व्यक्ति का ब्रेन सबसे ज्यादा विकसित होता है पहले 2 साल में। शरीर का विकास जिस तेज़ी से पहले 2 साल में होता है ,उसी तेज़ी से दिमाग का विकास भी होता है। उसके सेंस ऑर्गन्स भी पूरी तरह इस समय तक विकसित हो चुके होते हैं। 6 महीने तक बच्चा माँ के दूध से पोषक तत्व प्राप्त करता है। 6 महीने बाद बच्चे के लिए ऊपरी आहार आवश्यक हो जाता है | बच्चे के साथ बातचीत करनी चाहिए जिससे वह अपने आप को आस पास की एक्टिविटी में शामिल करे ,इससे वह ज्यादा एक्टिव होगा और उसकी ऑब्जरवेशन पावर बढ़ेगी। इससे जब 6 महीने बाद बच्चे को ऊपरी आहार देना शुरू करेंगी तो वो इसका आनंद लेगा ,खाने से इंकार नहीं करेगा |
6 महीने बाद बच्चे को आहार देना हर माँ के लिए उत्सुकता का पल होता है। लेकिन उन्हें चिंता रहती है कि उनके बच्चे के लिए कैसा आहार सही रहेगा ,आहार की मात्रा कितनी रखी जाये ,वो क्या -क्या आहार में शामिल करें जिससे उनका बच्चा स्वस्थ रहे। माँ के सामने आने वाली इन्हीं समस्या को ध्यान में रखते हुए इस लेख में 6 महीने बाद बच्चे को खिलाये जाने वाले आहार के विषय में विस्तार से जानेंगे।
6 महीने बाद बच्चे को कितनी मात्रा में खिलाया जाये और कैसे खिलाएं
- 6 महीने बाद बच्चे को शुरुआती दौर में केवल तरल पदार्थ के रूप में आहार देना चाहिए | इसकी मात्रा 3 – 5 चम्मच होनी चाहिए। शुरू में बच्चा 2 चम्मच के बाद ही खाने से इंकार कर दें तो उसे ज़बरदस्ती नहीं खिलाएं।
- इसका ध्यान रखें कि एक साल तक बच्चे को मुख्य आहार में दूध मिलना चाहिए। बच्चे में लैक्टेज़ एंजाइम भरपूर होता है और वह दूध आसानी से पचा लेता है। हमने जो यह ऊपरी आहार देना शुरू किया ,यह एक तरह से अन्य पाचक रस के श्राव को उत्तेजित करने का कार्य करेगा। जिससे बच्चा एक साल के बाद ठोस आहार शुरू करे तो उसे भोजन पचाने में दिक्कत नहीं हो
- 9 महीने तक बच्चे का आहार 8 – 10 चम्मच तक ही सीमित रखें। इससे बच्चा खाने में रूचि बरकरार रखेगा। 9 महीने के बाद अपने बच्चे के भूख के अनुसार मात्रा बढ़ाना शुरू कर दें। एक वर्ष का होते होते बच्चा मध्यम आकार की कटोरी का आधा से तीन चौथाई तक खाने लगता है।
- बच्चे को खिलाने के लिए दिन का समय चुने। सुबह 9 बजे से शाम के 5 बजे तक। इसके अतिरिक्त बच्चे को जब भी भूख लगे ,दूध पिलाएं।
- बच्चे को एक बार में एक ही प्रकार का खाना खिलाएं ,जिससे उसका पाचन सही से हो पाए। बच्चे को एक तरह का आहार तीन से चार दिनों तक दें ,जिससे आहार सम्बंधित एलर्जी का पता लग जायेगा और भोजन पचाना भी आसान होगा |
- 6 महीने बाद बच्चे को ऊपरी आहार देना आसान काम नहीं है। बच्चे को बैठाकर ही भोजन करायें | खिलाते समय बच्चे की रूचि इसमें रहे इसलिए उसे भी भोजन को छूने दें। चम्मच कटोरी हाथ में लेने दें।
6 महीने बाद बच्चे के आहार में शामिल किये जाने वाले भोज्य पदार्थ /खाने पीने की चीजें
1. किशमिश और अंजीर का पानी
इसके लिए 8 – 10 किशमिश और 1 अंजीर धो कर बारीक़ काट लें। इसमें 1 / 4 कप गुनगुना पानी डालकर रात भर के लिए भिंगो दें। सुबह खिलाने से पहले इसे अच्छी तरह मैश करें और सभी बड़े टुकड़े को बहार निकाल दें। बच्चे को पिलाएं। सर्दी में इसमें गरम पानी डालकर गुनगुना कर लें ,फिर पिलाएं | किशमिश बच्चे को संक्रमण से बचाएगा और अंजीर लंग्स को मजबूत करेगा | साथ में इससे अन्य पोषक तत्व भी मिलेंगे और यह दोनों आंत के लिए अच्छा माना जाता है |
2. 6 महीने बाद बच्चे को फलों का रस पिलाएं
किसी भी जूसी फल का रस निकालकर दें। ज्यादा खट्टे फल का रस नहीं दें | शुरुआत में 6 – 7 चम्मच रस काफी है | 9 महीने के बाद जूस की मात्रा बढ़ा दें | हमेशा ताज़ा रास निकाल कर दें |
3.6 महीने बाद बच्चे को मसला हुआ फल या फलों की प्यूरी दें
