तैयार किया जाना चाहिए। इस आटे से ब्रेड ,बिस्कुट ,केक ,रोटी ,पराठा ,पूरी , हलवा,पुआ ,लड्डू इत्यादि  तैयार किया जा सकता है।
  • रागी को 7- 8 घंटे भिगोकर अंकुरित करके भी खाया जाता है। इसमें और भी हरी कच्ची सब्जियां मिलाकर सलाद भी तैयार किया जाता है| अंकुरित करने से  इसमें विटामिन C की मात्रा बढ़ जाती है | 
  • रागी को भिगोकर दलिया ,खिचड़ी ,खीर ,बिरयानी भी बनायी जाती है
  • रागी को भिगोकर और पीसकर चीला ,डोसा ,इडली ,उत्तपम ,पुआ भी बनाया जा सकता है। 
  • रागी को भिगोकर ,पीसकर तथा इसे छानकर इसका दूध भी पीने के काम आता है | 

रागी के नुकसान 

रागी में पोटेशियम की मात्रा ज्यादा होती है ,इसलिए इसे किडनी सम्बंधित रोग में कम खाने की सलाह दी जाती है | 

रागी में ऑक्जेलिक एसिड भी मौजूद है जो स्टोन बनाने का काम करता है ,इसलिए इसे बहुत ज्यादा नहीं खाना चाहिए। सप्ताह में 4 से 5 दिन एक मील में इसे लिया जाना सही रहता है। जिन लोगों में स्टोन बनने के टेन्डेन्सी होती है उन्हें ध्यान देना जरूरी है। सभी को इससे परेशानी नहीं होती। 

और पढ़ें  

ज्वार के फायदे और नुकसान

जौ के फायदे ,जौ के पानी के फायदे ,जौ के प्रकार 

बाजरा के फायदे और नुकसान 

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जौ के फायदे , जौ के पानी के फायदे , जौ के प्रकार / Barley benefits in Hindi https://healthysansaar.in/%e0%a4%9c%e0%a5%8c-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-%e0%a4%9c%e0%a5%8c-%e0%a4%aa%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-barley-benefit/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%259c%25e0%25a5%258c-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%25ab%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25af%25e0%25a4%25a6%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%259c%25e0%25a5%258c-%25e0%25a4%25aa%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25a8%25e0%25a5%2580-%25e0%25a4%25ab%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25af%25e0%25a4%25a6%25e0%25a5%2587-barley-benefit https://healthysansaar.in/%e0%a4%9c%e0%a5%8c-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-%e0%a4%9c%e0%a5%8c-%e0%a4%aa%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a6%e0%a5%87-barley-benefit/#respond Sat, 10 Apr 2021 12:41:40 +0000 https://healthysansaar.in/?p=875 बाजरा और ज्वार की तरह जौ भी पुराना अनाज है। गेहूं ,जौ और जई तीनों एक ही फैमिली के सदस्य हैं। तीनों एक जैसे दिखते भी हैं। जिन्होंने गेहूं पिसवा के आटा तैयार किया होगा , उन्होंने गेहूं में जौ और जई भी देखा होगा। जई को ओट के नाम Read more…

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जौ के फायदे

बाजरा और ज्वार की तरह जौ भी पुराना अनाज है। गेहूं ,जौ और जई तीनों एक ही फैमिली के सदस्य हैं। तीनों एक जैसे दिखते भी हैं। जिन्होंने गेहूं पिसवा के आटा तैयार किया होगा , उन्होंने गेहूं में जौ और जई भी देखा होगा। जई को ओट के नाम से ज्यादा लोकप्रियता मिली है। इन तीनों में ओट सबसे पतला , जौ उससे मोटा और गेहूं उससे मोटा अनाज है। यदि आहार में जौ शामिल किया जाये तो जौ के फायदे चौकाने वाले हैं। इस लेख में हमलोग जौ के फायदे , जौ के पानी के फायदे ,जौ के प्रकार और उपयोग का तरीका जानेंगे। 

जौ क्या है ? बार्ली क्या है ? What is Barley in Hindi ? 

