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]]>अदरक की तरह हल्दी भी एक भूमिगत रूपांतरित तना है |यह भी zingiberaceae फैमिली के अंतर्गत आता है | इसका बोटैनिकल नाम Curcuma longa है | इसका राइज़ोम हल्के भूरे रंग का होता है। इसके ऊपर पतली परत होती है जिसे हटाते ही चटक नारंगी रंग की हल्दी दिखती है | इसे उबालकर सुखाते हैं , तब यह मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है |
हल्दी का औषधीय गुण इसमें मौजूद तत्व curcumin के कारण है | Curcumin एक एंटीऑक्सीडेंट है | हल्दी के फायदे और हल्दी की गुणवत्ता इसमें मौजूद करक्यूमिन पर निर्भर करती है | भारतीय haldi में करक्यूमिन की मात्रा सबसे ज्यादा होती है | यह प्राकृतिक रूप से एंटी वायरल ,एंटी बैक्टीरियल ,एंटी कैंसर , एंटीसेप्टिक ,एंटीबायोटिक ,कार्डिओ प्रोटेक्टिव और नेफ्रो प्रोटेक्टिव है |
हल्दी के फायदे इसमें मौजूद पोषक तत्वों के कारण नहीं है क्योंकि यह बहुत कम मात्रा में प्रयोग किया जाता है |इसकी गुणवत्ता इसमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स के कारण है |
पौष्टिक तत्व | प्रति 100 ग्राम |
पानी | 12.85 gm |
एनर्जी | 312 kcal |
प्रोटीन | 9.68 gm |
टोटल लिपिड (फैट) | 3.25 gm |
ऐश | 7.08 gm |
कार्बोहाइड्रेट | 67.14 gm |
फाइबर, टोटल डायटरी | 22.7 gm |
शुगर, टोटल इंक्लूडिंग एनआईए (NLEA) | 3.21gm |
कैल्शियम | 168 mg |
आयरन | 55 mg |
मैग्नीशियम | 208 mg |
फास्फोरस | 299 mg |
पोटेशियम | 2080 mg |
सोडियम | 27 mg |
जिंक | 4.5 mg |
कॉपर | 1.3 mg |
मैंगनीज | 19.8 mg |
सेलेनियम | 6.2 mcg |
विटामिन सी, टोटल एस्कॉर्बिक एसिड | 0.7 mg |
थायमिन | 0.058 mg |
राइबोफ्लेविन | 0.15 mg |
नियासिन | 1.35 mg |
पैंटोथैनिक एसिड | 0.542 mg |
विटामिन बी-6 | 0.107 mg |
फोलेट | 20 mcg |
कोलीन, | 49.2 mg |
विटामिन ई (अल्फा-टोकोफेरॉल) | 4.43 mg |
विटामिन K | 13.4 mcg |
फैटी एसिड, टोटल सैचुरेटेड | 1.838 gm |
लिवर के डेटोक्सिफिकेशन के लिए हल्दी का प्रयोग किया जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स हमारे शरीर के एन्ज़इम्स के उत्पादन को बढ़ा देते हैं | यह विषाक्त पदार्थ को तोड़कर उसकी मात्रा को कम कर देते है | Haldi रक्त संचार को भी बढ़ाने का कार्य करता है | ये सब कारक मिलकर संयुक्त रूप से लिवर को विषाक्त पदार्थ से मुक्त करते हैं | हल्दी का प्रयोग प्राकृतिक रूप से हेपटोप्रोटेक्टिव औषधि के रूप में किया जाता है | हल्दी के फायदे उठाने के लिए हल्दी की चाय पीनी चाहिए |
हल्दी के फायदे इन्सुलिन लेवल को कम करने के लिए भी है। इसका कारण है इसमें मौजूद curcumin ,जो कोशिकाओं के द्वारा ग्लूकोज़ को अब्सॉर्ब करने में मदद करता हैं। इसलिए रक्त में ज्यादा इन्सुलिन की आवश्यकता नहीं होती। रक्त में मौजूद कम इन्सुलिन से ही ग्लूकोज का लेवल कम हो जाता है। सामान्य शब्दों में कहा जाये तो इन्सुलिन रेजिस्टेंस कम करने में हल्दी के फायदे बहुत हैं | टाइप -2 डायबिटीज की शुरुआत हो रही हो तो इसका सेवन करने से यह शुरू में ही ठीक हो जाता है। यदि हल्दी का सेवन भी कर रहे है और इन्सुलिन की उच्च मात्रा भी ले रहे हैं तो संभव है हाइपोग्लाइसीमिया अर्थात लो ग्लूकोज लेवल की स्थिति उत्पन्न हो जाये। इसलिए इस बात का ध्यान रखते हुए हल्दी का सेवन करें और अपने डॉक्टर को अपने शुगर लेवल की जानकारी दें।
और पढ़ें ; इन्सुलिन रेसिस्टेन्स क्या होता है ?
