वर्ष 2020 कोरोना के लिए समर्पित किया जा चुका है | सभी कोरोना से परिचित हैं और सभी इससे डरे हुए हैं | लोग इतना डर चुके हैं कि मामूली वायरल – बुखार के लक्षण दिखने पर भी घबरा जाते हैं | सबके मन में कोरोना का ख्याल पहले आता है | स्वाइन फ़्लू और डेंगू को याद क्यों नहीं करतें ? पिछले साल तक तो इन दोनों को याद कर के डरते थे | इस बार कहाँ चले गए डेंगू और स्वाइन फ्लू | कहने का अर्थ यह है कि आगे भी नए- नए वायरस आते रहेंगे | डरने से अच्छा है इनसे बचने का उपाय निकाला जाये | हमें वायरस के नाम से फर्क नहीं पड़ना चाहिए |
कोरोना भी एक वायरस है | इससे केवल मास्क लगाकर ,हाथ धोकर तथा sanitizer का use करके नहीं बचा जा सकता | PPE Kit तथा sanitizer use करने के बावजूद हमारे कई डॉक्टर ,नर्स तथा पुलिस कर्मी अपनी जान गंवा चुके हैं |
इस विपदा के बीच ऐसे भी कुछ डॉक्टर हैं जो अपना फायदा ढूंढ लेते हैं | हमारी सरकार ऐसे डॉक्टर से हमें बचाने की कोशिश कर रही है | फिर भी कुछ डॉक्टर मामूली वायरल – बुखार के लक्षण दिखने पर, लाखों का बिल बनाने में कामयाब हो जातें हैं | कोरोना के टेस्ट किट पर हमारी सरकार ने भी कई बार संदेह जाहिर किया है |
एक समझदार और जिम्मेदार नागरिक होने के कारण यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम अपनी देख रेख खुद करें तथा देश का सहयोग करें | प्रत्येक व्यक्ति अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए कोरोना के डर को भगाने का प्रयास करे तभी हमारा देश इस विपदा से बाहर निकल पायेगा |
शरीर के तापमान में वृद्धि का कारण
शरीर के तापमान में वृद्धि के कई कारण होते हैं | क्षमता से अधिक कार्य करने से शरीर थक जाता है जिससे शरीर के तापमान में वृद्धि हो जाती है | आराम करने से शरीर का तापमान सामान्य हो जाता है | शरीर का तापमान बढ़ने से ही पता चलता है कि हमारे अंदर कुछ इन्फेक्शन पनप रहा है | जब हमारी बॉडी उस इन्फेक्शन से मुकाबला कर रही होती है तब बॉडी का टेम्परेचर बढ़ जाता है | ऐसी परिस्थिति में जब हम तापमान कम करने की दवाई ले लेते हैं तो हमारी बॉडी कमजोर पड़ जाती है | तापमान एकदम से गिर जाता है ,हमें लगता है कि हम ठीक हो गयें | जबकि इन्फेक्शन हमारे अंदर ही रह जाता है | इसलिए दवाई लेने के बावजूद हमें ठीक होने में लम्बा समय लग जाता है |दोबारा बीमार होने का चांस भी बना रहता है |
101 Fahrenheit तक तापमान डॉक्टर के द्वारा भी चिंता का विषय नहीं बताया जाता | इससे ज्यादा होने पर पानी की पट्टी दी जाती है | हथेली , तलवे तथा फोरहेड पर ठंडे पानी की पट्टी दी जानी चाहिए | फिर भी टेम्परेचर ज्यादा लग रहा हो तो बुखार की दवाई दी जा सकती है | जब टेम्परेचर 101 से कम हो जाए तो दवाई बंद कर दें |
वायरल – बुखार के लक्षण दिखने पर किया जाने वाला उपाय
गले में दर्द , घबराहट , छाती में जकड़न , खांसी ,शरीर में दर्द और बुखार कोरोना ही नहीं बल्कि किसी भी वायरल इन्फेक्शन के कारण हो सकता है |
वायरल – बुखार के लक्षण दिखने पर क्या न करें
1. दूध का सेवन
दूध ,दूध वाली चाय तथा दूध से बनी हुई किसी भी चीज़ का सेवन न करें | ये पचने में भारी होते हैं | इनसे म्यूकस का प्रोडक्शन भी बढ़ जाता है |
2. मैदा , चीनी और तेल का सेवन
मैदा ,चीनी और तेल तीनों ही पचने में भारी होते हैं | इनसे खांसी बढ़ जाती है तथा शरीर में बलगम भी ज्यादा बनने लगता है |
3. पका हुआ ठोस भोजन
पका हुआ भोजन पचने में समय लगाता है | यह तो सबने महसूस किया होगा कि तबियत खराब होने पर भूख मर जाती है | इस समय हमारे सभी सिस्टम कमजोर हो जाते हैं | इसलिए पका हुआ ठोस भोजन avoid करना चाहिए |
वायरल – बुखार के लक्षण दिखने पर क्या करें
पहला दिन
1. कोकोनट वाटर अर्थात नारियल पानी और फलों का जूस लें | कुल मिलाकर 6 गिलास यह लिक्विड पीनी है |
3 गिलास कोकोनट वाटर +3 गिलास फ्रूट जूस या
2 गिलास कोकोनट वाटर + 4 गिलास फ्रूट जूस
