महिला को वायरल फीवर है यह दिखाना
lady in fever

वायरल फीवर क्या होता है ?

शरीर का तापमान किसी भी संक्रमण के कारण से बढ़ सकता है | जब वायरस के संक्रमण के कारण शरीर का तापमान बढ़ता है तो इसे वायरल फीवर कहा जाता है | वायरल फीवर बच्चों ,बूढ़ों और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में ज्यादा देखा जाता है | वायरल फीवर ज्यादातर हवा में फैलने वाले वायरस के संक्रमण से होता है | जैसे -इन्फ्लुएंजा ,कोरोना ,स्वाइन फ्लू आदि | इस तरह के संक्रमण को रोकने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर ध्यान देना होता है | 

वायरल फीवर और बैक्टीरियल फीवर दोनों के लक्षणों के बीच काफी समानता होती है | वायरल बुखार ज्यादातर बिना विशेष उपचार के ही ठीक हो जाते हैं | यह पूरी तरह संक्रमित व्यक्ति ( infected person ) के रोग प्रतिरोधक क्षमता के ऊपर निर्भर करता है कि वायरल फीवर कितने दिन रहने वाला है | अधिकतर देखा गया है कि 72 घंटे अर्थात 3 दिन में हमारी बॉडी वायरस के खिलाफ ऐन्टीबॉडी  तैयार कर लेती है | 

वायरल फीवर ठीक करने के लिए कोई सटीक दवाई उपलब्ध नहीं है | डॉक्टर जो दवाई देते हैं उससे केवल लक्षणों में सुधार आता है ,संक्रमण ख़त्म नहीं होता | यदि बुखार का कारण वायरस नहीं बैक्टीरिया होता है तो एंटीबायोटिक्स लेने से बुखार और संक्रमण दोनों ठीक हो जाते हैं | 

इसलिए वायरल फीवर हो तो दवाई से ज्यादा अपनी आहार पर ध्यान देना ज्यादा जरूरी है क्योंकि हमारी बॉडी ही ऐन्टीबॉडी तैयार करनेवाली है | उचित आहार और आराम करने के बावजूद लक्षण में सुधार नहीं दिखे तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए | 

वायरल फीवर के लक्षण /Viral Fever Symptoms 

वायरल फीवर में शरीर का तापमान 104 डिग्री फारेनहाइट तक जा सकता है | संक्रमित व्यक्ति को ठंड के साथ बुखार लगती है | बुखार की दवाई लेने के बावजूद बुखार पूरी तरह से नहीं उतरता | दवा का असर ख़त्म होते ही फिर से बुखार हो जाता है | ज्यादातर लोगों में दोपहर या शाम के वक्त बुखार ज्यादा महसूस होता है | सर्दी -जुकाम या थकावट के कारण होने वाली फीवर से अधिक समय तक वायरल फीवर रहता है | 

वायरल फीवर में दिखने वाले लक्षण निम्न हैं 

  • ठंड के साथ बुखार लगना 
  • गले में दर्द होना 
  • फैरिंक्स में सूजन होना 
  • मुंह का टेस्ट कड़वा हो जाना 
  • चक्कर आना 
  • थकावट महसूस होना 
  • भूख ख़त्म हो जाना 
  • सिर दर्द तथा मांसपेशियों में दर्द 
  • दस्त लगना 
  • उल्टी होना या जी मिचलाना 
  • कमज़ोरी महसूस होना 
  • ज्यादा नींद आना 
  • खांसी होना 
  • गले में खराश तथा सांस लेने में दिक्कत होना 
  • छाती में कफ के कारण भारीपन लगना 
  • बहुत पसीना आना 
  • पेट में दर्द होना 
  • नाक बंद हो जाना या नाक बहना 
  • डिहाइड्रेशन होना 
  • त्वचा पर चकत्ते होना 
  • चेहरे में सूजन आ जाना 

यदि वायरल फीवर में शरीर का तापमान 104 डिग्री फारेनहाइट पहुँच जाए और तीन दिन के बाद भी सुधार नहीं दिखे तो डॉक्टर को दिखायें | यदि तीन दिन में सुधार दिख रहा हो तो उचित आहार लेने और आराम करने से एक हफ्ते में व्यक्ति बिलकुल ठीक हो जाता है | 

वायरल फीवर का कारण /Viral Fever Causes 

जब हमारे शरीर में वायरस का प्रवेश होता है और ये वायरस हमारे जीवित कोशिकाओं का प्रयोग करके अपने जैसे दूसरे वायरस बनाने लगते है तो हमे थकान महसूस होती है | पूरे शरीर में फैलने और संक्रमित करने में यह 16 से 24 घंटे का समय लेता है | कभी कभी यह शरीर में प्रवेश करने के करीब 21 दिन बाद लक्षण दिखाता है | शरीर का तापमान बढ़ने से ही पता चलता है कि हमारे अंदर कोई रोगाणु पनप रहे हैं | जब हमारा शरीर उस वायरस या बैक्टीरिया से मुकाबला कर रहा होता है तो शरीर का तापमान बढ़ जाता है | हम इसे बैक्टीरियल या वायरल फीवर का नाम दे देते हैं | 

