हाई ब्लड प्रेशर अर्थात उच्च रक्तचाप को हाइपरटेंशन भी कहा जाता है। हाइपरटेंशन में रक्त का दबाव धमनी की भित्ति पर बढ़ जाता है। शरीर में गर्मी ज्यादा उत्पन्न होती है तथा मस्तिष्क और अन्य अंगों को रक्त अतिरिक्त दबाव के साथ झटके से प्राप्त होता है। हाई ब्लड प्रेशर कम करने में प्राणायाम और योगाभ्यास बहुत असरकारी होते हैं। हाई ब्लड प्रेशर कम करने के लिए उन प्राणायाम और योगाभ्यास का चयन किया जाता है जिनसे शरीर को शीतलता प्रदान हो ,मस्तिष्क शांत हो और अंगो को उचित ऑक्सीजन प्राप्त हो। इस लेख में हाई बीपी को नार्मल लेवल पर लाने के लिए किये जाने वाले प्राणायाम के विषय में जानेंगे। 

हाई ब्लड प्रेशर के लिए प्राणायाम

हाई ब्लड प्रेशर कम करने के लिए  प्राणायाम / Pranayama for lowering high blood pressure 

नाड़ी शुद्धि प्राणायाम / नाड़ी शोधन प्राणायाम / Nadi Shuddhi Pranayama 

नाड़ी शुद्धि प्राणायाम शरीर और मन को शांत करती है। यह शरीर को ठंढक प्रदान करती है। यह घबराहट ,बेचैनी और नींद की परेशानी को भी ठीक करती  है। इसका अभ्यास सुबह खाली पेट करनी चाहिए। प्राणायाम कोई भी करें सुबह खाली पेट ही करें। प्राणायाम की शुरुआत नाड़ी शोधन प्राणायाम से करनी चाहिए। 

इसके लिए दरी या मैट पर सुखासन , पद्मासन या सिद्धासन में बैठे। अपनी पीठ और गर्दन को सीधा रखें। 

सबसे पहले लम्बी सांस लें और छोड़ें। अब दाएं हाथ के अंगूठे  से दाएं नासिका / right nostril को बंद करें। बायां हाथ ज्ञान मुद्रा में घुटने पर रहेगा। 

बाएं नासिका से लम्बी श्वास अंदर भरें और बिना अंदर श्वास रोके , लम्बी श्वास बाएं नासिका से ही बाहर निकाल दें। जितना समय श्वास अंदर लेने में लगा उतना ही समय श्वास को बाहर निकालने में भी लगना चाहिए। इसके लिए मन में गिनती 5 तक करें श्वास लेते समय भी और श्वास छोड़ते समय भी। 

पांच बार बाएं नासिका से श्वास लेने और छोड़ने के बाद अब दाएं नासिका से इसी तरह श्वास लेना और छोड़ना है। बाएं नासिका को  बंद करने के लिए दाएं हाथ का ही प्रयोग करें। 

इसमें दो बातें ध्यान देनी होगी ,शुरुआत हमेशा बाएं नासिका से ही करें तथा श्वास लेने और श्वास छोड़ने में समान समय लगना चाहिए। 

यह नाड़ी शुद्धि प्राणायाम का सिंपल वेरिएशन है , इसका एडवांस वेरिएशन भी होता है। जिसमें अन्तः कुम्भक और बाह्य कुम्भक दोनों लगता है। श्वास भरने के बाद श्वास को अंदर रोकना अन्तः कुम्भक और श्वास छोड़ने के बाद श्वास लेने में रुकना बाह्य कुम्भक कहलाता है।अनुलोम विलोम को कुम्भक के साथ किया जाये तो एडवांस वेरिएशन का नाड़ी  शोधन प्राणायाम कहलाता है। हाई ब्लड प्रेशर कम करने के लिए पहले सिंपल फिर एडवांस वेरिएशन का नाड़ी  शोधन प्राणायाम करें। 

हाई ब्लड प्रेशर कम करने के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम / Anulom Vilom Pranayama 

अनुलोम विलोम प्राणायाम शरीर को भरपूर ऑक्सीजन प्रदान करता है। इससे मस्तिष्क शांत होती है। यह शरीर को ठंढा रखता है। यह शरीर की गर्मी शांत करने के साथ साथ उच्च रक्तचाप कम करने का भी काम करता है। श्वास अंदर भरते समय आराम से ठंढी साँसों को महसूस करते हुए श्वास भरने से यह ज्यादा असरकारी होता है। 

इसके लिए दरी या मैट पर सुखासन , पद्मासन या सिद्धासन में बैठे। अपनी पीठ और गर्दन को सीधा रखें। 

सबसे पहले लम्बी सांस लें और छोड़ें। अब दाएं हाथ के अंगूठे  से दाएं नासिका / right nostril को बंद करें। बायां हाथ ज्ञान मुद्रा में घुटने पर रहेगा। बाएं नासिका अर्थात चंद्र स्वर से श्वास अंदर भरें ,अब बाएं नासिका को बंद कर दाएं नासिका से श्वास बाहर निकाले। फिर दाएं नासिका से ही श्वास अंदर भरें और बाएं नासिका से श्वास बाहर निकालें। अब बाएं नासिका से श्वास अंदर भरें और दाएं नासिका से बाहर निकालें। इसी तरह यह क्रम चलता रहेगा। 