हल्दी में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं | जिस कारण हल्दी के फायदे ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड आर्थराइटिस दोनों में है | हल्दी के सेवन से गठिया में होने वाले दर्द और सूजन दोनों में आराम मिलता है। इसका प्रभाव एंटी इंफ्लेमेटरी दवाइयों से भी ज्यादा अच्छा देखा गया है। हल्दी की इस विशेषता का कारण इसमें पाया जाने वाला करक्यूमिन तत्व है |
हल्दी के फायदे ह्रदय को स्वस्थ रखने में भी है | यह रक्त वाहिकाएं की कोशिकाओं को सख्त नहीं होने देता | व्यायाम करने से जो लचीलापन रक्त वाहिकाएं में आती हैं ,वह लचीलापन हल्दी के सेवन से भी आती है | इसमें मौजूद पोटैशियम और विटामिन B6 भी इसे ह्रदय के लिए उत्तम बनाता है। Curcumin के कारण इन्फ्लेमेशन और ऑक्सीडेशन दोनों से बचाव होता है | ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होने से ह्रदय स्वस्थ रहता है | यह ब्लड थिनर की तरह भी कार्य करता है जिससे शरीर में रक्त संचार सुचारू रूप से हो पाता है | इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल में भी कमी देखने को मिलती है |
यदि त्वचा कहीं से जल जाये या कट जाये तो उस जगह पर हल्दी का लेप लगाएं। इसमें एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुण होते हैं। जिससे घाव जल्दी भर जाता है। इससे सूजन भी जल्दी ठीक हो जाता है। इसका कारण है इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण का होना। हल्दी की चाय पीने से शरीर में कहीं भी सूजन हो जल्दी ठीक हो जाता है। हल्दी के फायदे हर प्रकार के दर्द ठीक करने में भी है।
हल्दी में lipopolysaccharides नामक पदार्थ होते हैं जो शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाते हैं। इसमें एंटीवायरल ,एंटीबैक्टीरियल ,एंटीफंगल एजेंट होते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मदद करते हैं। इसमें इंफ्लामेशन को कम करने का भी गुण होता है। इन सभी गुणों के कारण यदि गले में दर्द ,खराश ,फ्लू के लक्षण दिखे तो एक चौथाई चम्मच हल्दी चूर्ण गुनगुने पानी के साथ रात में ले, सुबह तक हल्दी के फायदे देखकर आश्चर्यचकित रह जायेंगे। इसे इतना प्रभावी बनाता है इसमें मौजूद करक्यूमिन |
हल्दी में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स के कारण फ्री रेडिकल्स के दुष्प्रभाव से शरीर का बचाव होता है। इसमें मौजूद करक्यूमिन एंटीऑक्सिडेंट्स कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकता है। यह कीमोथेरेपी के प्रभाव को बढ़ाने में भी मदद करता है। यह कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में भी सक्षम पाया गया है।
एक अध्ययन में देखा गया कि करक्यूमिन के प्रयोग से लोगों के बॉडी मास इंडेक्स ,कमर की चौड़ाई और वजन में कमी आयी। हल्दी के प्रयोग से पित्त का प्रवाह बढ़ता है ,मेटाबोलिक रेट बढ़ता है ,जिससे भोजन में मौजूद फैट को तोड़ने में मदद मिलती है। इस तरह वजन कम करने में भी हल्दी के फायदे हैं। इसके लिए हल्दी की चाय पियें |
