Insulin Resistance क्या है ? यह प्रश्न बहुत लोगों के मन में होगा। डायबिटीज में जितना जरुरी ग्लाइसेमिक इंडेक्स और ग्लाइसेमिक लोड के विषय में जानना है ,उतना ही जरूरी इन्सुलिन रेजिस्टेंस के विषय में भी जानना है। टाइप – 2 डायबिटीज का दूसरा नाम इन्सुलिन रेसिस्टेन्स कहा जाये तो गलत नहीं होगा। पहले इन्सुलिन रेसिस्टेन्स होता है ,उसके बाद जीवन शैली में बदलाव नहीं किया गया तो टाइप – 2 डायबिटीज हो जाता है। इन्सुलिन रेसिस्टेन्स से डायबिटीज का पता  बहुत पहले लगाया जा सकता है। कितना समय  पहले डायबिटीज का पता लगाया जा सकता है ,यह निर्भर करता है व्यक्ति की दिनचर्या और खान पान पर। यह समय 5 वर्ष ,10 वर्ष या 6 महीना भी हो सकता है। इस लेख में हमलोग जानेंगे कि Insulin Resistance क्या है ? इसका पता कैसे लगाएं ?इन्सुलिन रेजिस्टेंस के लिए टेस्ट कौन से हैं ? इसके लक्षण क्या हैं? इन्सुलिन रेसिस्टेन्स ठीक कैसे करें ?

इन्सुलिन रेसिस्टेन्स क्या होता है

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Insulin Resistance क्या है ? What is Insulin Resistance ?

Insulin Resistance एक ऐसी स्थिति है जिसमें मांसपेशियों ,फैट और लिवर में मौजूद कोशिकाएं इन्सुलिन के प्रति सही तरीके से प्रतिक्रिया नहीं देती। जिससे रक्त में ग्लूकोज़ का लेवल बढ़ने लगता है। इस स्थिति में इन्सुलिन का लेवल भी रक्त में बढ़ जाता है। 

Insulin Resistance को साधारण शब्दों में समझा जाये तो इसका /अर्थ है -इन्सुलिन को उसका काम करने से रोकना। इन्सुलिन के काम में रेजिस्टेंस / प्रतिरोध /बाधा डालना। इन्सुलिन ग्लूकोज को सेल/ कोशिकाओं में पहुँचाने के लिए एक कैरियर का काम करता है। लेकिन ऐसी स्थिति आ जाती है कि कोशिकाएं इन्सुलिन को अपने अंदर आने नहीं देती। ऐसे में इन्सुलिन और ग्लूकोज दोनों ब्लड में ही रह जाते हैं।

Insulin Resistance क्या है,  इसे एक वाक्य में कहा जाए तो इसका अर्थ है – कोशिकाओं का इन्सुलिन के प्रति संवेदनशीलता का कम होना इन्सुलिन रेजिस्टेंस कहलाता है। 

Insulin sensitivity / इन्सुलिन संवेदनशीलता से तात्पर्य है इन्सुलिन के प्रति कोशिकाओं की प्रतिक्रिया। इन्सुलिन ब्लड में है ,ग्लूकोज भी है लेकिन कोशिकाएं रिस्पांस नहीं कर रही कि इन्सुलिन ग्लूकोज लेकर कोशिका में प्रवेश करे। अर्थात अब कोशिका के नजर में इन्सुलिन का पहले जैसा वैल्यू नहीं रहा। इन्सुलिन संवेदनशीलता कम हो चुकी है। यह हमारे शरीर के लिए सही नहीं है। इन्सुलिन संवेदनशीलता कम होने से इन्सुलिन रेसिस्टेन्स बढ़ जाता है। डायबिटीज में शुरुआत में जो मेडिसिन दी जाती है मेटफोर्मिन / metformin वो इन्सुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाने के लिए ही दी जाती है। 

Insulin क्या है ? इन्सुलिन क्या है ? What is Insulin ?

