रागी इन दिनों बहुत ही लोकप्रिय अनाज बन चुका है। फिर भी अभी कुछ लोग इस बात से अनजान हैं कि रागी क्या है ? रागी के फायदे क्या हैं ? इस लेख में हम रागी से सम्बंधित कई बातें जानेंगे और रागी के फायदे भी विस्तार से जानेंगे। रागी की तासीर गर्म होती है और यह कफ दोष को शमन करने वाली होती है। चूँकि यह शुष्क और गर्म है ,इसलिए इससे पित्त और वात बढ़ने की सम्भावना रहती है। लेकिन रागी को पानी में भिगोने के बाद प्रयोग किया जाये तो पित्त में बढ़ोतरी नहीं होगी और घी का प्रयोग किया जाये तो वात दोष भी संतुलित रहेगा।
रागी क्या है ? रागी कौन सा अनाज है ?What is Ragi ?
रागी बहुत पुराना अनाज है। यह एक मोटा अनाज है। ज्वार ,बाजरा, प्रोसो की तरह रागी भी मिलेट है। यह पोएसी फैमिली के अंतर्गत आता है। इसकी बाली में से 6 -8 फिंगर की तरह छोटी बालियां निकलती हैं। पौधे को देखने में ऐसा लगता है कि पौधा कोई चीज़ पकड़ने के लिए अपने हाथ ऊपर की और उठाये हुए हैं। पौधे की आकृति के अनुरूप ही इसे English में Finger Millet कहा जाता है।
रागी कैसा दिखता है ?
रागी दिखने में कोदो मिलेट की तरह तथा राई की तरह दिखती है। ध्यान से देखा जाये तो यह कोदो से छोटा तथा राई से भी छोटा अनाज है। रागी लाल रंग का अनाज है जो एक तरफ से चपटा है तथा हल्का झुर्रीदार है।
रागी की खेती
रागी की कई किस्में हैं जैसे – भैरवी ,चिलिका ,शुव्रा ,GPU 45 ,VL -149 इत्यादि। रागी को तैयार होने में 3-4 महीने का समय लगता है। मानसून शुरू होते ही इसकी बुवाई आरम्भ कर दी जाती है। इसे गेहूं की तरह छींटकर भी बोया जाता है और धान की तरह रोपण विधि से भी इसकी बुवाई होती है। मध्य प्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,उड़ीसा ,कर्नाटक ,महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के लिए भैरवी किस्म उपयुक्त है। VL -149 आंध्र प्रदेश और तमिल नाडु को छोड़कर देश के सभी मैदानी और पठारी भागों के लिए उपयुक्त है।
रागी का नाम अन्य भाषाओं में / Ragi in other languages
हिंदी – रागी , मकरा , मंडुआ
इंग्लिश – Finger Millet , Poko grass
संस्कृत – मधूलिक ,नर्तक ,बहुपत्रक
उर्दू – मंडवा
कोंकणी – नाचणी
उड़िया – मांडिया
तेलुगु – रागुलु , तेदालु
तमिल – kezhvaragu , केलवारागु ,कयुर
कन्नड़ – रागी
पंजाबी – चालोदरा
मराठी – नाचणी
आसामी – मरुबा धान
बिहारी – मरुआ
गुजराती – पागली , नावतोनागली
बंगाली – मरुआ
रागी के पोषक तत्व / Nutritional value of Ragi / Finger millet
रागी ग्लूटेन मुक्त अनाज है। यह कैल्शियम और पोटेशियम का बहुत बढ़िया श्रोत है। यह डाइटरी फाइबर का भी बढ़िया श्रोत है। इसमें कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट्स और एमिनो एसिड्स है। रागी में कुछ विशेष एमिनो एसिड्स जैसे लिउसीन , फिनाइल-अलानीन ,आईसोलिउसीन और मेथिओनीन उपस्थित है।
USDA Nutrient Database के अनुसार 100 ग्राम रागी में पोषक तत्वों की मात्रा निम्न लिखित हैं –
पोषक तत्व | 100 ग्राम में मौजूद मान (value ) |
पानी | 8.67 gm |
ऊर्जा | 378 kcal |
प्रोटीन | 7.3 gm |
फैट | 1.3 gm |
कार्बोहाइड्रेट | 72.6 gm |
पूर्ण डाइटरी फाइबर | 19.1 gm |