हल्दी पाचन के लिए पित्त के श्राव को बढ़ाती है। इससे पाचन में सुधार आता है। इससे पेट का अफ़रना ,गैस बनने की समस्या दोनों में आराम मिलता है। पाचन समस्या को दूर करने के लिए कच्ची हल्दी का प्रयोग ज्यादा अच्छा होता है। हल्दी के फायदे पेट के कीड़े से छुटकारा दिलाने में भी है।
खांसी चाहे सूखी हो या बलगम वाली दोनों ही कफ़ दोष के कारण होती है। हल्दी की तासीर गर्म होती है और इसमें मौजूद तत्व कफ़ दोष को संतुलित करते हैं। इसलिए इसके सेवन से हर तरह की खांसी ठीक होती है। हल्दी की प्रकृति उष्ण और कफ़ को शमन करने वाली है इसलिए हल्दी के फायदे जुकाम ठीक करने में भी है। जुकाम ज्यादा हो तो रात को सोने से पहले हल्दी का धुआँ सूंघे ,इसके बाद पानी नहीं पियें। सुबह तक आराम मिल जायेगा |
हल्दी में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीबायोटिक गुण होते हैं। इस कारण पायरिया में जब मसूड़ों की मालिश सरसों तेल या नारियल तेल में हल्दी का चूर्ण डालकर किया जाता है ,तो यह ठीक हो जाता है। सुबह शाम दोनों समय हलके हाथों से मालिश करें |
अल्ज़ाइमर मस्तिष्क सम्बन्धी समस्या है ,जिसमें व्यक्ति धीरे धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है। बढ़ती उम्र के साथ इसका खतरा बढ़ता जाता है। इस समस्या को कम करने में हल्दी के फायदे हैं । करक्यूमिन एंटीऑक्सीडेंट और हल्दी का एंटी इंफ्लेमेटरी गुण अल्ज़ाइमर की स्थिति में सुधार लाता है। यह अल्ज़ाइमर के कारण होने वाली मस्तिष्क की सूजन को कम करता है। यह रक्त संचार को सही कर ऑक्सीजन के प्रवाह को सुधारने में मदद करता है | जिससे मस्तिष्क का स्वास्थ्य उत्तम बनता है |
त्वचा सम्बन्धी सभी प्रकार की समस्या चाहे फोड़े- फुंसी की समस्या हो ,सन बर्न की समस्या ,दाग-धब्बे ,झाइयाँ ,झुर्रियां ,इन सभी समस्याओं में हल्दी प्रभावी रूप से असर दिखाता है | इसके चूर्ण को दूध में मिलाकर लगायें। सूख जाने के बाद धो लें | हल्दी में पाए जाने वाले एंटीसेप्टिक और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण के कारण फोड़े -फुंसी ठीक हो जाते हैं और सूजन भी ठीक हो जाता है। यह दाग धब्बे ख़त्म कर चेहरे की रंगत एक जैसा बनाता है और निखार भी लाता है | हल्दी के फायदे त्वचा की रंगत निखारने में भी है , यही कारण है कि शादी -ब्याह में हल्दी का उबटन लगाया जाता है |
चिंता और अवसाद की स्थिति में हल्दी की चाय पियें। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स मूड को ठीक करने में सक्षम है | यह रक्त संचार को ठीक करता है ,इससे मस्तिष्क तक ऑक्सीजन उचित मात्रा में पहुँच पाता है और मन की स्थिति शांत होती है |
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]]>हल्दी का इस्तेमाल प्राचीन काल से भोजन पकाने और औषधि के रूप में किया जाता रहा है | भारत के हर घर में हल्दी की मौजूदगी होती है ,इसके बिना भारतीय रसोई की कल्पना नहीं की जा सकती | भारत में इसे धार्मिक कार्यों में भी प्रयोग किया जाता रहा है | भारत विश्व में सबसे ज्यादा हल्दी उगाने , खाने और निर्यात करने वाला देश है | हमारे यहाँ इसकी खेती आंध्र प्रदेश , बिहार , उड़ीसा , पश्चिम बंगाल , कर्नाटक और केरल में की जाती है |