इसमें ध्यान रखने वाली बातें हैं – दाएं हाथ की उँगलियों से ही नासिका को बंद करें ,बाएं हाथ का प्रयोग नहीं करें। पहला श्वास बाएं नासिका से ही अंदर भरना है। श्वास अंदर भरने और बाहर निकालने में समान अवधी लगनी चाहिए। इसमें न तो अन्तः कुम्भक लगाना है और न ही बाह्य कुम्भक। 

हाई ब्लड प्रेशर कम करने में रामबाण शीतली प्राणायाम / Shitali Pranayama 

शीतली प्राणायाम करने से शरीर की गर्मी शांत होती है , पित्त दोष शांत होता  है ,मस्तिष्क की थकावट दूर होती  है। 

यह लिवर के कार्य को बेहतर बनाता है तथा बाइलजूस का श्राव बढ़ाता है। फोड़े – फुंसी भी ठीक होते हैं। इसे करने से नींद भी अच्छी आती है। तनाव भी  यह कम करता है। इससे एसिडिटी की समस्या भी ठीक होती है तथा इम्यून सिस्टम बेहतर होता है। यह शरीर को हाइड्रेट रखता है। हाई ब्लड प्रेशर कम करने के लिए यह अति उत्तम प्राणायाम है। 

इसके लिए दरी या मैट पर सुखासन , पद्मासन या सिद्धासन में बैठे। अपनी पीठ और गर्दन को सीधा रखें। हाथों को ज्ञान मुद्रा में घुटने पर रखें। 

इसमें जीभ को स्ट्रॉ की तरह मोड़ते हैं। इसके लिए ओठ से छोटा O का आकर बनाते हैं और जीभ को थोड़ा बाहर निकाल स्ट्रॉ की तरह फोल्ड करते हैं। यदि जीभ फोल्ड नहीं हो पा रहा हो तो होंठो से छोटा O बनाते हुए श्वास अंदर भरते हैं। श्वास ठंढी महसूस होगी क्योंकि श्वास को अंदर जाने के लिए कम सरफेस एरिया मिला। 

श्वास अंदर भरकर श्वास को सामर्थ्यानुसार अंदर रोक कर रखते हैं। इसके लिए श्वास अंदर भरने के बाद गले को नीचे कर ठुड्डी को छाती से टिकाते हैं। सामर्थ्यानुसार श्वास रोकने के बाद गर्दन सीधा कर नाक से श्वास बाहर निकाल देते हैं। ऐसा 3 बार ,5 ,7 ,9 ,11 या 21 बार अपनी क्षमता अनुसार करते हैं। 

चन्द्रभेदी प्राणायाम / Chandrabhedi Pranayam

चन्द्रभेदी प्राणायाम करने से मानसिक तनाव दूर होता है। यह आँखों के लिए भी बहुत अच्छा होता है। यह शरीर को ठंढा रखता है।चनद्रभेदी प्राणायाम करने से त्वचा रोग दूर होता है ,पेट की गर्मी शांत होती है ,मुंह के छाले ठीक होते हैं , पित्ताशय का कार्य बेहतर होता है तथा थकान दूर होती है। हाई ब्लड प्रेशर कम करने के लिए चन्द्रभेदी प्राणायाम अवश्य करें। 

इसके लिए सुखासन में बैठकर ज्ञान मुद्रा में हाथों को रखें। पीठ और गर्दन सीधी रखें। 

दाएं हाथ के अंगूठे से दाएं नासिका को बंद करें। बाएं नासिका से लम्बी सांस अंदर भरें और बायीं नासिका को भी अपनी दाएं हाथ की ऊँगली से बंद करें। 

सामर्थ्यानुसार श्वास अंदर भर कर रखें। अब दाएं नासिका से अंगूठे को हटाएं और धीरे – धीरे श्वास बाहर छोड़ें। 

फिर से अंगूठे से दाएं नासिका बंद करें और श्वास अंदर बाएं नासिका से भरें। चन्द्रभेदी प्राणायाम का अभ्यास 10 मिनट करें। 

हमने श्वास बाएं नासिका से लिया जिसे चन्द्र स्वर कहते हैं और यह शीतल होता है। इसलिए इसे चन्द्रभेदी प्राणायाम कहा जाता है। 

इस तरह हमने चार प्राणायाम देखा जिनका उच्च रक्तचाप कम करने में बहुत ही ज्यादा असर देखा गया है। कोई भी दो प्राणायाम एक दिन में किया जाये 15 से 20 मिनट के लिए तो निश्चित लाभ मिलता है। 

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2 Comments

Sanjiv Sharma · September 24, 2021 at 10:51 am

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cardinals · September 15, 2022 at 3:26 am

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