इन्सुलिन एक हार्मोन है ,जिसका निर्माण पैंक्रियास में बीटा सेल के द्वारा होता है। यह ग्लूकोज को रक्त से कोशिकाओं में पहुँचाने का काम करता है। यह लिवर ,मांसपेशियों और फैट में ग्लूकोज को स्टोर करने का भी काम करता है। यदि इन्सुलिन सही तरीके से काम नहीं करे तो हमारा शरीर , मसल्स और लिवर में ग्लूकोज स्टोर नहीं कर सकता ,यहाँ तक कि फैट भी नहीं बना सकता। ऐसे में फैट टूट जाता है और अन्य चीजों के साथ कीटो एसिड भी उत्पन्न करता है। यदि यह एसिड ज्यादा बढ़ गया तो डायबिटिक केटोएसिड्स की स्थिति पैदा हो जाती है। इस कंडीशन में पेशेंट को हॉस्पिटल में एडमिट करना होता है और इन्सुलिन दिया जाता है। उम्मीद है इन्सुलिन का महत्व समझ गए होंगे। 

यदि ब्लड में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है तो पैंक्रियास बीटा सेल को ट्रिगर करता है अधिक इन्सुलिन के उत्पादन के लिए। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कि पैंक्रियास इन्सुलिन बनाने के योग्य रहता है। एक समय ऐसा आता है जब पैंक्रियास के द्वारा इन्सुलिन का उत्पादन कम होने लगता है। ऐसे में रक्त में ग्लूकोज का लेवल बढ़ता चला जाता है। ऐसी स्थिति में इन्सुलिन लेने की जरुरत पड़ती है। 

 यदि ब्लड में ग्लूकोज का लेवल भी बढ़ जाए और इन्सुलिन का लेवल भी बढ़ जाये तो insulin resistance की स्थिति पैदा हो जाती है। 

इन्सुलिन टेस्ट क्या होता है ? इन्सुलिन का पता कैसे लगाए ?

इन्सुलिन का पता लगाने के लिए दो टेस्ट किये जाते हैं। डॉक्टर को इन्सुलिन रेसिस्टेन्स की आशंका होती है तो वे इनमें से कोई भी एक टेस्ट करवा कर देखते हैं।

  1. C -Peptide test 

फास्टिंग में ब्लड का सैंपल लेकर सी पेप्टाइड टेस्ट किया जाता है। c -peptide इन्सुलिन के साथ ही रिलीज़ होता है। इस टेस्ट से ब्लड में इन्सुलिन का लेवल पता चल जाता है। डॉक्टर इसी टेस्ट से पता करते हैं कि डायबिटीज टाइप 1 है या टाइप 2 . इससे इन्सुलिन रेसिस्टेन्स का भी पता लगाया जा सकता है। 

C – Peptide का नार्मल रेंज             0 . 51    –   2 . 72 ng /ml  होता है | 

यदि पैंक्रियास इन्सुलिन कम बना रहा है तो रिजल्ट 0 . 51 से कम आएगा। यह स्थिति टाइप -1 डायबिटीज की तरफ इशारा करती है। 

यदि पैंक्रियास इन्सुलिन ज्यादा बना रहा है तो रिजल्ट 2 . 72 से ज्यादा आएगा। यह स्थिति इन्सुलिन रेजिस्टेंस बताती है। उम्मीद है अभी तक Insulin Resistance क्या है ,समझ गए होंगे। 

  1. Fasting Insulin Test 

फास्टिंग ग्लूकोज टेस्ट की तरह फास्टिंग इन्सुलिन का भी टेस्ट करवाया जाता है। इससे रक्त में इन्सुलिन का लेवल पता चलता है। इसमें नार्मल रेंज होता है –

    2 . 6  –  24 . 9 mcIU /ml 

HOMA – IR ( Homeostatic Model Assessment of Insulin Resistance )

इन्सुलिन रेजिस्टेंस पता करने का सबसे आसान तरीका। इससे हमलोग खुद अपना इन्सुलिन रेसिस्टेन्स निकाल सकते हैं। इसके लिए दो वैल्यू चाहिए फास्टिंग इन्सुलिन और फास्टिंग ग्लूकोज। जब ग्लूकोज टेस्ट करवायें तब फास्टिंग इन्सुलिन भी टेस्ट करवा लें। 