अदरक की तरह हल्दी भी एक भूमिगत रूपांतरित तना है |यह भी zingiberaceae फैमिली के अंतर्गत आता है | इसका बोटैनिकल नाम Curcuma longa है | इसका राइज़ोम हल्के भूरे रंग का होता है। इसके ऊपर पतली परत होती है जिसे हटाते ही चटक नारंगी रंग की हल्दी दिखती है | इसे उबालकर सुखाते हैं , तब यह मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है |
हल्दी का औषधीय गुण इसमें मौजूद तत्व curcumin के कारण है | Curcumin एक एंटीऑक्सीडेंट है | Haldi की गुणवत्ता इसमें मौजूद करक्यूमिन पर निर्भर करती है | भारतीय haldi में करक्यूमिन की मात्रा सबसे ज्यादा होती है | यह प्राकृतिक रूप से एंटी वायरल ,एंटी बैक्टीरियल ,एंटी कैंसर , एं
पोषण की दृष्टि से haldi का ज्यादा महत्त्व नहीं है ,क्योंकि यह बहुत कम मात्रा में प्रयोग की जाती है |इसकी गुणवत्ता इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स के कारण है |
पौष्टिक तत्व | प्रति 100 ग्राम |
पानी | 12.85 ग्राम |
एनर्जी | 312 केसीएल |
प्रोटीन | 9.68 ग्राम |
टोटल लिपिड (फैट) | 3.25 ग्राम |
ऐश | 7.08 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट | 67.14 ग्राम |
फाइबर, टोटल डायटरी | 22.7 ग्राम |
शुगर, टोटल इंक्लूडिंग एनआईए (NLEA) | 3.21ग्राम |
कैल्शियम | 168 मिलीग्राम |
आयरन | 55 मिलीग्राम |
मैग्नीशियम | 208 मिलीग्राम |
फास्फोरस | 299 मिलीग्राम |
पोटेशियम | 2080 मिलीग्राम |
सोडियम | 27 मिलीग्राम |
जिंक | 4.5 मिलीग्राम |
कॉपर | 1.3 मिलीग्राम |
मैंगनीज | 19.8 मिलीग्राम |
सेलेनियम | 6.2 माइक्रोग्राम |
विटामिन सी, टोटल एस्कॉर्बिक एसिड | 0.7 मिलीग्राम |
थियामिन | 0.058 मिलीग्राम |
राइबोफ्लेविन | 0.15 मिलीग्राम |
नियासिन | 1.35 मिलीग्राम |
पैंटोथैनिक एसिड | 0.542 मिलीग्राम |
विटामिन बी-6 | 0.107 मिलीग्राम |
फोलेट, कुल | 20 माइक्रोग्राम |
कोलीन, कुल | 49.2 मिलीग्राम |
बीटेन | 9.7 मिलीग्राम |
विटामिन ई (अल्फा-टोकोफेरॉल) | 4.43 मिलीग्राम |
विटामिन के (फिलोक्विनोन) | 13.4 माइक्रोग्राम |
फैटी एसिड, टोटल सैचुरेटेड | 1.838 ग्राम |
लिवर के डेटोक्सिफिकेशन के लिए हल्दी का प्रयोग किया जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स हमारे शरीर के एन्ज़इम्स के उत्पादन को बढ़ा देते हैं | यह विषाक्त पदार्थ को तोड़कर उसकी मात्रा को कम कर देते है | Haldi रक्त संचार को भी बढ़ाने का कार्य करता है | ये सब कारक मिलकर संयुक्त रूप से लिवर को विषाक्त पदार्थ से मुक्त करते हैं | Haldi को प्राकृतिक रूप से हेपटोप्रोटेक्टिव औषधि के रूप में किया जाता है | इसके लिए हल्दी की चाय पीनी चाहिए |
