किट

ख़राब जीवन शैली के कारण कई गंभीर बीमारियां लोगो के बीच आम बन चुकी है। डायबिटीज भी उनमें से एक है। पहले कहा जाता था कि डायबिटीज चालीस वर्ष की उम्र के बाद होने वाली बीमारी है | आज यह बच्चों और 20 वर्ष के जवानों में भी देखने को मिलता है | डायबिटीज /मधुमेह की स्थिति में ब्लड में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। यह एक ऐसा रोग है जिसे कण्ट्रोल तो किया जा सकता है पर पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता | यदि वक़्त रहते इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो इसके परिणाम जानलेवा होते हैं | 

डायबिटीज क्या है ?

ब्लड में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाना मधुमेह/डायबिटीज कहलाता है | यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब इन्सुलिन की कमी हो जाती है | इन्सुलिन का निर्माण अग्न्याशय में होता है | कार्बोहायड्रेट को ऊर्जा देनेवाले भोजन के रूप में जाना जाता है | जो हम कार्बोहायड्रेट खाते  हैं उससे हमें ग्लूकोज़ मिलता है | पाचन के बाद यह ग्लूकोज रक्त में चला जाता है | इस ग्लूकोज़ को हमारे शरीर के करोड़ो कोशिकाओं तक पहुँचाना होता है, जिससे हमारी कोशिकाएं ग्लूकोज को जलाकर शरीर को ऊर्जा प्रदान करे | यह कार्य तभी संभव है जब हमारे शरीर में पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन का उत्पादन हो | इन्सुलिन ही ग्लूकोज को शरीर की कोशिकाओं तक पहुँचाने में मदद करता है | इन्सुलिन की कमी होने से ग्लूकोज रक्त में ही एकत्रित होने लगता है | ऐसे में व्यक्ति को ऊर्जा नहीं मिल पाती और वह डायबिटीज /मधुमेह का रोगी हो जाता है | 

डायबिटीज / मधुमेह  के प्रकार – Types of diabetes in hindi 

  1. टाइप – 1 डायबिटीज 

टाइप -1 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन नहीं बना पाता है | प्रतिरक्षा प्रणाली अग्न्याशय में मौजूद बीटा सेल्स को नष्ट कर देते हैं , जबकि इन्हीं बीटा सेल्स के द्वारा इन्सुलिन का निर्माण होता है | यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। पर बच्चों और युवाओं में यह ज्यादा देखने को मिलता है | इसके रोगी को रोज़ाना इन्सुलिन लेना पड़ता है | यह आनुवंशिक भी हो सकता है | 

  1. टाइप – 2 डायबिटीज 

इसमें शरीर या तो इन्सुलिन उचित मात्रा में  बनाता ही नहीं है या इन्सुलिन का सही से इस्तेमाल नहीं कर पाता है | यह मधुमेह सबसे कॉमन है। यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है | 

  1. जेस्टेशनल डायबिटीज 

यह मधुमेह महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान होता है | डिलीवरी के बाद यह  ठीक हो जाता है | इसके होने के बाद टाइप – 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है | कई बार गर्भावस्था के दौरान टाइप – 2 मधुमेह भी हो जाता है | इसके कई कारण है जिनमें से मोटापा , हाई ब्लड प्रेशर , गर्भवती महिला का उम्र ज्यादा होना ,आनुवंशिक कारण , पहले कभी गर्भपात हुआ हो , PCOS की समस्या हो इत्यादि | 

डायबिटीज के लक्षण 

टाइप – 1 और टाइप -2 दोनों  डायबिटीज के लक्षण एक जैसे होते हैं | किसी भी प्रकार के मधुमेह के लक्षण रक्त और पेशाब में ग्लूकोज के लेवल बढ़ने से सम्बंधित होते हैं – 

  • मधुमेह में शरीर डिहाइड्रेट हो जाता है | इस कारण बहुत प्यास लगती है। रक्त में ग्लूकोज की मात्रा अधिक होने के कारण किडनी को रक्त साफ करने के लिए अधिक काम करना होता है | मूत्र के द्वारा अतिरिक्त शुगर को शरीर से बाहर निकलना होता है ,इसलिए बार बार पेशाब आने की समस्या रहती है | अतिरिक्त प्यास लगना और बार – बार पेशाब आना , यह मधुमेह का मुख्य लक्षण है | 
  • कोशिकाओं में ग्लूकोज नहीं पहुँचने के कारण शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है | जिससे हमेशा थकान महसूस होती है और जल्दी भूख लगने लगती है | 
  • मधुमेह के लक्षण को संक्षेप में देखते हैं –
  • शरीर में पानी की कमी 
  • ज्यादा प्यास लगना 
  • पहले से अधिक पेशाब आना 
  • भूख अधिक लगना
  • वजन का कम होना या बढ़ जाना 
  • घाव जल्दी ठीक नहीं होना 
  • थकान महसूस होना 
  • चक्कर आना 
  • उल्टी होना या मतली आना  
  • मुंह का सूखना
  • हाथ पैरों में  झुनझुनी होना या सुन्न होना 
  • आँखों की रोशनी कम होना 
  • हाथ  पैरों  और गुप्तांगों में खुजली वाले जख्म होना 