HOMA – IR के अनुसार 

insulin resistance =    fasting glucose x fasting insulin / 405

इसके रिजल्ट के आधार पर इन्सुलिन रेसिस्टेन्स की तीन केटेगरी है। 

  1. No Insulin Resistance – यदि इन्सुलिन रेसिस्टेन्स 1 से कम है।  

1 से 1 . 9 तक की वैल्यू को भी नार्मल इन्सुलिन रेसिस्टेन्स  माना जाता है 

  1. Moderate Insulin Resistance – यदि वैल्यू 1 . 9 से 2 . 9  आता है तब इन्सुलिन प्रतिरोध /इन्सुलिन रेसिस्टेन्स मॉडरेट है। 
  2. Severe Insulin  Resistance – यदि वैल्यू 2 . 9 से ज्यादा आती है। 

उदाहरण से समझते हैं – 

पेशेंट A 

फास्टिंग ग्लूकोज : 90 mg /dl 

फास्टिंग इन्सुलिन : 4 mcIU /ml 

Insulin Resistance = 90 x 4 /405 = 0.88 

पेशेंट B 

फास्टिंग ग्लूकोज : 82 mg / dl 

फास्टिंग इन्सुलिन : 14  mcIU /ml 

 Insulin Resistance = 80 x 14  / 405 = 2.83 

पेशेंट C 

फास्टिंग ग्लूकोज़ :104  mg /dl 

फास्टिंग इन्सुलिन :10   mcIU /ml 

Insulin Resistance = 104 x 10 / 405  = 2.5  

उदाहरण में हमने देखा कि ग्लूकोज का लेवल सबसे कम पेशेंट B में है ,लेकिन इन्सुलिन का लेवल सबसे ज्यादा B में होने के कारण इन्सुलिन रेसिस्टेन्स भी उसीका ज्यादा है। इस उदाहरण से पता चल रहा है कि डायबिटीज का खतरा सबसे ज्यादा पेशेंट B को है। 

पेशेंट C में ग्लूकोज लेवल ज्यादा है लेकिन इन्सुलिन सेंसिटिविटी सही होने के कारण इन्सुलिन की मात्रा कम है। इन्सुलिन रेसिस्टेन्स नार्मल है। 

हालाँकि वैज्ञानिको ने इस मेथड को सराहा ,पर इसमें भी कुछ कमियां है। वैज्ञानिको के अनुसार इसे और विस्तार से बताने तथा कमियों को दूर करने की जरुरत है। फिर भी खुद घर पर अपना इन्सुलिन प्रतिरोध जांच करने का यह एक अच्छा तरीका है। एक वैल्यू हमारे सामने आती है और हम किस केटेगरी में है देख सकते हैं। 

Insulin Resistance क्या है समझने के बाद इन्सुलिन रेसिस्टेन्स के लक्षण देखते हैं –

 Insulin Resistance क्या है ? यह हम जान चुके हैं। अब देखते हैं कि शरीर में ऐसे क्या परिवर्तन आते हैं जिससे इन्सुलिन रेसिस्टेन्स का पता चलता है। 

वजन बढ़ना 

यदि आप का वजन बढ़ रहा है तो यह इन्सुलिन प्रतिरोध की ओर संकेत करता है | पुरुषों में उनके कमर की नाप 40 इंच या उससे अधिक हो जाये और महिलाओं में उनके कमर की नाप 35 इंच या उससे अधिक हो जाये तो इन्सुलिन प्रतिरोध की जाँच करवाए | इन्सुलिन प्रतिरोध के बढ़ने से टाइप – 2 डायबिटीज की सम्भावना होती है | 

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थकान 

यदि मेटाबोलिज्म प्रभावित हो चुका है तो सही भोजन लेने के  बावजूद थकान महसूस होगी। यह भी इन्सुलिन प्रतिरोध की ओर संकेत करता है | 