वायरस के संक्रमण का कारण 

  • संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकलने वाले पसीने , थूक ,खून ,बलगम के संपर्क में आना 
  • संक्रमित व्यक्ति के चीज़ों का उपयोग करना 
  • संक्रमित पशुओं के नज़दीक रहना 
  • ऐसे जगह पर रहना जहाँ चूहे अधिक हो और अंधेरा हो 
  • संक्रमित इंजेक्शन का इस्तेमाल करना 
  • पब्लिक शौचालय का इस्तेमाल करना 
  • बार बार गंदे हाथ अपने मुंह और नाक के पास ले जाना 
  • भीड़ वाले जगह पर जाना 
  • ऐसे जगह यात्रा करना जहाँ विशेष प्रकार का संक्रमण फैला हुआ हो 
  • संक्रमित मक्खी और संक्रमित मच्छर का काटना | 

वायरल फीवर का उपचार /Viral Fever Treatment 

वायरल फीवर का कारण जानने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट ,CBC टेस्ट और चेस्ट का x -ray करवाने की सलाह देते हैं | पर इस टेस्ट से बिलकुल नहीं पता चल पाता  कि  आपको वायरल बुखार हुआ है |  अगर बुखार  कई दिनों से है और टेस्ट में कोई बैक्टीरिया नहीं मिला तो यह मान लिया जाता है कि यह वायरल फीवर है | यह डॉक्टर का अपना निर्णय होता है कि वह कौन सी दवा देनेवाले हैं | दिए गए दवाओं से लक्षण में सुधार दिखने लगता है | पर पूरी तरह रोग मुक्त होने के लिए हमें अपने शरीर के द्वारा बनाये जाने वाले ऐन्टीबॉडी पर निर्भर रहना पड़ता है | 

उपचार से ज्यादा बेहतर बचाव है | निम्न बातों का ध्यान रख कर संक्रमण से बचा जा सकता है 

  • भीड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचना 
  • बाहर से घर में आने के बाद पहने हुए कपड़ों को धुलने के लिए डालना 
  • गीले कपड़े और जूतों को अलग रखना 
  • बारिश में भींगने से बचना 
  • खाना खाने से पहले हाथ धोना 
  • बार बार गंदे हाथों से मुँह या नाक को नहीं छूना 
  • बाहर का खाना नहीं खाना 

वायरल फीवर का घरेलु उपचार /Home Remedy of Viral Fever 

एंटी वायरल दवाइयाँ उपलब्ध नहीं है लेकिन ऐसे बहुत सारे फल और मसाले हैं जिनमें एंटी वायरल गुण होते हैं | ऐसे हर्ब्स मौजूद हैं जिनसे वायरल बुखार ठीक किया जा सकता है | सबसे ज्यादा जरूरी अपनी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाना होता है

 वायरल बुखार में नहीं खाने वाले आहार 

1. दूध का सेवन 

दूध ,दूध वाली चाय तथा दूध से बनी हुई किसी भी चीज़ का सेवन न करें | ये पचने में भारी होते हैं | इनसे म्यूकस का प्रोडक्शन भी बढ़ जाता है | आचार्य सुश्रुत के द्वारा सुश्रुत संहिता में दूध के सेवन को लेकर बुखार (ज्वर)में बताये गए नियम 

2. मैदा , चीनी और तेल का सेवन 

मैदा ,चीनी और तेल तीनों ही पचने में भारी होते हैं | इनसे खांसी बढ़ जाती है तथा शरीर में बलगम भी ज्यादा बनने लगता है | 

3. पका हुआ ठोस भोजन 

पका हुआ भोजन पचने में समय लगाता है | यह तो सबने महसूस किया होगा कि तबियत खराब होने पर भूख मर जाती है | इस समय हमारे सभी सिस्टम कमजोर हो जाते हैं | इसलिए पका हुआ ठोस भोजन avoid करना चाहिए |

वायरल बुखार में लिया जाने वाला आहार 

पहला दिन 

1. कोकोनट वाटर अर्थात नारियल पानी और फलों का जूस लें | कुल मिलाकर 6 गिलास यह लिक्विड पीनी है |

 3 गिलास कोकोनट वाटर +3 गिलास फ्रूट जूस  या

2 गिलास कोकोनट वाटर + 4 गिलास फ्रूट जूस 

नारियल पानी में एंटी वायरल तथा एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टी होती है | यह पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है | फलों में सेब ,संतरा ,नारंगी , मौसमी , अनार , पाइनएप्पल आदि का जूस लिया जा सकता है | जूस के लिए एक फल के जगह कई फलों का चुनाव करें | सूर्यास्त होने से पहले तक इनका सेवन कर लेना चाहिए | 

2. सुबह शाम गिलोय की एक – एक गोली लें। गिलोय का काढ़ा भी दोनों टाइम लिया जा सकता है | इस समय गिलोय का जूस लेने से बचें क्योंकि कई बार इसके जूस से खांसी बढ़ जाती है |  

