हाई ब्लड प्रेशर क्या होता है ? 

हाई ब्लड प्रेशर एक सामान्य बीमारी है जिसमें ह्रदय द्वारा पंप किये गए रक्त के कारण दबाव धमनियों की भित्ति पर बढ़  जाता है। रक्तचाप अर्थात ब्लड प्रेशर दो चीजों से निर्धारित होती है पहला रक्त की fluidity / तरलता और दूसरा धमनी में किसी भी तरह का रुकावट का होना। रुकावट का कारण धमनी के लचीलेपन में कमी या धमनी में प्लाक का जमना भी हो सकता है। 

हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण ,कारण और उपचार

हमारा दिल रक्त को शरीर के सभी भागों में पहुँचाने का कार्य करता है। रक्त जब शुद्ध होकर फेफड़े से दिल में प्रवेश करता है तब दिल पंप करके उस रक्त को शरीर के सभी हिस्सों में पहुंचता है। दिल के पम्प करने पर आर्टरीज वाल /धमनियों की भित्ति पर जो प्रेशर /दबाव बनता है वह ब्लड प्रेशर कहलाता है जिसे हिंदी में रक्तचाप कहते हैं। इस प्रेशर को सिस्टोलिक प्रेशर कहते हैं जो सामान्यतः 120 होता है। दो पम्पिंग के बीच में दिल रेस्ट कर लेता है ,इस समय धमनी पर प्रेशर घट जाता है जिसे डायास्टोलिक प्रेशर कहते हैं। यह सामन्यतः 80 होता है। जब हमलोग ब्लड प्रेशर चेक करवाते हैं तो डॉक्टर हमे 120 /80 जैसी संख्या बताते हैं। इसमें 120 सिस्टोलिक प्रेशर हुआ और 80  डायास्टोलिक प्रेशर हुआ। 

जब सिस्टोलिक 120 से ज्यादा और डायास्टोलिक 80 से ज्यादा हो जाये तब मेडिकली हाई ब्लड प्रेशर की स्थति होती है। लेकिन सिस्टोलिक 120 से 130 के बीच हो तब भी ब्लड प्रेशर सामान्य ही माना जाता है। उसी तरह डायास्टोलिक 80 से 90 के बीच सामान्य माना जाता है। ब्लड प्रेशर को मरकरी प्रति मिलीमीटर ( mmHg ) में मापा जाता है। 

रक्तचाप / ब्लड प्रेशर की श्रेणी 

नार्मल ब्लड प्रेशर 

सिस्टोलिक प्रेशर  91 – 120 

डायास्टोलिक प्रेशर  61 – 80 

लो ब्लड प्रेशर ( हाइपोटेंशन )

सिस्टोलिक प्रेशर – 90 mmHg या उससे कम 

डायास्टोलिक प्रेशर – 60 mmHg या उससे कम 

लो ब्लड प्रेशर के लक्षण ,कारण और उपचार

लो बीपी का उपचार योगासन तथा आहार से

हाई ब्लड प्रेशर ( हाइपरटेंशन )

सिस्टोलिक प्रेशर – 120 mmHg से ज्यादा 

डायास्टोलिक प्रेशर – 80 mmHg से ज्यादा 

हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण / Symptoms of high blood pressure 

हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण सभी लोगों में एक जैसे नहीं होते। कुछ लोगों में मामूली ब्लड प्रेशर के बढ़ने पर लक्षण दिखने लगते हैं जबकि कुछ लोगों में खतरनाक लेवल तक ब्लड प्रेशर बढ़ जाने पर भी लक्षण नहीं दिखते। उन्हें पता तब चलता है जब वे किसी अन्य बीमारी का इलाज करवाने जाते हैं। सामान्यतौर पर हाई ब्लड प्रेशर में निम्न लक्षण दिखते हैं –