जौ गेहूं के परिवार का ही एक सदस्य है। दोनों पोएसी फैमिली के अंतर्गत आते हैं। गेहूं के पौधे के समान ही जौ का पौधा होता है। गेहूं की तरह जौ की भी बालियां होती है। गेहूं की बाली में प्रत्येक गेहूं के अंतिम छोर पर छोटा नुकीला उभार होता है। जबकि जौ के अंतिम छोर पर लम्बी नुकीली उभार होती है। जौ का पौधा गेहूं से ज्यादा सहनशील और मजबूत होता है। जौ रबी फसल है ,सर्दी में इसकी खेती होती है। जौ किसी भी मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है। जौ के पौधे को पशु के चारे के लिए भी उपयोग किया जाता है। जौ एक ऐसा अनाज है जिसे विश्व भर में उगाया जाता है। रूस ,अमेरिका ,कनाडा ,जर्मनी और भारत में जौ की उपज सर्वाधिक होती है। 

जौ के फायदे
जौ का पौधा /जौ की बाली

जौ के नाम अन्य भाषाओं में  / Names of Barley 

जौ का बोटैनिकल नाम –  Hordeum sativum 

जौ का अंग्रेजी नाम     –   Barley 

संस्कृत में जौ का नाम  – यव 

पंजाबी में जौ का नाम –  नाई , जवा 

तमिल में जौ का नाम  – बारलियारिशि

तेलुगु में जौ का नाम – बारलिबियम / यवक 

गुजराती में जौ का नाम – जौ

उर्दू में जौ का नाम  –  जव

मलयालम में जौ का नाम – जवेगमबु

माराठी में जौ का नाम  – जवा 

जौ की तासीर कैसी होती है ?

जौ की तासीर ठंढी होती है। यह कफ और पित्त दोष को शांत करता है। जौ का पानी और जौ का सत्तू ज्यादा ठंढा होता है। गर्मी में इनका सेवन ज्यादा किया जाता है। जौ की रोटी , जौ का दलिया ,जौ का फ्लेक्स ,पर्ल बार्ली ,जौ का सूप का सेवन हर मौसम में किया जाता है। 

जौ के उपयोग के तरीके , जौ का प्रकार / Types of Barley in Hindi 

जौ का उपयोग करने के लिए इसे अलग अलग रूप में तैयार किया जाता है। यहाँ हम देखते हैं कि जौ को किन – किन तरीकों से अपने आहार में शामिल किया जा सकता है। एक तरह से कहा जा सकता है कि यह जौ के अनेक प्रकार हैं जो बाजार में उपलब्ध हैं। 

साबुत जौ / Unhulled Barley 

इसमें जौ के ऊपरी पतली परत को हटाया जाता है। इसमें इसका अघुलनशील फाइबर / crude fiber अर्थात भूसा /husk साथ में लगा रहता है। इस साबुत जौ से ही जौ का पानी और जौ का सत्तू तैयार किया जाता है। 

चोकर युक्त बार्ली / Hulled Barley 

इसमें जौ का ऊपरी परत अर्थात भूस / husk हटा दिया जाता है। जौ के ऊपरी परत ब्रैन को जौ के साथ ही रहने दिया जाता है। यह जौ के फायदे उठाने का सबसे बढ़िया और पौष्टिक प्रकार है। 

पर्ल बार्ली / Dehulled Barley 

यह जौ का सबसे खूबसूरत रूप कहा जा सकता है। इसमें भूसी और ब्रैन दोनों को हटा दिया जाता है। यह सफ़ेद रंग का होता है। इसे पकने में कम समय लगता है। इसे 6 – 7 घंटे भिगोकर सलाद ,सूप और स्मूदी में डाला जाता है। 

दलिया / Broken Barley 

यह गेहूं के दलिया जैसा ही होता है पर सफ़ेद रंग का होता है। यह दानेदार होता है।यह चोकर युक्त बार्ली को मोटे टुकड़े में तोड़कर तैयार किया जाता है।  इससे उपमा ,बिरयानी ,खीर ,खिचड़ी बनायी जाती है। 

जौ चिवड़ा / Barley Flakes 

साबुत जौ को भिगोकर रखने के बाद इसे चपटा करके और इसके भूसी को अलग कर जौ फ्लेक्स तैयार किया जाता है। ओट की तरह इससे भी कोई भी डिश जल्दी तैयार हो जाती है। इसका फ्लेक्स ओट से मोटा और रेशेदार होता है। 

जौ का आटा / Barley Flour 

चोकर युक्त बार्ली को पीसकर आटा तैयार किया जाता है। इससे रोटी ,पूरी ,हलवा ,बिस्कुट ,ब्रेड आदि तैयार किया जाता है। 