ब्लड प्रेशर रीडिंग 

यदि ब्लड प्रेशर की रीडिंग 130/85 से ऊपर आ रहा है तो यह भी इन्सुलिन रेसिस्टेन्स के प्रति संकेत दे रहा है |

ट्राइग्लिसराइड लेवल

फास्टिंग ट्राइग्लिसराइड का लेवल 150 mg /dl से ज्यादा आना भी इन्सुलिन प्रतिरोध की ओर संकेत करता है | 

फास्टिंग ग्लूकोज लेवल 

फास्टिंग ग्लूकोज का लेवल 100 mg /dl से ऊपर हो तो यह इन्सुलिन रेसिस्टेन्स का लक्षण हो सकता है | 

HDL का लेवल 

इन्सुलिन प्रतिरोध की समस्या तब भी संभव है जब गुड कोलेस्ट्रॉल HDL का लेवल पुरुषों में 40 mg /dl और महिलाओं में 50 mg /dl से कम हो | 

बार – बार पेशाब आना 

यदि रक्त में ग्लूकोज का स्तर सामान्य है फिर भी प्यास बहुत लग रही है और बार बार पेशाब जाना पड़ रहा है तो यह इन्सुलिन प्रतिरोध के बढ़ने का लक्षण दिखा रहा है | 

त्वचा का काला पड़ना 

यदि गर्दन ,अंडर आर्म या आर्मपिट और कमर के चारो ओर काले रंग के पैच है तो यह इन्सुलिन प्रतिरोध के कारण है | 

बाल झड़ना और मुहांसे होना 

यदि सामान्य से ज्यादा बाल झड़ रहे हैं और मुहांसो की समस्या हो रही है तो यह भी इन्सुलिन रेसिस्टेन्स का एक लक्षण हो सकता है | 

इन्सुलिन प्रतिरोध का कारण / इन्सुलिन रेसिस्टेंस का कारण 

 Insulin Resistance क्या है , इसके लक्षण क्या हैं , जानने के बाद हमे यह जानना चाहिए कि ऐसा हमने क्या किया या और क्या कारण है कि इन्सुलिन प्रतिरोध की स्थिति पैदा हो गयी। 

अधिक कैलोरीज़ का सेवन 

अधिक मात्रा में कैलोरीज लेने से और शरीर में बॉडी फैट की अधिकता के कारण रक्त में फ्री फैटी एसिड की मात्रा अधिक हो जाती है। रक्त में फ्री फैटी एसिड की अधिकता के कारण कोशिकाएं इन्सुलिन के प्रति सही तरीके से प्रतिक्रिया देना बंद कर देती है | 

मोटापा 

पेट और आस पास के अंगों में जमनेवाली चर्बी की वजह से भी ब्लड में फ्री फैटी एसिड और इंफ्लेमेटरी हार्मोन रिलीज़ होने लगते हैं | जिसकी वजह से इन्सुलिन प्रतिरोध की समस्या होती है | 

स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं 

यदि फैटी लिवर है या पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) है तो इन्सुलिन प्रतिरोध का खतरा रहता है | यह भी कह सकते है कि यदि इन्सुलिन रेसिस्टेन्स है तो PCOS और फैटी लिवर होने की सम्भावना होती है | यह समस्या एक दूसरे का कारण बनते हैं | 

आनुवंशिक 

यदि परिवार में किसी को डायबिटीज की समस्या हो तो इन्सुलिन प्रतिरोध की समस्या होती है। जो आगे चलकर डायबिटीज में बदल जाता है | 

असक्रिय जीवन शैली 

किसी भी प्रकार की फिजिकल एक्टिविटी नहीं करना अर्थात किसी भी तरह से कैलोरी नहीं जलाना , इन्सुलिन रेसिस्टेन्स की समस्या उत्पन्न करता है | 

इन्फ्लामेशन 

यदि शरीर में किसी भी प्रकार का इंफ्लामेशन हो और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ा हुआ हो अर्थात फ्री रेडिकल्स की संख्या ज्यादा हो गयी हो तो इन्सुलिन प्रतिरोध की सम्भावना पूरी होती है | 

