लो ब्लड प्रेशर अर्थात निम्न रक्तचाप का अर्थ है रक्तचाप का सामान्य से कम हो जाना। ऐसे में रक्त मस्तिष्क ,किडनी ,आँखों के पास तथा शरीर के अन्य अंगों में पर्याप्त नहीं पहुँच पाता। इस अवस्था में व्यक्ति को चक्कर आते हैं तथा आँखों के सामने अँधेरा छा जाता है। लो बीपी भी उतना ही खतरनाक है जितना हाई ब्लड प्रेशर। दोनों तरह की परेशानी उम्र बढ़ने के साथ बढ़ती है। लो बीपी के उपचार इसके कारण पर निर्भर करता है। लो बीपी के उपचार में योगासन और कुछ आहार में बदलाव करना आवशयक है। हाई बीपी को नियंत्रण में रखने के लिए अनगिनत दवाइयां हैं जबकि लो बीपी की दवाइयां उतनी कारगर नहीं होती। इसे आहार और योगासन तथा प्राणायाम से कण्ट्रोल किया जा सकता है।
लो ब्लड प्रेशर क्या होता है ? लो ब्लड प्रेशर कितना होता है ?
लो ब्लड प्रेशर का अर्थ है ब्लड प्रेशर का सामान्य से कम हो जाना। लो ब्लड प्रेशर को हाइपोटेंशन भी कहा जाता है। वयस्कों में नार्मल ब्लड प्रेशर 120 / 80 mmHg से 90 / 60 mmHg के बीच रहता है। विशेषज्ञों के अनुसार 90 / 60 mmHg से कम ब्लड प्रेशर लो ब्लड प्रेशर कहलाता है। दोनों में से कोई भी संख्या इससे कम हो तो ब्लड प्रेशर लो कहलाता है। यदि किसी का ब्लड प्रेशर 100 / 55 mmHg है तब भी ब्लड प्रेशर लो कहा जायेगा।
120 / 80 mmHg ( millimeter of mercury ) में 120 सिस्टोलिक प्रेशर होता है और 80 डायास्टोलिक प्रेशर होता है। सिस्टोलिक प्रेशर वह प्रेशर है जिस प्रेशर में ह्रदय की मांसपेशियां संकुचित होकर धमनियों में रक्त पंप करती है। डायास्टोलिक प्रेशर तब नोट किया जाता है जब ह्रदय की मांसपेशियां संकुचन के बाद शिथिल हो जाती हैं। ब्लड प्रेशर सही होने से रक्त का संचार सभी अंगो तक ढंग से होता है। ब्लड प्रेशर कम होने पर सभी अंगो तक रक्त प्रॉपर नहीं पहुँच पाता।
लो बीपी के उपचार में प्राणायाम और योगासन
लो ब्लड प्रेशर में सुधार के लिए प्राणायाम और योग का अभ्यास बहुत प्रभावी होता है। इससे निम्न रक्तचाप सामान्य रक्तचाप की तरफ बढ़ने लगता है। आइये देखते हैं कि निम्न रक्तचाप में कौन से प्राणायाम और योगासन बेहतर होते हैं।
- कपालभाति प्राणायाम
- भस्त्रिका प्राणायाम
- सूर्यभेदी प्राणायाम
- कपालभाति प्राणायाम
कपालभाति का अभ्यास सुबह खाली पेट करना अच्छा होता है। कपालभाति करने के लिए सुबह खाली पेट आराम से पीठ को सीधा रखते हुए पद्मासन या सुखासन में बैठ जाये। हाथो को ज्ञान मुद्रा में दोनों जांघो पर रखें। अपना ध्यान साँस पर केंद्रित करें। सामान्यतौर पर जैसे श्वास लेते हैं ,वैसे ही कपालभाति में साँस लें।श्वास छोड़ते समय तेजगति से नाक से आवाज़ के साथ झटके से श्वास बाहर निकालें। पेट भी झटके से अंदर जायेंगे। श्वास बाहर निकालते समय पेट भी तेज़ी से झटके के साथ अंदर जाता है। प्राणायाम करते समय आँखें बंद और चेहरे पर सुख का भाव होना चाहिए। सामन्यतः एक सेकंड में एक स्ट्रोक अर्थात एक बार श्वास बाहर छोड़ते हैं। शुरुआत में एक मिनट में 20 स्ट्रोक ही रखना सही होता है। लो बीपी के उपचार में कपालभाति प्राणायाम बहुत फायदेमंद होता है।
- भस्त्रिका प्राणायाम
इसका अभ्यास भी सुबह खाली पेट करना चाहिए। भस्त्रिका प्राणायाम करने के लिए पद्मासन या सुखासन में बैठे। पीठ सीधी रखें तथा दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें। इसमें श्वास लेना और छोड़ना दोनों ही प्रक्रिया वेग के साथ की जाती है। आवाज के साथ लम्बी श्वास लेते हुए छाती में हवा भरे और वेग के साथ श्वास बाहर छोड़े। इसमें श्वास लेना और छोड़ना एक गति में होता है। श्वास को अंदर भरकर नहीं रखा जाता है। गर्मी में यह प्राणायाम 2 – 3 मिनट किया जाता है और सर्दी में 5 मिनट तक कर सकते हैं। एक मिनट में अपनी क्षमता अनुसार 30 स्ट्रोक से 60 स्ट्रोक पूर्ण करते हैं। इससे शरीर में रक्त का बहाव सही होता है तथा हर अंग तक रक्त पहुँचता है। लो बीपी के उपचार में इसका बहुत योगदान होता है।