  • सिर दर्द रहना 
  • नाक से खून बहना 
  • आँखों में खिचाव महसूस होना और धुंधला दिखना 
  • सांस लेने में तकलीफ़ महसूस होना 
  • चक्कर आना तथा उलझन जैसी स्थिति लगना 
  • घबराहट महसूस होना 
  • कुछ भी समझने और बोलने में कठिनाई महसूस होना 
  • बहुत कमजोरी महसूस होना और पैरों का अचानक सुन्न होना 
  • गर्मी और बेचैनी के साथ बहुत ज्यादा पसीना आना 

हाई ब्लड प्रेशर के कारण / Causes of high blood pressure 

हाई ब्लड प्रेशर के कारण को दो भागों में बांटा जाता है। प्राइमरी और सेकेंडरी। 

हाई ब्लड प्रेशर के प्राइमरी  कारण 

इसमें ब्लड प्रेशर बढ़ने के कारण का सही सही अनुमान नहीं लग पाता। समय के साथ धीरे – धीरे ब्लड प्रेशर हाई होने लगता है। इसके कुछ कारण निम्नलिखित हैं –

बढ़ती उम्र – जैसे जैसे उम्र बढ़ती है किसी न किसी कारण अधिकतर लोगों में ब्लड प्रेशर भी बढ़ने लगता है। 

आनुवंशिकता – यदि परिवार में किसी को हाई बी पी की समस्या है तो संतान को भी यह समस्या होने की सम्भावना रहती है। 

मोटापा – ब्लड प्रेशर हाई करने में मोटापा भी एक कारण है। 

शिथिल जीवन शैली – व्यायाम न करने और कम चलने से खून के संचार पर असर होता है। इससे ह्रदय की मांसपेशियां भी कमजोर होती हैं। फलस्वरूप ब्लड प्रेशर हाई होने लगता है।  

धूम्रपान करना – धूम्रपान  करने से धमनी सख्त और संकीर्ण होती है जिससे ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है। 

शराब पीना – नियमित रूप से शराब पीना भी उच्च रक्चाप का कारण होता है। 

चाय – कॉफ़ी –  ज्यादा चाय कॉफी पीना भी उच्च रक्तचाप का कारण होता है। इसका कारण है इसमें मौजूद टैनिन ,कैफीन और शुगर। शुगर की अधिक मात्रा को संतुलन में रखने के लिए इन्सुलिन की मात्रा बढ़ जाती है। इन्सुलिन ग्रोथ हार्मोन है ,फलस्वरूप यह ब्लड वेसल वाल को मोटा और सख्त कर देता है। इस तरह ब्लड प्रेशर हाई होने लगता है। 

नमक की अधिकता – ब्लड में सोडियम की मात्रा ज्यादा होने से भी ब्लड प्रेशर हाई होने की सम्भावना बढ़ जाती है। 

वसायुक्त भोजन – फ्राइड फ़ूड खाने से ब्लड में ट्रांस फैट और सैचुरेटेड फैट की उपस्थिति बढ़ जाती है जो उच्च रक्तचाप का कारण बनता है। 

भोजन में फाइबर की कमी – ब्लड प्रेशर हाई होने का यह सबसे बड़ा कारण है। भोजन में फाइबर की कमी से कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है ,शुगर की मात्रा भी बढ़ जाती है ,लिवर भी प्रभावित होता है। ये सभी चीजें संयुक्त रूप से ब्लड प्रेशर बढ़ाने का काम करते हैं।  

गर्भावस्था – गर्भवस्था के दौरान भी उच्च रक्तचाप की सम्भावना बढ़ जाती है। 

तनाव – विभिन्न अध्ययनों के अनुसार तनाव का उच्च रक्तचाप से सीधा सम्बन्ध है। 

हाई ब्लड प्रेशर के सेकेंडरी कारण 

कई बार हाई ब्लड प्रेशर की समस्या किसी अन्य बिमारियों  की  वजह से होती है। इसे सेकेंडरी हाई ब्लड प्रेशर कहा जाता है। कुछ बीमारियां जिनके कारण उच्च रक्तचाप की सम्भावना बढ़ जाती है निम्नलिखित हैं –