जौ का सत्तू / बार्ली सत्तू 

साबुत जौ को भिगोकर 4 -5 घंटे रखते हैं। उसे 2 -3 घंटे रूम टेम्परेचर पर सूखा कर रोस्ट करते हैं। रोस्ट करने के दौरान सभी जौ अच्छे से तड़कने चाहिए ,नहीं तो यह कच्चा रह जाता है। उसके बाद इसे मिक्सी ,जाता या मिल में पीसकर सत्तू तैयार किया जाता है। 

जौ का सूप / Barley Soup  

जौ का सूप तैयार करने के लिए पर्ल बार्ली ,चोकर युक्त बार्ली या आटा का प्रयोग किया जाता है। इसमें बार्ली को सब्जी के साथ अच्छी तरह पकाया जाता है। सूप बनाने के लिए बार्ली को भिगोकर उपयोग में लाने से यह ज्यादा पौष्टिक होता है। कॉर्न फ्लोर की तरह जौ के आटे को पानी में घोलकर भी सूप तैयार किया जाता है। 

जौ का पानी / Barley water 

यह औषधि की तरह कार्य करता है। इसके लिए साबुत जौ कुट को पानी में 8 से 10 घंटे भिगोकर रखते हैं। सुबह खाली पेट इस पानी को छान कर सेंधा नमक या मिश्री या देसी खाण्ड या गुड़ या शहद के साथ पीते हैं।यह बहुत ठंढा होता है इसलिए जिनकी कफ प्रकृति होती है या सर्दी के मौसम में जौ के पानी को उबालकर और छानकर गुनगुना पीते हैं। 

  10 . जौ के जवारे का रस / Barley Grass Juice  

    व्हीटग्रास जूस की तरह ही इसे भी तैयार किया जाता है। यह भी औषधि की तरह कार्य करता है।  

जौ के पौष्टिक तत्व / जौ के पोषक तत्व / Nutritional Value of Barley in Hindi 

यहाँ 100 ग्राम चोकर युक्त बार्ली और 100 ग्राम पर्ल बार्ली के पोषक  तत्वों को बताया जा रहा है | 

पोषक तत्व चोकर युक्त बार्ली / Hulled Barley ( 100 gm )पर्ल बार्ली / Pearl Barley ( 100 gm )
ऊर्जा / energy (kcal)354352
प्रोटीन / protein (gm)12.59.9
फैट / fat (gm)2.31.2
कार्बोहाइड्रेट/carbs (gm)73.577.7
फाइबर / fiber (gm)17.315.6
कैल्शियम /calcium (mg)3329
आयरन / iron (mg)3.62.5
मैग्नीशियम / magnesium (mg) 13379
फास्फोरस / phosphorus (mg)264221
पोटासियम / potassium (mg)452280
सोडियम / sodium (mg)129
मैंगनीज / manganese (mg)1.91.32
सेलेनियम / selenium (mcg)37.737.7
फोलेट / folate (mcg)1923

बार्ली में विटामिन B1, B3 , B6 तथा अन्य विटामिन B भी मौजूद हैं | इसमें कोलिन की भी मौजूदगी है | इसमें बीटा ग्लूकॉन है जो इसे बहुत खास बना देता है। इन पोषक तत्वों के कारण जौ के फायदे अनंत है। हालांकि इसमें ग्लूटेन भी उपस्थित है। 

जौ के फायदे , जौ के पानी के फायदे / Benefits of Barley in Hindi  

जौ के फायदे लेने हैं तो इसे किसी भी रूप में अपने आहार में शामिल करें ,फायदा होगा। 

1. जौ के फायदे हार्ट के लिए 

जौ को साबुत रूप में लिया जाये जैसे चोकर युक्त जौ और उसका दलिया तो यह ह्रदय स्वास्थ्य के लिए ज्यादा बेहतर होता है। इसमें मौजूद फाइबर LDL कोलेस्ट्रॉल को कम करता है तथा पोटैशियम की अच्छी मात्रा उच्च रक्त चाप को कम करता है। जौ में मौजूद बीटा ग्लूकॉन के कारण अम्ल पित्त /bile acid जो लिवर में कोलेस्ट्रॉल से बनता है ,मल के साथ बाहर निकल जाता है। इस तरह अम्लपित्त बनाने के लिए  ज्यादा कोलेस्ट्रॉल का उपयोग लिवर द्वारा किया जाता है। इससे कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होने लगता है। साथ ही जौ के सेवन से ट्राइग्लिसराइड का स्तर भी कम होता है और गुड कोलेस्ट्रॉल HDL का स्तर बढ़ता है। यह धमनियों में फैट जमने और प्लाक बनने से भी रोकता है। 