फाइबर | 3.6 gm |
कैल्शियम | 344 mg |
आयरन | 3.9 mg |
मैग्नीशियम | 137 mg |
फास्फोरस | 283 mg |
पोटैशियम | 408 mg |
सोडियम | 11 mg |
जिंक | 2.3 mg |
थायमिन ( Vitamin B1 ) | 0.421 mg |
राइबोफ्लेविन ( Vitamin B2 ) | 0.19 mg |
नियासिन ( Vitamin B3 ) | 1.1 mg |
रागी के फायदे / रागी खाने के फायदे / Ragi Benefits in Hindi
रागी के फायदे ह्रदय स्वास्थ्य में / Ragi benefits for heart
रागी एक ऐसा अनाज है जिसे खाने से ह्रदय स्वस्थ रहता है। ह्रदय रोग से बचाव के लिए आवश्यक है रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में रहे। रागी पोटेशियम और मैग्नीशियम का बढ़िया श्रोत है , जिससे उच्च रक्तचाप में कमी आती है। यह फाइबर का भी अच्छा श्रोत है जो कोलेस्ट्रॉल स्तर के नियंत्रण में सहायक है। रागी में मौजूद एमीनो एसिड लिवर में फैट नहीं जमने देता। यह एक्स्ट्रा फैट बाहर निकाल शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम करता है। रागी के सेवन से केवल LDL कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का स्तर कम होता है , HDL का स्तर सामान्य रहता है। रागी के फायदे धमनियों में प्लाक बनने से रोकने में भी है। प्लाक हार्ट अटैक का कारण बनता है। रागी का नियमित सेवन किया जाए तो प्लाक की समस्या नहीं होगी और धमनियां भी सख्त नहीं होंगी।
रागी के फायदे मधुमेह में / Ragi benefits in diabetes
रागी में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इसे साबुत ( whole grain ) पकाकर और फरमेंट करके खाया जाए तो एमीनो एसिड्स का प्रभाव ज्यादा देखा जाता है। साबुत फाइबर युक्त रागी का ग्लाइसेमिक इंडेक्स अपेक्षाकृत कम होता है। Asia Pacific Journal of Clinical Nutrition ने अपने शोध में बताया कि जब रागी के आटे से बनी रोटी डायबिटिक पेशेंट को खिलाई गयी , तब रागी का GI 104 पाया गया। जबकि अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि रागी में मौजूद पॉलीफेनोल्स के कारण ,इसके सेवन से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होता है। फलस्वरूप शुगर लेवल कम होने लगता है। इसमें मौजूद फाइबर के कारण पाचन धीमी गति से होता है ,जिससे रक्त में ग्लूकोज धीमी गति से रिलीज़ होता है। निष्कर्षतः साबुत रागी का सेवन मधुमेह में फायदेमंद है।
रागी खाने के फायदे वजन घटाने में / Ragi benefits for weight loss
वजन घटाने के लिए आवश्यक है फाइबर युक्त कम फैट वाला भोजन किया जाये।100 ग्राम रागी में डाइटरी फाइबर 19 ग्राम है। इसलिए इसे खाने के बाद पेट भरा हुआ महसूस होता है। यह पचने में भी समय लगाता है। इसमें मौजूद ट्रिप्टोफैन एमीनो एसिड के कारण भूख का एहसास नहीं होता। इसलिए रागी खाने के बाद भूख नहीं लगती और एक्स्ट्रा कैलोरी लेने से बच जाते हैं। यह भी देखा गया है कि कैल्शियम युक्त भोजन करने से फैट सेल में कमी आती है। रागी कैल्शियम का धनी है। 100 ग्राम रागी में कैल्शियम की मात्रा 344 मिलीग्राम है। इस तरह रागी के फायदे वजन घटाने में भी है।
रागी के फायदे हड्डियों के लिए / Ragi benefits for bones