स्लीप एपनिया – इसमें स्लीपिंग /निद्रा के दौरान सांस लेने में दिक्कत होती है। कभी कभी व्यक्ति बिलकुल ही सांस नहीं ले पाता है। 

किडनी सम्बन्धी समस्या 

एड्रेनल ग्लैंड में ट्यूमर 

डायबिटीज – डायबिटीज के साथ  बी पी की समस्या होना निश्चित है। 

दवाइयाँ – गर्भनिरोधक गोलियां ,दर्दनिवारक दवा ,मधुमेह की दवा ये सभी हाई बी पी के कारण बनते हैं। 

ड्रग्स – कोकीन जैसे ड्रग्स भी हाई बी पी के सेकेंडरी कारण है 

लिवर की समस्या – लिवर से सम्बंधित कोई भी समस्या हो तो उसका असर ब्लड प्रेशर पर पड़ता है। 

हाई ब्लड प्रेशर का उपचार / Treatment of High Blood Pressure 

हाई ब्लड प्रेशर की दवा 

हाई बीपी का पता लगने पर इलाज क्या करना है यह डॉक्टर पर निर्भर करता है। यदि हाई बीपी का कारण कोई बीमारी या कोई दवा है तो डॉक्टर दवा बीमारी के अनुसार निर्धारित करेंगे या जो मेडिसिन चल रही है उसे बंद कर कोई और मेडिसिन दे सकते हैं। कई बार हाई बीपी का सटीक कारण पता नहीं चलता ऐसे में डॉक्टर हाई बीपी के लेवल के अनुसार दवा की मात्रा निर्धारित करते हैं। यह दवा रोगी को प्रतिदिन जीवन भर लेनी पड़ती है। 

जीवनशैली में परिवर्तन 

स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर उच्च रक्तचाप नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसके अंतर्गत निम्न बातों पर ध्यान दिया जाता है –

फिजिकल एक्टिविटी 

उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में नियमित व्यायाम ,सैर और योगा  बहुत असरकारी होता है। अनुलोम विलोम ,भ्रामरी प्राणायाम और शीतकारी प्राणायाम बढे हुए ब्लड प्रेशर को नार्मल करने में बहुत मददगार साबित होते हैं। 

हाई ब्लड प्रेशर के नियंत्रण के लिए वजन नियंत्रण में रखना आवश्यक

बढ़ा हुआ वजन ब्लड प्रेशर को भी बढ़ाने का कार्य करता है। वजन का बढ़ना इस बात की तरफ इशारा करता है कि शरीर में समस्या बढ़ने लगी है और कई बिमारियों की शुरुआत होने वाली है या हो चुकी है। इसलिए बहुत जरुरी है कि वजन को मेन्टेन करके रखा जाये। 

तनाव कम करना 

हाई बीपी कम करने के लिए तनाव कम करना आवश्यक है। नियमित व्यायाम और मैडिटेशन करने से सेरोटोनिन हार्मोन का उत्पादन बढ़ता है। सेरोटोनिन हैप्पी हार्मोन कहलाता है। केला ,अश्वगंधा आदि का सेवन भी तनाव कम करने में मदद करते हैं। 

धूम्रपान और शराब का सेवन बंद करना 

सीगरेट ,शराब और तम्बाकू का सेवन बंद किये बगैर ब्लड प्रेशर  नियंत्रित नहीं किया जा सकता। इनके सेवन से लिवर ख़राब होता है ,लिवर का उचित कार्य नहीं करना ब्लड प्रेशर बढ़ने का कारण बनता है। 

स्लीपिंग साइकिल सही रखना 

स्लीपिंग साइकिल सही नहीं रहने से हाई बीपी या लो बीपी दोनों में से कोई भी समस्या हो सकती है। पर्याप्त नींद लेने से बीपी की समस्या में राहत मिलती है। जल्दी सोने से नींद अच्छी आती है और सुबह जल्दी जगने से सैर करना तथा व्यायाम करना संभव हो पाता है। 

हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रण के लिए फल ,सलाद और ड्राई फ्रूट्स का सेवन 

यदि भोजन में कच्ची हरी सब्जी ,फल और ड्राई फ्रूट्स का सेवन बढ़ा दिया जाये तो उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करना  बहुत आसान हो जाता है। इसका कारण है इनमें मौजूद फाइबर ,पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स तथा एंटीऑक्सीडेंट्स। ड्राई फ्रूट्स में ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल लेवल मेन्टेन करने का काम करते हैं। फलस्वरूप ब्लड प्रेशर की समस्या से छुटकारा मिलना संभव हो पाता है। 

वसायुक्त भोजन से परहेज 

फ्राइड फ़ूड तथा मलाईवाले दूध और दूध से बनी चीजों का सेवन कम करना चाहिए। खाना पकाने के लिए कम तेल का प्रयोग कर पके हुए खाने में ऊपर से कोल्ड प्रेस्ड सरसों तेल ,ओलिव आयल , मूंगफली तेल इत्यादि मिलाकर खाना चाहिए। एक दिन में दो चम्मच तेल एक व्यक्ति के लिए पर्याप्त होता है। कोल्ड प्रेस्ड आयल में ओमेगा 3  और ओमेगा 6 होते हैं ,यह ह्रदय को स्वस्थ रखते हैं तथा बढे हुए बीपी को भी कम करते हैं। 

चाय – कॉफ़ी का सेवन कम करें 

लोगों को एक दिन में 3 से 4 कप चाय – कॉफ़ी  की आदत होती है। यदि बी पी बढ़ चूका है तो बहुत जरुरी है चाय कॉफ़ी का सेवन  बंद कर दें या बहुत कम कर दें। इसके जगह हर्बल चाय या ग्रीन टी पिया जा सकता है। करी पत्ता की चाय ,सहजन के पत्ते की चाय /मोरिंगा टी , करेले के पत्ते की चाय ,जामुन के पत्ते की चाय ,अमरुद के पत्ते की चाय बहुत ही लाभकारी होते है बढे हुए बीपी को कम करने में। इन्हें एक एक सप्ताह के लिए बदल बदल कर पीना चाहिए। 

कम नमक खाएं 

उच्च रक्त चाप में नामक का सेवन बहुत कम कर दिया जाता है। इस बात को हम सभी जानते हैं। खाना पकाने में भी कम नमक का प्रयोग करना चाहिए और ऊपर से मिलाकर कच्चा नमक बिलकुल नहीं खाना चाहिए। सोडियम  की मात्रा कम रखने और पोटैशियम युक्त भोजन करने से हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना आसान हो जाता है। 

लहसुन , मेथीदाना और अलसी बीज का सेवन 

लहसुन की कलियाँ ,भिंगोया हुआ मेथी दाना और भूना हुआ अलसी बीज का सेवन हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करते हैं। ऐसे कोई भी फ़ूड आइटम जिसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम की मात्रा अच्छी हो ,ओमेगा 3 और ओमेगा 6 मौजूद हो वो फ़ूड आइटम हाई बी पी का लेवल कम करने का काम करते हैं। 

हाई ब्लड प्रेशर का नुकसान 

हाई ब्लड प्रेशर को साइलेंट किलर कहा जाता है। रक्तचाप जितना ज्यादा होगा ,हमारी धमनियों पर दबाव उतना ज्यादा होगा। इससे हमारे शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचता है। दिल का दौरा पड़ने का खतरा भी रहता है साथ ही किडनी ,लिवर और आँख इससे बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं। ब्लड प्रेशर ज्यादा रहने से मेटाबोलिक सिंड्रोम की समस्या उत्पन्न हो जाती है। मेटाबोलिक सिंड्रोम के अंतर्गत एक साथ 5 से 7 कम्प्लीकेशन शुरू हो जाते हैं। इसलिए ब्लड प्रेशर को हमेशा कण्ट्रोल में रखने का प्रयास करना चाहिए।

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