2. जौ के फायदे वजन घटाने में 

जौ फाइबर युक्त अनाज है | इससे बने भोजन दलिया अथवा रोटी खाने से भूख जल्दी नहीं लगती। इसमें मौजूद घुलनशील फाइबर बीटा ग्लूकॉन ,रेसिस्टेंट स्टार्च तथा डाइटरी फाइबर संयुक्त रूप से वजन कम करने में मदद करते हैं। 

3. जौ के फायदे डायबिटीज में 

जौ एक फाइबर युक्त अनाज है। इसे अपने आहार का हिस्सा आरम्भ से ही बना लिया जाये तो डायबिटीज की स्थिति पैदा ही नहीं होगी। जो प्री डायबिटिक हैं अर्थात जिनका इन्सुलिन रेजिस्टेंस ज्यादा है ,वे जौ को आहार में शामिल करते हैं तो उन्हें डायबिटीज होने की सम्भावना कम हो जाती है।  जिन्हें डायबिटीज है वे जौ खाते हैं तो धीरे धीरे उनका डायबिटीज रिवर्स होने लगता है। इसका कारण है इसमें मौजूद फाइबर जिस कारण इसका ग्लाइसेमिक लोड केवल 24 है। जौ खाने के बाद शुगर का स्तर रक्त में कम बढ़ता है और धीरे धीरे बढ़ता है। गेहूं का ग्लाइसेमिक इंडेक्स जहाँ 70 है वहीँ जौ का केवल 28 और गेहूं का ग्लाइसेमिक लोड 52 है जबकि जौ का केवल 24 |  जिन्हें गेहूं की रोटी पसंद है वे जौ की रोटी भी चाव से खा सकते हैं। इसमें मौजूद रेसिस्टेंट स्टार्च के कारण इन्सुलिन की सेंसिटिविटी बढ़ती है परिणामस्वरूप रक्त में शुगर का स्तर कम होने लगता है। 

4. जौ के फायदे पेट सम्बन्धी समस्या में रामबाण की तरह 

जौ में मौजूद डाइटरी फाइबर आंत को स्वस्थ रखने का काम करता है। इसमें लैक्सेटिव गुण होता है जिससे कब्ज की समस्या ठीक हो जाती है। जौ में मौजूद रेसिस्टेंट स्टार्च के कारण आंत में मौजूद बैक्टीरिया ब्यूटिरिक एसिड /butyrate का निर्माण करते हैं। यह फैटी एसिड आंत में ऐसा वातावरण तैयार करता है जो गुड बैक्टीरिया के विकास में मददगार साबित होता है। इससे आंत और कोलोन दोनों स्वस्थ होते हैं। जौ के सेवन से IBS , अल्सरेटिव कोलाइटिस ,कोलोन कैंसर ,पाइल्स तथा आंत के अल्सर जैसी समस्या का समाधान होता है। ब्यूटिरिक एसिड को गट फ्यूल कहा जा सकता है क्योंकि यह गट की लाइनिंग का निर्माण करता है। इससे लीकी गट की समस्या भी ठीक हो जाती है। जौ का पानी गर्मी में आंत को ठंढा रखने के साथ इसे स्वस्थ रखने का भी काम करता है। 

5. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में फायदेमंद है जौ 

जौ की रोटी ,दलिया ,रबड़ी ,जौ का सूप ,जौ का पानी ,जौ के जवारे के रस आदि का सेवन किया जाये तो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जौ में माइक्रो और मैक्रो दोनों पोषक तत्व भरपूर हैं। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयरन ,जिंक, सेलेनियम , विटामिन बी काम्प्लेक्स ,विटामिन C ,फोलेट ,एमीनो एसिड इत्यादि की आवश्यकता होती है। जौ में ये सभी चीज़ें मौजूद हैं। इसमें कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट्स भी उपस्थित हैं। वीट ग्रास जूस की तरह बार्ली ग्रास जूस भी संजीवनी की तरह कार्य करता है।  