Haldi का प्रयोग करने से रक्त में ग्लूकोज लेवल कम होता है। इस तरह यह इन्सुलिन के स्तर को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसका कारण है इसमें मौजूद curcumin ,जो कोशिकाओं के द्वारा ग्लूकोज़ को अब्सॉर्ब करने में मदद करती हैं। इससे रक्त में ग्लूकोज का लेवल कम हो जाता है। टाइप -2 डायबिटीज की शुरुआत हो रही हो तो इसका सेवन करने से यह शुरू में ही ठीक हो जाता है। Haldi का सेवन भी कर रहे है और इन्सुलिन की उच्च मात्रा भी ले रहे हैं तो संभव है हाइपोग्लाइसीमिया अर्थात लो ग्लूकोज लेवल की स्थिति उत्पन्न हो जाये। इसलिए इस बात का ध्यान रखते हुए हल्दी का सेवन करें और अपने डॉक्टर को अपने शुगर लेवल की जानकारी दें।
Haldi में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जिस कारण ऑस्टिओआर्थराइटिस और रूमेटाइड आर्थराइटिस दोनों में इसका सेवन उत्तम माना जाता है | हल्दी के सेवन से गठिया में होनेवाले दर्द और सूजन दोनों में आराम मिलता है। इसका प्रभाव एंटी इंफ्लेमेटरी दवाइयों से भी ज्यादा अच्छा देखा गया है। इसकी इस विशेषता का कारण इसमें पाया जाने वाला करक्यूमिन तत्व है |
Haldi का उपयोग ह्रदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है | यह रक्त वाहिकाएं की कोशिकाओं को सख्त नहीं होने देता | व्यायाम करने से जो लचीलापन रक्तवाहिकाएं में आती हैं वही लचीलापन हल्दी के सेवन से भी आती है | इसमें मौजूद पोटैशियम और विटामिन B 6 भी इसे ह्रदय के लिए उत्तम बनाता है। Curcumin के कारण इन्फ्लामेशन और ऑक्सीडेशन दोनों से बचाव होता है | ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होने से ह्रदय स्वस्थ रहता है | यह ब्लड थिनर की तरह भी कार्य करता है जिससे शरीर में रक्त संचार सुचारु रूप से हो पाता है | इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल में भी कमी देखने को मिलती है |
यदि त्वचा कहीं से जल जाये या कट जाये तो उस जगह पर हल्दी का लेप लगायें। इसमें एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुण होते हैं। जिससे घाव जल्दी भर जाता है। इससे सूजन भी जल्दी ठीक हो जाता है। इसका कारण है इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण का होना। हल्दी की चाय पीने से शरीर में कहीं भी सूजन हो जल्दी ठीक हो जाता है। शरीर में होनेवाली हर तरह की दर्द भी ठीक होती हैं।
हल्दी में lipopolysaccharides नामक पदार्थ होते हैं जो शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाते हैं। इसमें एंटीवायरल ,एंटीबैक्टीरियल ,एंटीफंगल एजेंट होते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मदद करते हैं। इसमें इंफ्लामेशन को कम करने का भी गुण होता है। इन सभी गुणों के कारण यदि गले में दर्द ,खराश ,फ्लू के लक्षण दिखे तो एक चौथाई चम्मच हल्दी चूर्ण गुनगुने पानी के साथ रात में लेने से सुबह तक आराम मिल जाता है। इसे इतना प्रभावी बनाता है इसमें मौजूद करक्यूमिन |
हल्दी में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स के कारण फ्री रेडिकल्स के दुष्प्रभाव से शरीर का बचाव होता है। इसमें मौजूद करक्यूमिन एंटीऑक्सिडेंट्स कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकता है। यह कीमोथेरेपी के प्रभाव को बढ़ाने में भी मदद करता है। यह कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में भी सक्षम पाया गया है।
