इंटरमिटेंट फास्टिंग का अर्थ है रूक – रूक कर उपवास करना। इंटरमिटेंट फास्टिंग में 16 घंटे की उपवास की जाती है और 8 घंटे के अंदर खाना खाया जाता है। फास्टिंग के दौरान पानी , निम्बू पानी ,ग्रीनटी या कोई भी हर्बल चाय लिया जाता है। 

इंटरमिटेंट फास्टिंग से होने वाले फायदे 

1 . शुगर लेवल में कमी आती है 

डायबिटीज का मुख्य कारण है इन्सुलिन रेसिस्टेन्स। फास्टिंग के दौरान इन्सुलिन लेवल अपने निम्न स्तर पर रहता है। इससे पैंक्रियास को रेस्ट मिलता है और रिकवरी होती है। इन्सुलिन की संवेदनशीलता बढ़ती है। इन्सुलिन की संवेदनशीलता बढ़ने से कम इन्सुलिन का उपयोग कर ग्लूकोज कोशिकाओं में पहुँच पाता है। जिससे रक्त में ग्लूकोज /शुगर का लेवल ज्यादा नहीं रहता। इन्सुलिन की संवेदनशीलता बढ़ने से इन्सुलिन रेसिस्टेन्स कम होता है। इन्सुलिन रेजिस्टेंस कम होने से डायबिटीज रिवर्स होता है। 

2 . वजन कम होता है 

वजन कम करने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग सर्वोत्तम उपाय है। 8 घंटे की ईटिंग विंडो में कम कैलोरी ले पाते हैं। फास्टिंग के कारण हार्मोन की कार्यक्षमता बढ़ती है। मेटाबोलिज्म में सुधार होता है। शरीर में जमीं चर्बी का उपयोग शरीर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए कर पाता है। 

3 .  हार्ट के लिए बहुत फायदेमंद है 

फास्टिंग से ब्लड शुगर में कमी आती है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होता है। इन्फ्लामेशन में कमी आती है। ब्लड प्रेशर में सुधर होता  है। ट्राइग्लिसराइड ,टोटल कोलेस्ट्रॉल और LDL कोलेस्ट्रॉल में भी कमी आती है। फलवारूप ह्रदय की कार्यक्षमता बेहतर होती है और हार्ट अटैक की सम्भावना कम जाता है। 

4 . पेट सम्बन्धी रोगों में फायदेमंद 

गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट जो पेट सम्बन्धी बिमारियों का इलाज़ करते हैं ,उन्होंने इस बात का समर्थन किया है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग से आंत सम्बन्धी बीमारियां ठीक होती हैं। एसिडिटी की समस्या भी ठीक होती है। गट माइक्रोबायोम / microbiome  में सुधार होता है। लिकी गट में भी सुधार देखा गया है।  

5 . लिवर स्वास्थ्य के लिए वरदान 

एक महीने की इंटरमिटेंट फास्टिंग से लिवर की समस्या में सुधार दिखने लगता है। डाक्टरी सलाह ,इंटरमिटेंट फास्टिंग और उचित डाइट लिवर को पूर्ण रूप से स्वस्थ कर देता है। इससे SGOT और SGPT के लेवल में बहुत कमी देखी गयी है। इसका प्रमाण / इविडेंस मिला है। 

6 . किडनी के रोगी भी पूर्ण रूप से स्वस्थ होते हैं

किडनी के डॉक्टर Jason Fang ने इंटरमिटेंट फास्टिंग का उपयोग कर अनेक किडनी के रोगियों को नया जीवन दिया है। इंटरमिटेंट फास्टिंग के द्वारा लोग स्टेज 4 किडनी डिजीज से नार्मल किडनी प्राप्त करने में कामयाब हुए हैं। 

7 . कैंसर रोग की सम्भावना में कमी आती है 

कैंसर की सम्भावना में कमी का प्रमाण जानवरों में मिल चूका है। मनुष्यों पर शोध चल रहा है। कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स में इंटरमिटेंट फास्टिंग से कमी का प्रमाण मिल चूका है। 

जिन लोगों से संभव नहीं है 16 घंटे की फास्टिंग वह 14 घंटे की फास्टिंग करें। सप्ताह में एक दिन अपनी पसंद का खाना खाएं और सप्ताह में एक दिन केवल 10 से  12 घंटे की ही फास्टिंग करें। लगातार 16 घंटे की फास्टिंग से हॉर्मोन इम्बैलेंस हो सकता है , इसलिए सप्ताह में एक दिन 10 से 12 घंटे की ही फास्टिंग करें। 

18 साल से कम उम्र के बच्चे और गर्भवती महिलाएं तथा जिन्हें ईटिंग डिसऑर्डर है वे इस तरह की फास्टिंग से बचें। 


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