नारियल पानी में एंटी वायरल तथा एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टी होती है | यह पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है | फलों में सेब ,संतरा ,नारंगी , मौसमी , अनार , पाइनएप्पल आदि का जूस लिया जा सकता है | जूस के लिए एक फल के जगह कई फलों का चुनाव करें | सूर्यास्त होने से पहले तक इनका सेवन कर लेना चाहिए |
2. सुबह शाम गिलोय की एक – एक गोली लें। गिलोय का काढ़ा भी दोनों टाइम लिया जा सकता है | इस समय गिलोय का जूस लेने से बचें क्योंकि कई बार इसके जूस से खांसी बढ़ जाती है |
3.सौंफ की चाय या अदरक की चाय दिन में दो बार लें | इनसे शरीर का तापमान कम होता है तथा सर्दी और खांसी में आराम मिलता है | फेफड़े के इन्फेक्शन में सौंफ की चाय फायदेमंद होती है |
4. दिन में एक बार देसी आयुर्वेदिक काढ़ा लें | इसमें तुलसी के पांच पत्ते , काली मिर्च के चार दाने , दो लौंग , दो तेजपत्ता तथा दालचीनी के छोटे टुकड़े का प्रयोग करें। इसमें स्वाद अनुसार नमक डाला जा सकता है | दो से चार बूँद गाय का घी भी डाल सकते हैं | बाजार में आयुर्वेदिक चाय उपलब्ध हैं ,उनका भी प्रयोग किया जा सकता है |
5. दिन में किसी भी समय एक कटोरी खिचड़ी ली जा सकती है |
6.सूर्यास्त के बाद टमाटर या सब्जियों का सूप लें | रात को खाने में छोटी कटोरी दलिया या ओट लिया जा सकता है | सोने से पहले हल्दी और दालचीनी की बानी हुई चाय लें | चाय के लिए पानी के साथ एक इंच के दालचीनी के टुकड़े को उबालें , 5 मिनट बाद गैस ऑफ कर दें और दो चुटकी हल्दी डाल कर बर्तन को ढक दें | 20 मिनट बाद उसे पी लें |
7. सुबह और शाम दो बार नाक में एक – एक बूँद सरसों तेल या गाय का घी डालें |
दूसरा दिन
पहले दिन की सभी एक्टिविटी को दूसरे दिन भी दोहरायें
तीसरा दिन
तीसरे दिन तीन गिलास जूस कर दें | सौंफ या अदरक की चाय , आयुर्वेदिक काढ़ा तथा रात में हल्दी दालचीनी की चाय लें | ब्रेकफास्ट ,लंच और डिनर में हल्का भोजन किया जा सकता है |
चौथे दिन तक तबियत सामान्य हो जाता है | यदि तबियत में सुधार महसूस नहीं लगे तो डॉक्टर से संपर्क करें |
अगले चार दिनों तक दूध , तेल , चीनी ,दूध वाली चाय का सेवन न करें | फल और सब्जियों का भरपूर सेवन करें | आयुर्वेदिक काढ़ा तथा रात में हल्दी दालचीनी की चाय लें | सुबह – शाम गिलोय की एक -एक गोली लें |
इस आहार को अपनाने से दवाई की जरूरत नहीं पड़ती | यदि आप साथ में दवाई लेना चाहते हैं तो डॉक्टर से परामर्श कर, ले सकते हैं |
इस आहार को अपनाकर दवाई के कारण होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकता है | बीमारी के कारण होने वाली थकान और कमज़ोरी भी नहीं होती | अगली बार जल्दी बीमार पड़ने की सम्भावना कम हो जाती है |
वायरल – बुखार के लक्षण दिखने पर
पहले दिन लिया जाने वाला आहार
- 3 नारियल पानी + 3 गिलास जूस
- दिन में दो बार सौंफ की चाय या अदरक की चाय
- दिन में एक बार आयुर्वेदिक काढ़ा
- दिन में एक बार छोटी कटोरी खिचड़ी और रात को डिनर में छोटी कटोरी दलिया या ओट
- शाम को टमाटर या किसी सब्जी का सूप
- रात को सोने से पहले हल्दी -दालचीनी की चाय
- सुबह – शाम गिलोय की एक -एक गोली
दूसरे दिन इस आहार को दोहराएं
तीसरे दिन लिया जाने वाला आहार
- 1 नारियल पानी + 2 गिलास जूस
- दिन में दो बार सौंफ या अदरक की चाय
- एक बार आयुर्वेदिक काढ़ा
- ब्रेकफास्ट ,लंच और डिनर में हल्का भोजन
- शाम को टमाटर या किसी सब्जी का सूप
- रात को सोने से पहले हल्दी – दालचीनी की चाय |
- सुबह – शाम गिलोय की एक -एक गोली
यह डाइट चार्ट आयुर्वेदिक आचार्य तथा न्यूट्रिशनिस्ट द्वारा बताये गए डाइट प्लान के साथ – साथ मेरे व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित है |
पिछले सात वर्षों से मैं और मेरा परिवार इस आहार को सर्दी और बुखार के लक्षण दिखने पर अपनाते आये हैं | हमे कभी भी दवाई लेने की जरूरत नहीं पड़ी |
इससे सम्बंधित कोई भी शंका या प्रश्न हो तो आप मुझे कमेंट कर सकते हैं | अपने दोस्तों से भी शेयर करें | खुद भी स्वस्थ रहें और अपनों को भी स्वस्थ रखें |
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