6. जौ के फायदे सर्दी जुकाम तथा बुखार में 

सर्दी जुकाम में जौ फायदेमंद है। इसके लिए साबुत जौ का दरदरा पिसा हुआ दलिया 2 चम्मच एक गिलास पानी में 6 – 7 घंटे के लिए भिगो देते हैं। इसमें एक इंच अदरक का टुकड़ा डालकर 5 मिनट के लिए उबाल लेते हैं। इसे छानकर शहद के साथ या गुड़ के साथ पिया जाता है। इससे सर्दी जुकाम में आराम मिलता है और बुखार हो तो बुखार भी ठीक हो जाता है।  

7. जौ कफ और पित्त को शांत करता है 

कफ और पित्त के बढ़ने के कारण कई तरह की बीमारी हो जाती है। जौ इन सभी बीमारी को ठीक करने में मदद करता है।  जौ की तासीर ठंढी है इसलिए पित्त के बढ़ने से होने वाली समस्या में यह सकारात्मक परिणाम दिखाता है। अलसर ,मुंह में छाले ,शरीर में गर्मी हो गई हो तो जौ का पानी लेना अति उत्तम होता है। कफ बढ़ने की समस्या में जौ का सूप तथा काढ़ा लेना होता है। 

8. जौ घाव भरने में मददगार 

जौ में घाव भरने का गुण होता है। डायबिटिक रोगी को किसी भी तरह का घाव हो जाये तो जल्दी नहीं भरता। कभी कभी यह गैंग्रीन का भी रूप ले लेता है। ऐसी स्थिति में जौ का सेवन करना चाहिए ,इससे घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं। ऑपरेशन के बाद घाव भरने के लिए जौ का सूप और दलिया बहुत अच्छा आहार है। 

9. हड्डियों के लिए जौ फायदेमंद  

जौ में मौजूद फास्फोरस ,कैल्शियम ,कॉपर ,मैग्नीशियम और जिंक हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करते है। बोन डेंसिटी को बनाये रखने और हड्डी के विकास के लिए जिंक की आवश्यकता होती है। मजबूत कंकाल तंत्र के लिए केवल कैल्शियम ही नहीं बल्कि मैग्नीशियम ,फास्फोरस और कॉपर की भी आवश्यकता होती है। जौ दांतो को भी मजबूत बनाता है। जौ के नियमित सेवन से हड्डियां पोरस नहीं होती जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा नहीं रहता। 

10. जौ के फायदे गर्भावस्था में 

जौ को 6 -7 घंटे के लिए भिगो कर पकाया जाये तो यह गर्भवती महिला के लिए बहुत अच्छा आहार होता है। गर्भावस्था के दौरान जरूरी है कि भोजन में कैल्शियम , आयरन , फोलिक एसिड और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स हो। जौ में यह सभी पोषक तत्व मौजूद है। जौ के सेवन से भ्रूण का विकास सही होता है। गर्भवती महिला का रक्तचाप सही रहता है और  जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा कम जाता है | इसकी तासीर ठंढी होती है | मौसम के अनुसार जौ का पानी या जौ का सूप दिया जा सकता है | जौ की रोटी ,दलिया ,खिचड़ी ,खीर , रबड़ी किसी भी मौसम में खायी  जा सकती है। 

11. जौ के फायदे यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन ( UTI ) में 

जौ की तासीर ठंढी होती है तथा इसमें एंटी बैक्टीरियल प्रभाव देखने को मिलता है। यह इंफ्लामेशन को भी कम करता है। इसलिए UTI में इसका सेवन करना अच्छा परिणाम देता है। पेशाब में जलन की समस्या हो तो जौ का पानी पीना सही रहता है। 

12. जौ ,पानी पीने की तीव्र इच्छा को कम करता है 

कई बार हम कुछ गरम खा लेते हैं ,या कोई दवा ले रहे हों या तबीयत ठीक नहीं हो तो मुंह सूखने की समस्या हो जाती है। डायबिटीज में भी यह समस्या रहती है। पानी पीने के बावजूद प्यास नहीं बुझती। ऐसे में जौ का सत्तू और जौ का पानी अच्छा काम करता है। पित्त दोष के बिगड़ने से भी यह परेशानी हो सकती है। जौ पित्त दोष शांत करता है तथा शरीर को ठंढक प्रदान करता है। 