एक अध्ययन में देखा गया कि करक्यूमिन के प्रयोग से लोगों के बॉडी मास इंडेक्स ,कमर की चौड़ाई और वजन में कमी आयी। हल्दी के प्रयोग से पित्त का प्रवाह बढ़ता है ,मेटाबोलिक रेट बढ़ता है ,जिससे भोजन में मौजूद फैट को तोड़ने में मदद मिलती है। वजन कम करने के लिए हल्दी की चाय पियें |
हल्दी पाचन के लिए पित्त के श्राव को बढ़ाती है। इससे पाचन में सुधार आता है। इससे पेट का अफ़रना ,गैस बनने की समस्या दोनों में आराम मिलता है। पाचन समस्या को दूर करने के लिए कच्ची हल्दी का प्रयोग ज्यादा अच्छा होता है। यह पेट के कीड़े से भी छुटकारा दिलाती है।
खांसी चाहे सूखी हो या बलगम वाली दोनों ही कफ़ दोष के कारण होती है। हल्दी की तासीर गर्म होती है और इसमें मौजूद तत्व कफ़ दोष को संतुलित करते हैं। इसलिए इसके सेवन से हर तरह की खांसी ठीक होती है। इसकी प्रकृति उष्ण और कफ़ को शमन करने वाली है इसलिए इससे जुकाम भी ठीक होता है। जुकाम ज्यादा हो तो रात को सोने से पहले हल्दी का धुआँ सूंघे ,इसके बाद पानी नहीं पियें। सुबह तक आराम मिल जायेगा |
हल्दी में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीबायोटिक गुण होते हैं। इस कारण पायरिया में जब मसूड़ों की मालिश सरसों तेल या नारियल तेल में हल्दी का चूर्ण डालकर किया जाता है ,तो यह ठीक हो जाता है। सुबह शाम दोनों समय हलके हाथों से मालिश करें |
अल्ज़ाइमर मस्तिष्क सम्बन्धी समस्या है ,जिसमें व्यक्ति धीरे धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है। बढ़ती उम्र के साथ इसका खतरा बढ़ता जाता है। इस समस्या को कम करने में हल्दी फायदेमंद साबित होती है। करक्यूमिन एंटीऑक्सीडेंट और haldi का एंटी इंफ्लेमेटरी गुण अल्ज़ाइमर की स्थिति में सुधार लता है। यह अल्ज़ाइमर के कारण होने वाली मस्तिष्क की सूजन को कम करता है। यह रक्त संचार को सही कर ऑक्सीजन के प्रवाह को सुधारने में मदद करता है | जिससे मस्तिष्क का स्वास्थ्य उत्तम बनता है |
त्वचा सम्बन्धी सभी प्रकार की समस्या चाहे फोड़े- फुंसी की समस्या हो ,सन बर्न की समस्या ,दाग-धब्बे ,झाइयाँ ,झुर्रियां ,इन सभी समस्याओं में हल्दी प्रभावी रूप से असर दिखाता है | इसके चूर्ण को दूध में मिलाकर लगायें। सूख जाने के बाद धो लें | Haldi में पाए जाने वाले एंटीसेप्टिक और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण के कारण फोड़े -फुंसी ठीक हो जाते हैं और सूजन भी ठीक हो जाता है। यह दाग धब्बे ख़त्म कर चेहरे की रंगत एक जैसा बनाता है और निखार भी लाता है | इसकी इसी ख़ासियत के कारण शादी -ब्याह में हल्दी का उबटन लगाया जाता है |
चिंता और अवसाद की स्थिति में हल्दी की चाय पियें। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स मूड को ठीक करने में सक्षम है | यह रक्त संचार को ठीक करता है ,इससे मस्तिष्क तक ऑक्सीजन उचित मात्रा में पहुँच पाता है और मन की स्थिति शांत होती है |
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