3.सौंफ की चाय या अमरुद के पत्ते की चाय दिन में दो बार लें | इनसे शरीर का तापमान कम होता है तथा सर्दी और खांसी में आराम मिलता है | फेफड़े के इन्फेक्शन में सौंफ की चाय फायदेमंद होती है |

 हर्बल चाय बनाने की विधि पढ़ें

4. दिन में एक बार देसी आयुर्वेदिक काढ़ा लें | इसमें तुलसी के पांच पत्ते , काली मिर्च के चार दाने , दो लौंग , दो तेजपत्ता  तथा दालचीनी के छोटे टुकड़े और 2 ग्राम अदरक का प्रयोग करें। इसमें स्वाद अनुसार नमक डाला जा सकता है | दो से चार  बूँद गाय का घी भी डाल सकते हैं | बाजार में आयुर्वेदिक चाय उपलब्ध हैं ,उनका भी प्रयोग किया जा सकता है | 

5. दिन में किसी भी समय एक कटोरी खिचड़ी ली जा सकती है |

6.सूर्यास्त के बाद टमाटर या सब्जियों का सूप लें | रात को खाने में छोटी कटोरी दलिया  या ओट लिया जा सकता है | सोने से पहले हल्दी और दालचीनी की बानी हुई चाय लें | चाय के लिए पानी के साथ एक इंच के दालचीनी के टुकड़े को उबालें , 5 मिनट बाद गैस ऑफ कर दें और दो चुटकी हल्दी डाल कर बर्तन को ढक दें | 20 मिनट बाद उसे पी लें  

7. सुबह और शाम दो बार नाक में एक – एक बूँद सरसों तेल या गाय का घी डालें | 

दूसरा दिन 

पहले दिन की सभी  एक्टिविटी को दूसरे दिन भी दोहरायें 

अमरुद के पत्ते की चाय बनाने की विधि पढ़ें 

तीसरा दिन   

तीसरे दिन तीन गिलास जूस कर दें | सौंफ या अमरुद के पत्ते की चाय , आयुर्वेदिक काढ़ा तथा रात में हल्दी दालचीनी की चाय लें | ब्रेकफास्ट ,लंच और डिनर में हल्का भोजन किया जा सकता है | 

चौथे दिन तक तबियत सामान्य हो जाता है | यदि तबियत में सुधार महसूस नहीं लगे तो डॉक्टर से संपर्क करें | 

अगले चार दिनों तक दूध , तेल , चीनी ,दूध वाली चाय का सेवन न करें | फल और सब्जियों का भरपूर सेवन करें | आयुर्वेदिक काढ़ा तथा रात में हल्दी दालचीनी की चाय लें | सुबह – शाम गिलोय की एक -एक गोली लें | 

इस आहार को अपनाने से दवाई की जरूरत नहीं पड़ती | यदि आप साथ में दवाई लेना चाहते हैं तो डॉक्टर से परामर्श कर, ले सकते हैं | इस आहार को अपनाकर दवाई के कारण होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकता है | बीमारी के कारण होने वाली थकान और कमज़ोरी भी नहीं होती | अगली बार जल्दी बीमार पड़ने की सम्भावना कम हो जाती है | 

संक्षेप में 

पहले दिन लिया जाने वाला आहार

  • 3 नारियल पानी + 3 गिलास जूस 
  • दिन में दो बार सौंफ की चाय या अमरुद के पत्ते की चाय 
  • दिन में एक बार आयुर्वेदिक काढ़ा 
  • दिन में एक बार छोटी कटोरी खिचड़ी और रात को डिनर में छोटी कटोरी दलिया या ओट 
  • शाम को टमाटर या किसी सब्जी का सूप 
  • रात को सोने से पहले हल्दी -दालचीनी की चाय 
  • सुबह – शाम गिलोय की एक -एक गोली 

दूसरे दिन इस आहार को दोहराए 

तीसरे दिन लिया जाने वाला आहार 

  • 1 नारियल पानी + 2 गिलास जूस 
  • दिन में दो बार सौंफ या अमरुद के पत्ते की चाय 
  • एक बार आयुर्वेदिक काढ़ा 
  • ब्रेकफास्ट ,लंच और डिनर में हल्का भोजन 
  • शाम को टमाटर या किसी सब्जी का सूप 
  • रात को सोने से पहले हल्दी – दालचीनी की चाय |
  • सुबह – शाम गिलोय की एक -एक गोली 

यह डाइट चार्ट आयुर्वेदिक आचार्य तथा न्यूट्रिशनिस्ट  द्वारा बताये गए डाइट प्लान के साथ – साथ मेरे व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित है |

इससे सम्बंधित कोई भी शंका या प्रश्न हो तो आप मुझे कमेंट कर सकते हैं | अपने दोस्तों से भी शेयर करें | खुद भी स्वस्थ रहें और अपनों को भी स्वस्थ रखें | 

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