- सूर्यभेदी प्राणायाम
नाक के दाएं छिद्र / नासिका को सूर्य स्वर और बाएं छिद्र को चंद्र स्वर कहते हैं। सूर्यभेदी प्राणायाम में सूर्य स्वर अर्थात दाएं नासिका से श्वास ली जाती है और बाएं नासिका से श्वास छोड़ी जाती है। सबसे पहले पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। पीठ और गर्दन सीधी रखें। नाक के बाएं छिद्र को अपनी ऊँगली से बंद करें और दाएं छिद्र से श्वास अंदर भरें। लम्बी श्वास भरने के बाद नाक के दाएं छिद्र को भी अपनी ऊँगली से बंद कर दें। श्वास को सामर्थ्यानुसार अंदर रोक कर रखें। दाएं छिद्र को बंद ही रखें और बाएं छिद्र से श्वास धीरे धीरे बाहर छोड़े। इस तरह सूर्यभेदी प्राणायाम का एक चक्र पूरा हुआ। यह गर्मी प्रदान करता है इसलिए पित्त प्रकृति वाले इसका अभ्यास ज्यादा न करें।
लो बीपी के उपचार में ऊपर बताएं गयें तीनो प्राणायाम असरकारी है।
लो बीपी के उपचार हेतु योग मुद्राएं
लो बीपी के उपचार में योगासन का भी बहुत असर देखा गया है। नीचे बताये गए 6 योगासन लो बीपी के रोगियों के लिए सुझाएं गए हैं।
- उत्तान आसन / Standing forward bend pose
लो बीपी के उपचार में उत्तानासन का अभ्यास बहुत असरकारी है। यह आसन मस्तिष्क तक रक्त को पहुंचाता है। इससे चक्कर आना कम होता है और थकावट भी कम महसूस होता है। इस आसन का अभ्यास करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं ,पैरों को साथ में जोड़ कर रखें और हाथों को शरीर के साइड में रखें। धड़ को कूल्हे के जोड़ों से झुकाएं। हाथों को जमीं पर दोनों साइड टिकाएं ,आगे की और झुकी हुई अवस्था में सिर घुटनो के निचे तक लाएं। इस अवस्था में 30 सेकंड तक खड़े रहे। अब सामन्य अवस्था में वापस आ जाएं।
- अधोमुख श्वानासन / Downward facing dog pose
यह आसन मस्तिष्क को शांत करता है तथा शरीर की थकान दूर करता है। इसके लिए सीधे खड़े हो जाएं ,दोनों हाथों को आगे करते हुए जमीन पर झुकें। हाथों को जमीन पर फैलाएं। इस समय आपका शरीर जमीन के साथ त्रिकोण बनाएगा, जिसका हर कोण 60 डिग्री का होगा। घुटनों को सीधा रखें। एड़ियों को जमीन से थोड़ा उठाकर पंजे पर वजन दें। यह आसन सूर्यनमस्कार का एक आवश्यक भाग है।
- पवनमुक्त आसन / Wind Relieving Pose
यह आसन रक्त संचार बढ़ाता है। पेट की समस्या में आराम दिलाता है। पेट तथा पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं।साँस लेते हुए घुटनो को मोड़कर छाती तक लाएं और अपने दोनों हाथों से पैरो को छाती की तरफ दबाएं। सिर को उठाते हुए अपने सिर से घुटने को छूने की कोशिश करें। कुछ सेकंड तक इसी स्थिति में रहें और सांस को अंदर रोक कर रखें। अब धीरे – धीरे साँस छोड़ते हुए पैरों को सीधा करें और पीठ के बल लेटने की अवस्था में आ जाएं। इसका अभ्यास 8 से 10 बार करें।
- शिशु आसन / Child Pose
यह आसन तनाव और थकान से शरीर को आराम दिलाता है एवं मस्तिष्क को शांत करता है। शिशुआसन में सबसे पहले वज्र आसन की तरह घुटनों को मोड़ते हुए एड़ी पर बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को आगे की ओर फैलाते हुए सिर को जमीन पर टिकाएं। इस अवस्था में छाती घुटनो के पास लगती है। इससे माइग्रेन में भी राहत मिलती है। लो बीपी के उपचार में इस आसान का अच्छा परिणाम देखा गया है।