रागी में कैल्शियम की मात्रा बहुत ज्यादा है। 100 ग्राम रागी से 344 mg कैल्शियम मिल जाता है। यह विटामिन D प्राप्त करने का नेचुरल सोर्स है। हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम के साथ अन्य तत्व जैसे फास्फोरस , जिंक ,कॉपर और मैग्नीशियम की भी आवश्यकता होती है। रागी में ये सभी तत्व अच्छी मात्रा में मौजूद हैं। इसलिए इसे बच्चों को खिलाया जाता है जिससे उनका उचित ग्रोथ हो सके। इसके नियमित सेवन से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा भी नहीं रहता। रागी के फायदे बोन डेंसिटी को मेंटेन कर के रखने में भी है।
रागी खाने के फायदे एनीमिया में / Ragi benefits in anemia
एनीमिया का मुख्य कारण शरीर में आयरन की कमी होती है। रागी आयरन का बढ़िया श्रोत है। आयरन के अवशोषण के लिए विटामिन C ,फोलिक एसिड और कॉपर का होना आवश्यक है। रागी में ये सभी तत्व मौजूद हैं जिस कारण इसमें मौजूद आयरन का अवशोषण शरीर कर पाता है। फलस्वरूप हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ जाता है और एनीमिया रोग सही हो जाता है। साबुत रागी को 7 – 8 घंटे भिगोकर रखने के बाद, इसे अंकुरित कर खाने से विटामिन C की मात्रा बढ़ जाती है ,फाइटिक एसिड का असर कम हो जाता है ,जिससे आयरन का अवशोषण शरीर के द्वारा अच्छी तरह हो पाता है।
रागी के फायदे बढ़ती उम्र में त्वचा के लिए / Ragi benefits in aging process
रागी का सेवन बेहतर और जवां त्वचा पाने के लिए भी किया जा सकता है | रागी में विटामिन D मौजूद है जो त्वचा को चमक प्रदान करता है। रागी में लाइसिन तथा मेथिओनीन एमीनो एसिड है जो त्वचा को झुर्रियों से बचाते हैं ।
रागी में मौजूद पॉलीफेनोल कम्पाउंड्स एंटीऑक्सीडेंट्स का कार्य करते हैं और एजिंग प्रोसेस डिले करते हैं। ये कोलेजन को भी स्वस्थ बना कर रखते हैं। इससे त्वचा का लचीलापन बरकरार रहता है और झुर्रियां नहीं आ पाती। यह त्वचा को फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से भी बचाता है ,जिससे काले धब्बे त्वचा पर नहीं आ पाते। इस तरह रागी के फायदे सुन्दर और स्वस्थ त्वचा पाने में भी है। इसके आटे को फेस पैक में भी प्रयोग किया जाता है।
रागी के फायदे कैंसर में / Ragi benefits in cancer
एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइटोकेमिकल्स में एंटी कार्सिनोजेनिक गुण होते हैं। इन कंपाउंड्स के कारण कैंसर सेल का ग्रोथ रूक जाता है क्योंकि ये फ्री रेडिकल्स को न्यूट्रलाइज कर शरीर से बाहर निकाल देते हैं। रागी में मौजूद फेनोलिक एसिड ,टैनिन और फ्लैवोनोइड्स एंटीऑक्सीडेंट्स हैं | इनका सबसे सकारात्मक परिणाम जीभ के कैंसर ,कोलोन कैंसर और ब्रैस्ट कैंसर पर देखा गया है। रागी में विटामिन B17 भी है जो कैंसर सेल को ख़त्म करने में अहम् भूमिका निभाता है। रागी के फायदे कैंसर में लेना है तो साबुत रागी का प्रयोग आहार में करना चाहिए क्योंकि एंटीऑक्सीडेंट्स प्रॉपर्टीज ऊपरी परत में ज्यादा होती है।
रागी के फायदे मस्तिष्क के लिये / Ragi benefits for relaxation
रागी में मौजूद एमीनो एसिड मस्तिष्क को प्राकृतिक रूप से रिलैक्स करते हैं। इसमें मौजूद ट्रिप्टोफैन एमीनो एसिड के कारण एंग्जायटी ,अवसाद ,माइग्रेन ,चिंता ,सिरदर्द ,अनिद्रा इत्यादि में राहत मिलती है।