मधुमेह का परीक्षण / Diagnosis of diabetes 

यहाँ हम टाइप -1 डायबिटीज में नार्मल ब्लड शुगर चार्ट और टाइप – 2 डायबिटीज में नार्मल ब्लड शुगर चार्ट दे रहे हैं | इन आंकड़ों के अनुसार पता लगाया जा सकता है कि रक्त में ग्लूकोज का लेवल कितना होना चाहिए | नीचे बताये गए टेबल से ज्यादा या कम शुगर लेवल रहे तो डॉक्टर से संपर्क करे | 

टाइप 1 डायबिटीज चार्ट :

खाली पेट ग्लूकोज (Empty Stomach (GLUCOSE)MG/DLखाने के बाद ग्लूकोज (AFTER MEAL TEST GLUCOSE)MG/DLसोने से पहले ग्लूकोज (At bedtime GLUCOSE)MG/DL
90 to 130 mg/dL180 mg/dL से कम90 to 150 mg/dL

टाइप – 2 डायबिटीज चार्ट : 

खाली पेट ग्लूकोज (Empty Stomach (GLUCOSE)MG/DLखाने के बाद ग्लूकोज (AFTER MEAL TEST GLUCOSE)MG/DL
70 to 130 mg/dL180 mg/dL से कम

रक्त में ग्लूकोज को मापने के लिए विभिन्न प्रकार के ब्लड ग्लूकोज टेस्ट कराये जाते हैं। जिससे पता चलता है कि डायबिटीज है या नहीं 

  1. खाली पेट रक्त में ग्लूकोज की जाँच /Fasting Blood Sugar Test 

यह जांच सुबह 8 घंटे की फास्टिंग के बाद की जाती है | यह जांच सबसे कॉमन है | यदि जांच में ग्लूकोज का लेवल 130 mg /dl या उससे अधिक है तो मधुमेह की संभावना हो जाती है | 

  1. खाने के बाद रक्त में ग्लूकोज की जांच /Post Prandial Blood Glucose Test 

यह टेस्ट खाने के 2 घंटे बाद रक्त में ग्लूकोज के स्तर की जांच करने के लिए होती है। अगर ग्लूकोज का स्तर 180 mg /dl या उससे अधिक हो तो मधुमेह की आशंका होती है | 

  1. रैंडम ब्लड शुगर जांच / Random Blood Sugar Test 

दिन में किसी भी समय ब्लड में ग्लूकोज के स्तर की जांच की जाती है | स्वस्थ लोगों में रक्त में ग्लूकोज के स्तर पूरे दिन में एक समान ही रहते हैं , बहुत ज्यादा अंतर नहीं आता | इस टेस्ट में यदि ग्लूकोज का स्तर 180 mg /dl या उससे अधिक हो तो मधुमेह की आशंका होती है | 

  1. मौखिक ग्लूकोज सहिष्णुता जांच / Oral Glucose Tolerance Test 

रक्त में ग्लूकोज के स्तर की जाँच के लिए एक फास्टिंग का टेस्ट होता है | उसके बाद ग्लूकोज का पानी पिलाया जाता है। फिर एक घंटे बाद , 2 घंटे बाद और 3 घंटे बाद ब्लड सैंपल लिए जाते हैं और रक्त में ग्लूकोज का स्तर देखा जाता है | यदि ब्लड में  ग्लूकोज का स्तर 180 mg /dl या उससे अधिक हो तो डायबिटीज की आशंका होती है | 

  1. हीमोग्लोबिन A1C Test / Hemoglobin A1C Test

इसे ग्लाइको हीमोग्लोबिन टेस्ट भी कहते हैं। यह मापता है कि लाल रक्त कोशिकाओं में कितना ग्लूकोज मौजूद है | इस टेस्ट में पिछले 3 से 4 महीने में रक्त ग्लूकोज का स्तर जांचा जाता है | यह टेस्ट औसत ब्लड ग्लूकोज लेवल का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है | इस टेस्ट में यदि रक्त में ग्लूकोज का स्तर 6.5 % या अधिक हो तो डायबिटीज होने की सम्भावना होती है |  