13. जौ के फायदे आर्थराइटिस में 

आर्थराइटिस की समस्या में जौ का सेवन उत्तम  है। यूरिक एसिड के बढ़ने से आर्थराइटिस की समस्या होती है। जौ में पोटेशियम की अधिकता है। इस कारण इसके सेवन से यूरिक एसिड का लेवल कम होता है। इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी है ,जो आर्थराइटिस मे होने वाली सूजन को कम करता है। जौ का पानी और जौ के जवारे का रस इसमें ज्यादा उपयोगी है। जौ का सत्तू निम्बू के रस के साथ लिया जाये तो यह भी बहुत अच्छा परिणाम दिखाता है। 

14. लिवर तथा गॉल ब्लैडर के लिए फायदेमंद है,जौ 

लिवर तथा गॉल ब्लैडर की समस्या में जौ का सत्तू ,जौ का पानी ,जौ के जवारे का रस बहुत उपयोगी होता है। यह लिवर से अतिरिक्त फैट कम करता है। जौ ड्राई होता है इसलिए यह शरीर से अतिरिक्त फैट निकालने में सक्षम है। लिवर स्वस्थ रहने से पित्ताशय में पथरी बनने की सम्भावना कम हो जाती है। यह पथरी को गला देता है। इसमें जौ का पानी और जौ का सूप ज्यादा उपयोगी होता है। 

15. गर्मी में जौ के फ़ायदे 

गर्मी में शरीर को ठंढा रखना और डिहाइड्रेशन से बचाना बहुत जरूरी होता है। जौ की तासीर ठंढी होती है तथा यह पित्त को शांत करता है। यह गर्मी में मुंह सूखने से भी बचाता है। गर्मी में जौ का सत्तू और जौ का पानी पीने का प्रचलन बहुत पुराना है। हमारे पूर्वज भी गर्मी में लू से अपने आप को जौ के सेवन से ही बचाते थे। मैंने अपनी दादी माँ को घर में ही जौ का सत्तू तैयार करते देखा है। गर्मी में जौ की रबड़ी छाछ के साथ खायी जाये ,जौ का पानी पिया जाये और जौ का सत्तू का सेवन किया जाये तो शरीर स्वस्थ रहता है तथा लू भी नहीं लगती। 

16. कैंसर में फायदेमंद है जौ  

आजकल मिलावटी खाना , फ़ास्ट फ़ूड का सेवन ,अत्यधिक दूध दही तथा रिफाइंड तेल आदि के सेवन से शरीर में फ्री रेडिकल्स की अधिकता हो जाती है | इससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ जाता है | इसे नियंत्रण करने के लिए एंटी ऑक्सिडन्ट कीआवश्यकता होती है | जौ में मौजूद कई विटामिन्स और प्लांट कंपाउंड्स एंटी ऑक्सिडेंट्स का काम  करते हैं। इसमें एंटी कार्सिनोजेनिक तत्व है जो कैंसर कोशिकाओं को ख़त्म करता है। इसके लिए बार्ली ग्रास जूस का सेवन किया जाता है। इसमें मौजूद क्लोरोफिल तथा अन्य प्लांट कंपाउंड्स कैंसर को ठीक करने में अपना योगदान देते हैं। 

17. जौ के फायदे एनीमिया रोग में 

एनीमिया में जरूरी है कि शरीर में आयरन की कमी पूरी की जाये। इसके साथ ही फोलिक एसिड ,विटामिन C और कॉपर भी शरीर में पर्याप्त हो। इन सब की उपस्थिति में ही हीमोग्लोबिन बन पाता है। जौ में यह सभी तत्व मौजूद है। जौ में विटामिन B6 भी अच्छी मात्रा में है ,यह रेड ब्लड सेल बनाने के लिए आवश्यक है। RBC की संख्या का सही होना भी हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए जरूरी है। इस तरह जौ का सेवन एनीमिया रोग को दूर करता है।

18. यौन समस्यों का निदान करता है जौ  

यौन स्वास्थ्य के ख़राब होने का कारण मोटापा , डायबिटीज , एनीमिया , रक्तचाप का सही नहीं होना ,शरीर में पोषक तत्वों की कमी इत्यादि का होना होता है। जौ का सेवन इन समस्याओं का निदान करने में मदद करता है ,रक्त संचार ठीक करता है , मन को स्थिर बनाता है ,परिणामस्वरूप यौन समस्याएं दूर होने लगती हैं। यह स्तम्भन दोष / इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या को भी ठीक करता है। 