केला ,पपीता ,चीकू जैसे फल मसल कर बच्चे को खिलाएं | मैशर की सहायता से इसे अच्छे से मसलें | 9 महीने के बाद बच्चे को यह खिलाएं। एप्पल की प्यूरी बनाकर भी बच्चे को खिलाएं। 6 महीने के बाद बच्चे को सेब की प्यूरी दी जा सकती है , इसकी कंसिस्टेंसी पतली रखें। 9 महीने के बाद बच्चे आसानी से सेब की प्यूरी पचा लेते हैं। एप्पल को छीलकर बारीक़ टुकड़े कर लें या कद्दूकस कर लें | जरुरत अनुसार पानी डालकर उबालें। इसे मैश कर प्यूरी बनाये। बच्चा आसानी से आधा सेब खा लेता है |
4.6 महीने बाद बच्चे को चावल का पानी और दाल का पानी दें
6 महीने बाद बच्चे को शुरुआती दौर में 8-10 चम्मच चावल का पानी या दाल का पानी दें | 9 महीने के बाद इसकी मात्रा बच्चे की भूख के अनुसार बढ़ा दें और इसे गाढ़ा कर के दें | चावल का पानी और दाल का पानी एक जगह मिक्स कर के नहीं दें | किसी दिन चावल का पानी तो किसी दिन दाल का पानी दें |
5. सब्जी का सूप
एक दिन में किसी एक सब्जी का चुनाव करें। उसे उबालकर मैश करें | इसे छान कर बच्चे को पिलाएं | नमक की मात्रा बिलकुल कम रखें | 9 महीने के बाद गाढ़ा सूप दें |
6. सब्जियों की प्यूरी
9 महीने के बाद बच्चे को सब्जियों की प्यूरी भी दी जा सकती है | इसके लिए गाजर ,पेठा ,कद्दू जैसी सब्जियों को उबालकर मैश करें , थोड़ा सा नमक मिलाएँ। प्यूरी को सेमि लिक्विड फॉर्म में रखें। बच्चा आराम से आधी कटोरी खा लेता है। इसमें शक्कर मिलाकर भी खिलाया जा सकता है
7. मसला हुआ आलू या शकरकंद
आलू या शकरकंद को उबाल लें। छिलका हटाकर मसल लें | सेमी लिक्विड बनाने के लिए इसमें गाय का दूध मिलाएं | मिठास के लिए शक्कर मिलाएं | 8-10 चम्मच इसे बच्चे को खिलाया जा सकता है | 11 महीने का होते होते बच्चा आधी कटोरी तक आराम से खा लेता है |
8. सूजी का, रागी के आटे का ,गेहूं के आटे का हलवा
6 महीने के बच्चे के लिए 1 चम्मच सूजी या आटे का हलवा काफी होता है | इसी से 8-10 चम्मच हलवा तैयार हो जाता है | शुरुआत में कंसिस्टेंसी पतली रखनी चाहिए | 8-9 महीने के बाद 2 चम्मच सूजी या आटे का हलवा बनाएं | इसके लिए आटे या सूजी को 1 चम्मच घी डालकर भूने , दूध तथा पानी डालकर पकाएं। मिठास के लिए शक्कर डालें | इसे सेमी लिक्विड फॉर्म में रहने दें |
6 महीने बाद बच्चे के आहार सम्बंधित ध्यान देने वाली बातें
- एक दिन में तीन बार ऊपरी आहार दें और थोड़ी मात्रा में दें |
- दो चीज़ों को मिलाकर एक साथ नहीं दें
- इस बात का ध्यान रखे कि 6 महीने से एक साल के बच्चे का मुख्य भोजन दूध होना चाहिए
- भोजन ज्यादा गरम या ज्यादा ठंढा नहीं होना चाहिए | हमेशा ताज़ा भोजन बना कर दें
- बच्चे को ज़बरदस्ती न खिलाएं | उसके अंदर रूचि विकसित करने की कोशिश करें
- बच्चे के भोजन में नमक और मीठे का प्रयोग अल्प मात्रा में करें
- बच्चे को प्रोसेस्ड फ़ूड और डब्बा बंद दूध बिलकुल नहीं दें | इस फ़ूड को बच्चा चाव से खा लेता है ,पर उसकी इम्यून सिस्टम पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है | भविष्य में कई बिमारियों का कारण बचपन में खिलाया गया प्रोसेस्ड फ़ूड है | बच्चे को गाय का दूध पिलाएं | बच्चों के लिए बनाये गए रेडीमेड फ़ूड पर बैन है ,पर दुःख की बात है कि यह अभी भी मार्किट में मिल रहे हैं |
आहार से एलर्जी का संकेत –
6 महीने के बाद बच्चे को जब ऊपरी आहार देना शुरू करते हैं तो कभी -कभी एलर्जी की भी सम्भावना रहती है |उनमें निम्न लक्षण दिख सकते हैं –
- पेट दर्द
- उल्टी
- दस्त
- सांस लेने में दिक्कत
- चेहरे पर सूजन होना
- रैशेस /चकत्ते का होना
यदि प्रतिक्रिया दिखती है तो डॉक्टर को संपर्क करें और उस खाद्य पदार्थ को बंद कर दें
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