डायबिटीज के कारण / Causes and Risk Factors  of Diabetes 

  1. टाइप – 1 डायबिटीज के कारण 
  • प्रतिरक्षा प्रणाली के द्वारा अग्न्याशय में इन्सुलिन का निर्माण करने वाली बीटा कोशिकाओं का नष्ट किया जाना | 
  • अग्न्याशय में किसी प्रकार का संक्रमण हो जाना | 
  • यह अनुवांशिक भी हो सकता है 
  • शरीर में विटामिन D का कम होना भी एक कारण हो सकता है 
  • कम उम्र में गाय का दूध शुरू कर देना और ज्यादा मात्रा में बच्चे को दूध पिलाने से भी इसकी संभावना रहती है | 
  1. टाइप – 2 डायबिटीज के कारण  और रिस्क फैक्टर 
  • अग्न्याशय के द्वारा इन्सुलिन हार्मोन का कम बनना। जिससे ग्लूकोज कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाता और रक्त में एकत्रित होने लगता है | 
  • वजन का अधिक होना भी इसका एक कारण होता है | टिश्यू जितने मोटे  होंगे , कोशिकाएं इन्सुलिन के कार्य में उतनी ही बढ़ा डालेंगी | 
  • कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का स्तर बढ़ा हुआ हो तब भी टाइप – 2 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। HDL कोलेस्ट्रॉल क कम होना भी इसका कारण बनता है 
  • शारीरिक गतिविधि कम होने से टाइप -2 मधुमेह की सम्भावना बढ़ जाती है, क्योंकि गतिविधि की कमी के कारण रक्त में मौजूद ग्लूकोज का उपयोग एनर्जी के रूप में नहीं हो पाता | 
  • हाई ब्लड प्रेशर भी इसका एक कारण होता है | 
  • अगर परिवार में किसी को टाइप -2 मधुमेह हो तो आपको भी यह होने की संभावना है |
  • उम्र के साथ भी इसके होने की संभावना बढ़ती जाती है |  
  • यदि किसी महिला को PCOS हो तो टाइप – 2 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है | 
  • यदि गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज हुआ हो तो टाइप -2 मधुमेह का खतरा रहता है | 
  • आहार में फल और कच्ची सब्जी का कम होना तथा मैदा ,चीनी ,अनाज और मिल्क प्रोडक्ट का ज्यादा होना भी इसका कारण होता है।  इनके अधिक सेवन से शरीर में फ्री रेडिकल्स की संख्या ज्यादा हो जाती है जो मधुमेह का कारण बनती है | 
  • जीवन शैली का ख़राब होना भी इसका एक कारण है। देर रात तक जागना और सुबह देर तक सोना या नींद कम लेना भी इसकी आशंका को बढ़ाता है | 
  • रात को देर से खाना , खाने के तुरंत बाद सो जाना , एक बार में कई प्रकार की चीज़े खाना ,खाने के बाद तुरंत पानी पीना , चाय -कॉफ़ी का अधिक सेवन करना ,शराब और धूम्रपान करना ये सभी टाइप – 2 डायबिटीज के रिस्क फैक्टर्स हैं |

         डायबिटीज से बचाव / How to prevent diabetes ?

टाइप – 1 डायबिटीज होने से रोका नहीं जा सकता पर स्वस्थ जीवन शैली अपनाने से इसके होने की सम्भावना को कम किया जा सकता है | यदि स्वस्थ जीवन शैली को अपनाया जाये और उचित आहार का सेवन किया जाये तो मधुमेह होने की आशंका नहीं होती | आइये देखते हैं कि हम किस तरह डायबिटीज से अपना बचाव कर सकते हैं –

उचित आहार का सेवन करे 

ड्राई फ्रूट्स का सेवन 

डायबिटीज से बचाव

ड्राई फ्रूट्स पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और इनमें एंटीऑक्सीडेंट्स भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। इनका नियमित सेवन किया जाये तो शरीर में फ्री रेडिकल्स की संख्या नियंत्रण में रहती है जिससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होता है | इनके सेवन से अग्न्याशय स्वस्थ रहता है तथा इन्सुलिन की मात्रा शरीर में पर्याप्त रहती है | सुबह की शुरुआत भिंगोये हुए ड्राई फ्रूट्स से करनी चाहिए। छोटे बच्चों में भी इसकी आदत डालनी चाहिए जिससे उन्हें मधुमेह से बचाया जा सके |

फल और कच्ची सब्जियों का सेवन  

बचाव

जिन्हें उचित मात्रा में फल , हरी सब्जी ,अंकुरित अनाज और सलाद खाने की आदत होती है ,उन्हें मधुमेह रोग नहीं होता | इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है , यह बहुत आसानी से पच  जाते हैं , इनकी प्रकृति क्षारीय होती है तथा यह एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं | यह अग्न्याशय को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं |

हरी पत्तियों का सेवन 

बचाव
डायबिटीज

करी पत्ता , धनिया पत्ता, नीम के पत्ते, अमरूद के पत्ते ,आम के पत्ते ,जामुन के पत्ते , पुदीना के पत्ते, तुलसी के पत्ते ,गिलोय के पत्ते ये सभी पत्ते बहुत फायदेमंद  होते हैं | इन सभी पत्तियों में एंटी डायबिटिक गुण होते हैं | इन्हें चबा कर भी खाया जा सकता है या इन पत्तों को उबालकर इनकी चाय भी पी जा सकती है | एक बार में एक प्रकार के पत्ते का चुनाव करें और इसकी चाय  पिए | लगातार एक ही प्रकार की पत्तियों की चाय के जगह बदल – बदल कर चाय पिए | ये लिवर को भी स्वस्थ रखते हैं तथा मधुमेह से भी बचाव करते हैं | 

अनाज, मांस और मिल्क प्रोडक्ट का कम सेवन करें 

चावल ,रोटी ,दाल ,दूध ,दूध से बनी चीजें ,चाय ,कॉफ़ी ये सभी सीमित मात्रा में खानी चाहिए। इन्हें पचाने में शरीर को अधिक मेहनत करनी होती है | ये शरीर में फ्री रेडिकल्स की मात्रा को बढ़ाते हैं। इसलिए भूख से कम अनाज खाने की सलाह दी जाती है | दूध का भी सेवन अपनी पाचन क्षमता तथा उम्र का ध्यान रखते हुए करना चाहिए | आवश्यकता से अधिक दूध, मांस, मछली का सेवन कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को बढ़ाता है जो मधुमेह का कारण बनता है |भोजन को अच्छी तरह से चबा – चबा कर खाये ,इससे अतिरिक्त भोजन करने से बच जायेंगे |

चीनी, मैदा और रिफाइंड ऑयल का सेवन नहीं करें

प्रोसेस्ड फ़ूड , जंक फ़ूड , फ्राइड फ़ूड , इन सभी चीज़ों का सेवन नहीं करना चाहिए | बच्चों को भी मैदा से बनी चीज़ों और जंक फ़ूड से दूर रखें | फ्राई करने के लिए रिफाइंड ऑयल  का प्रयोग  किया जाता है जो हमारे लिए बहुत हानिकारक साबित हो रहा है | इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत ज्याद होता है जिस कारण यह तेज़ी से ब्लड में शुगर रिलीज़ करते हैं। मैदा से बनी चीज़ें आंत में चिपक जाती हैंऔर पोषक तत्वों के अब्सॉर्प्शन में बाधा डालती हैं | जिससे शरीर में जरुरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।अंदरूनी अंगों को पोषक तत्व नहीं मिलते हैं और उनकी कार्यक्षमता कम हो जाती है| इनके सेवन से ट्राइग्लिसराइड बढ़ता है जो पैंक्रिअटिटिस और मधुमेह का कारण बनता है |  

व्यायाम करें 

शारीरिक गतिविधि मधुमेह को रोकने के लिए बहुत जरूरी है | सभी को सप्ताह में कम से कम पांच दिन व्यायाम जरूर करनी चाहिए | क्षमता अनुसार 15 से 30 मिनट योगा और व्यायाम करें | प्रतिदिन आधा घंटा वाकिंग करें। इससे अतिरिक्त शुगर एनर्जी में बदल जाता है। वजन नियंत्रण में रहता है तथा शरीर के अंगों  को उचित मात्रा में ऑक्सीजन मिलता है | यह सभी संयुक्त रूप से मधुमेह का बचाव करते हैं | 

पर्याप्त नींद लें 

रात को समय पर सो जाएं ,जिससे नींद भी आसानी से आ जाएगी और नींद भी पूरी होगी | पर्याप्त नींद लेने से शरीर तथा दिमाग दोनों एक्टिव रहते हैं तथा तनाव नहीं होता | देर रात जागने और देर तक सोने से हार्मोन का संतुलन बिगड़ता है | इन्सुलिन भी एक हार्मोन ही है | इसका उचित मात्रा में होना ही हमे मधुमेह से बचा सकता है | 

शराब और धूम्रपान न करें 

शराब और धूम्रपान डायबिटीज ही नहीं ,कई प्रकार की बीमारियों  का कारण बनते हैं | इनका सेवन नहीं करें |

डायबिटीज का बचाव संभव है जबकि इसका इलाज असंभव है | इसे केवल दवाइयों की सहायता से नियंत्रित किया जा सकता है | 


4 Comments

Sanjiv Sharma · November 28, 2020 at 6:23 am

Very wonderful information

    suss1978 · November 28, 2020 at 5:59 pm

    Thanks for motivation

Indradev Shukla · February 1, 2021 at 10:54 am

बहुत अच्छी जानकारी के लिये धन्यवाद।

    suss1978 · April 14, 2021 at 5:09 pm

    Thanks

Leave a Reply

Avatar placeholder

Your email address will not be published. Required fields are marked *