उम्र सम्बन्धी कारक 

उम्र बढ़ने के साथ साथ इन्सुलिन प्रतिरोध का बढ़ना सामान्य है | 

मीठे का सेवन 

यदि ज्यादा चीनी का सेवन किया जाये तो भी इन्सुलिन प्रतिरोध बढ़ता है। यदि यही फ्रुक्टोज़ फलों से प्राप्त हो तो यह समस्या नहीं होती | 

नींद की कमी 

यदि नींद पूरी नहीं करते हैं और ऐसा लम्बे समय तक चलता रहता है तो इन्सुलिन प्रतिरोध की समस्या उत्पन्न हो जाती है | 

दवाइयों का सेवन 

अल्कोहल ,स्टेरॉइड्स ,अन्य दवाइयाँ  जो HIV तथा अवसाद में दिए जाते हैं वो भी इन्सुलिन प्रतिरोध का कारण बनते हैं |  

आंत से जुडी बैक्टीरिया 

आंत में कुछ ऐसी बैक्टीरिया होती हैं जिनकी बढ़ती या घटती संख्या ,इन्सुलिन रेसिस्टेन्स का कारण बनती हैं

Insulin Resistance क्या है समझने के बाद इन्सुलिन रेसिस्टेन्स का उपचार जानते हैं

 Insulin Resistance क्या है , इसके लक्षण और कारण क्या है, हम  जान चुके हैं। अब हमे इसे सामान्य करना है ताकि डायबिटीज से बच सकें। इन्सुलिन रेसिस्टेन्स को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव करना आवश्यक है। निम्न प्रकार से आप अपना इन्सुलिन प्रतिरोध कम कर सकते हैं। 

व्यायाम 

फिजिकल एक्टिविटी को बढाकर ,नियमित व्यायाम ,योगा और सैर करके इन्सुलिन प्रतिरोध को कम कर सकते हैं | 

पेट की चर्बी कम करें  

व्यायाम तथा खान – पान में बदलाव कर के पेट की चर्बी को कम करना आवश्यक है | पेट की चर्बी कम होने से रक्त में फ्री फैटी एसिड भी कम होगा और इन्सुलिन प्रतिरोध पर इसका सीधा असर होगा |

कैलोरी कम लें 

अपने आहार में कार्बोहायड्रेट कम करें ,चीनी का सेवन बिलकुल कम कर दें | रोटी ,चावल ,दाल ,आलू जैसी चीज़ें जिनसे ग्लूकोज मिलता है , उन्हें कम करें | 

संतुलित आहार लें 

अपने आहार में ड्राई फ्रूट्स ,फल ,सलाद ,हरी सब्जी ,कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले अनाज ,अंडा और मछली शामिल करें | 

ओमेगा -3 फैटी एसिड का सेवन करें 

ओमेगा -3 फैटी एसिड के सेवन से ट्राइग्लिसराइड का लेवल कम होता है | tg कम होने से  इन्सुलिन प्रतिरोध कम होता है | इसके लिए अखरोट ,अंडा और मछली खाएं | 

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ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम करें 

शरीर में फ्री रेडिकल्स की संख्या कम करके ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम किया जाता है | इसके लिए एंटी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर ड्राई फ्रूट्स ,फल ,कच्ची हरी सब्जी , हर्बल चाय का सेवन करें | 

पर्याप्त नींद लें 

समय पर सोना तथा समय पर जागना बहुत आवश्यक है | इससे तनाव कम होता है , नींद पूरी होती है ,शरीर में हार्मोन सही तरीके से श्रावित होता है | इससे इन्सुलिन रेसिस्टेन्स  कम करने में बहुत मदद मिलती है | 

डॉक्टर से संपर्क करें 

डॉक्टर को अपनी स्थिति बतायें और उनके द्वारा दिए गए दवाइयों का सेवन करें तथा साथ ही उचित जीवन शैली अपनायें | 

उम्मीद है आपको इस लेख से  Insulin Resistance क्या है तथा इससे सम्बंधित प्रश्नो का जवाब मिल गया होगा। 

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