रागी खाने के फायदे शिशुओं के लिए / Ragi benefits for babies
साबुत रागी को पूरी रात भिगोकर रखा जाये तथा सुबह उसे पीसकर तथा छानकर हलवा /लापसी बनायी जाये तो यह शिशुओं को भी दिया जा सकता है। 4 महीने के बच्चे भी इसे आसानी से पचा सकते हैं। एक साल के बच्चे के लिए इसे बिना छाने हलवा बना कर खिलाया जा सकता है। यह बच्चों के सम्पूर्ण विकास में मदद करता है। साबुत रागी को 7 – 8 घंटे भिगोकर दलिया पकाकर भी खिलाया जा सकता है।इससे बच्चों की हड्डी मजबूत होती है , बच्चे एक्टिव रहते हैं और तंदुरुस्त रहते हैं।
रागी दूध पिलाने वाली माताओं के लिए फायदेमंद / Ragi benefits for nursing mother
जो माताएं बच्चों को दूध पिलाती हैं ,उन्हें सम्पूर्ण पोषण मिलना चाहिए। रागी सम्पूर्ण पोषण प्राप्त करने का बहुत बढ़िया श्रोत है। रागी का दलिया गुड़ और दूध के साथ पकाकर माताओं को दिया जाये तो इससे माँ का दूध बढ़ता है। यह लैक्टेशन में बहुत मददगार साबित होता है।
रागी के फायदे ग्लूटेन एलर्जी लोगो के लिए / Ragi benefits for gluten allergy people
रागी में मौजूद एमीनो एसिड रागी को सुपर फ़ूड बना देते हैं। जो लोग गेहूं ,मक्की और जौ नहीं खा सकते उनके लिए रागी बहुत अच्छा विकल्प है। यह ग्लूटेन मुक्त अनाज है। इसे चावल की तरह भी पकाकर खा सकते हैं और रोटी भी पकाई जाती है। गेहूं की तरह इसमें भी मिठास होता है। इसकी रोटियां गहरे रंग की बनती हैं |
रागी घाव तथा संक्रमण में फायदेमंद / Ragi benefits in wound healing and infection
रागी में कुछ फंगल और बैक्टीरियल ग्रोथ के प्रति एंटी माइक्रोबियल गुण देखें गए हैं। इसमें एंटीसेप्टिक गुण भी है | रागी में मेथिओनीन ,वैलीन तथा आइसोलिउसीन एमिनो एसिड्स हैं जो टिश्यू रिपेयर की प्रक्रिया को तेज़ करते हैं। इस तरह रागी के फायदे घाव भरने में भी है।
रागी से बनाये जाने वाले आहार
- रागी को 7-8 घंटे भिगोकर इसे सुखाने के बाद पीसकर आटा तैयार किया जाना चाहिए। इस आटे से ब्रेड ,बिस्कुट ,केक ,रोटी ,पराठा ,पूरी , हलवा,पुआ ,लड्डू इत्यादि तैयार किया जा सकता है।
- रागी को 7- 8 घंटे भिगोकर अंकुरित करके भी खाया जाता है। इसमें और भी हरी कच्ची सब्जियां मिलाकर सलाद भी तैयार किया जाता है| अंकुरित करने से इसमें विटामिन C की मात्रा बढ़ जाती है |
- रागी को भिगोकर दलिया ,खिचड़ी ,खीर ,बिरयानी भी बनायी जाती है
- रागी को भिगोकर और पीसकर चीला ,डोसा ,इडली ,उत्तपम ,पुआ भी बनाया जा सकता है।
- रागी को भिगोकर ,पीसकर तथा इसे छानकर इसका दूध भी पीने के काम आता है |
रागी के नुकसान
रागी में पोटेशियम की मात्रा ज्यादा होती है ,इसलिए इसे किडनी सम्बंधित रोग में कम खाने की सलाह दी जाती है |
रागी में ऑक्जेलिक एसिड भी मौजूद है जो स्टोन बनाने का काम करता है ,इसलिए इसे बहुत ज्यादा नहीं खाना चाहिए। सप्ताह में 4 से 5 दिन एक मील में इसे लिया जाना सही रहता है। जिन लोगों में स्टोन बनने के टेन्डेन्सी होती है उन्हें ध्यान देना जरूरी है। सभी को इससे परेशानी नहीं होती।
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