जौ के पानी के फायदे / Benefits of Barley Water 

जौ के फायदे
साबुत जौ /unhulled barley
  • घबराहट ,बेचैनी और ह्रदय संबंधी समस्या में जौ का पानी लेने से फायदा होता है। इसके लिए सुबह खाली पेट एक गिलास जौ का पानी पिया जाता है। 
  • मोतियाबिंद की शिकायत हो तो जौ का पानी धागे वाली मिश्री के चूर्ण के साथ लिया जाता है | 
  • उच्च रक्तचाप को भी यह कम करता है। यह नसों को साफ करता है तथा कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कम करता है। 
  • सर्दी – जुकाम में जौ के पानी को अदरक डालकर उबालने तथा इसमें शहद मिलाकर पीने से जुकाम ठीक होता है। इसे सुबह और शाम दो बार पिया जाता है। 
  • जौ के पानी के फायदे पीलिया रोग में भी देखा गया है। इसके लिए इसमें स्वादानुसार देसी गुड़ मिलाकर पीना होता है।
  • कैंसर में जौ का पानी तथा जौ के जवारे का रस पीना होता है। इसमें कुछ मिलाये बिना ही पीना होता है। 
  • अस्थमा की शिकायत होने पर जौ के पानी को हल्दी के साथ उबालकर तथा शहद मिलाकर पिया जाता है। इसका भाप लेने से भी फायदा होता है। 
  • जौ का पानी पेट की गर्मी शांत करता है तथा मुंह सूखने की समस्या भी ठीक करता है। यह लू लगने से भी बचाता है। 
  • जौ का पानी पीने से डायबिटीज में बहुत फायदा होता है। यह इन्सुलिन सहनशीलता को बढ़ाता है तथा शुगर लेवल कम करता है। 
  • हाइपर एसिडिटी की समस्या में जौ का पानी फायदेमंद है। 
  • जौ के पानी के फायदे रोग – प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी है। यह बुखार भी ठीक करता है। पहले लोग बीमार होते थे तो पथ्य के रूप में बार्ली आटा उबालकर दिया जाता था। यह औषधि की तरह काम करता है। आजकल मेडिकल स्टोर पर जौ का पानी मिलता है। 

 जौ का पानी ठंढा होता है ,इसलिए जिनकी प्रकृति कफ की है ,वे जौ को उबालकर तब उसका पानी अलग करें और गुनगुना पिएं। 

जौ का पानी कैसे बनाएं ? How to prepare Barley Water 

साबुत जौ अर्थात भूसी के साथ जौ / unhulled barley को धोकर 7 – 8 घंटे के लिए भिगो दें। 

इसे धूप में अच्छी तरह सूखाकर दरदरा पीस लें। इसे एयर टाइट डब्बे में स्टोर कर लें। 

2 चम्मच यह दरदरा पीसा हुआ जौ कूट एक गिलास पानी में डालकर रात भर रहने दें। 

सुबह इस पानी को छान कर अलग कर लें। इस तरह जौ का पानी तैयार हो गया। सर्दी के मौसम में या जिनकी कफ प्रकृति है वे इसे 5 मिनट के लिए उबालकर तब छान कर पानी अलग करें। इस पानी में शहद ,गुड़ ,मिश्री ,सेंधा नमक तथा देसी खांड जरुरत अनुसार मिलाया जा सकता है |

 जौ के इस्तेमाल में सावधानी 

  • जौ में ग्लूटेन मौजूद है ,इसलिए जिन लोगों को व्हीट एलर्जी है या celiac disease है ,वे जौ का प्रयोग नहीं करें। 
  • जौ में फाइबर की उच्च मात्रा है ,इसलिए इसे ज्यादा मात्रा में नहीं खाये। 
  • जौ के फायदे लेने हैं तो साबुत जौ का सेवन करें। पर्ल बार्ली और जौ फलेक्स का उपयोग कम करें। 
  • जिनका पाचन शक्ति कमजोर है ,वे जौ के पानी का प्रयोग करें। जौ की रोटी के जगह वे जौ का दलिया और जौ का सूप या जौ की रबड़ी खाये। 

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