- सर्वांगासन / Shoulder stand
यह आसन मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बढ़ाता है। इससे मन शांत होता है तथा चक्कर आने की समस्या दूर होती है। सर्वांगासन करने के लिए जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं। अब कंधे के बल अपने पैर और धड़ को सीधा हवा में खड़ा करें। पीठ को अपने दोनों हाथों से सपोर्ट दें। पैरों को सीधा रखने का प्रयास करें। अपने धड़ को ऊपर खींचने और सीधा रखने का प्रयास करें। लम्बी श्वास लें और इस अवस्था में सामर्थ्यानुसार आधा मिनट से एक मिनट रहे। अब धीरे धीरे हाथ को जमीन पर रखते हुए पीठ के बल पूर्वावस्था में लौट जाएं। इससे थायरॉइड रोग भी ठीक होता है।
- मत्स्य आसन / Fish Pose
यह आसन पीठ और गर्दन की मांसपेशियों में फैलाव लाता है और रक्त संचार बढ़ाता है। इससे लो ब्लड प्रेशर में सुधार आता है। मत्स्यासन करने के लिए पद्मासन में बैठ जाये। इस आसन को करने के लिए वज्रासन में भी बैठ सकते हैं। अब पीठ को धीरे धीरे पीछे की ओर ले जाएं। कोहनियों को जमीन पर टिकाकर धड़ को सहारा दें। अब सिर को जमीन पर टिकाएं। गर्दन और पीठ का ऊपरी भाग जमीन से 5 – 6 इंच ऊपर रहेगा तथा सिर का ऊपरी मध्य भाग जमीन को टच करेगा। इस अवस्था में अपनी क्षमता अनुसार एक मिनट तक रहे। धीरे से पहले पैरों को सीधा करें और पीठ के बल लेट जाएं। पद्मासन और वज्रासन दोनों से यह नहीं हो प् रहा तो पैरों को सीधा रखें।
जिन्हें लो ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है उन्हें ऊपर बताये गए तीन प्राणायाम और 6 योगाभ्यास करनी चाहिए। इससे लो बीपी के उपचार में सकारात्मक परिणाम मिलता है।
लो बीपी के उपचार में लिया जाने वाला आहार
लो ब्लड प्रेशर की दवा इसके कारण पर निर्भर करती है। जिस कारण लो बीपी हो रहा है उस कारण को ठीक किया जाता है। लो बीपी में घरेलु उपचार बहुत कारगर है। लो बीपी की समस्या को ठीक करने के लिए शरीर में खून की कमी को पूरा किया जाता है। डिहाइड्रेशन की स्थिति से बचाव किया जाता है और सोडियम की कमी नहीं होने दी जाती है। आइये देखते हैं लो बीपी में लिया जानेवाला आहार –
- चाय और कॉफ़ी
जब रक्त चाप अचानक कम हो जाये तब चाय और कॉफ़ी दोनों ही रक्त चाप को नार्मल करते हैं।
- दालचीनी
दालचीनी की चाय भी लो बीपी में फायदेमंद है। गरम पानी के साथ दालचीनी पाउडर भी लिया जा सकता है।
- टमाटर
टमाटर यदि काली मिर्च और सेंधा नमक के साथ खाया जाये तो निम्न रक्तचाप में लाभ मिलता है।
- गाजर ,चुकंदर ,किशमिश ,छुहारा ,खजूर
गाजर ,चुकंदर ,किशमिश ,छुहारा ,खजूर जैसी रक्त बढ़ाने वाली फ़ूड आइटम लो बीपी में फायदेमंद होते हैं। इनका नियमित सेवन करना लो ब्लड प्रेसर को नार्मल रखने में मदद करता है। विटामिन B12 और फोलेट युक्त फ़ूड भी लेना चाहिए।
- आंवला
आंवले का रास या आंवले का मुरब्बा दोनों ही लो बी पी में लेना अच्छा होता है।
- नमक पानी का घोल
लो बीपी के लक्षण दीखते ही नमक पानी का घोल देना चाहिए। यह घोल बहुत असरकारी होता है। एक गिलास पानी में आधा चम्मच नमक और आधा चम्मच निम्बू का रस मिलाकर पीने से बीपी तुरंत नार्मल हो जाता है
- तुलसी और निम्बू
8 – 10 तुलसी की पत्तियों को उबालकर चाय बनायी जाये और उसमें पीते समय 4- 5 बूँद निम्बू का रस मिलाकर पिया जाये तो लो बीपी नार्मल होता है। यह हाई बीपी को भी नार्मल करता है।
- मुलैठी और शहद
मुलैठी की चाय शहद डालकर पीने से लो बीपी को नार्मल लेवल तक लाने में मदद मिलती है। यह चाय हर्बल चाय की तरह प्रतिदिन पिया जा सकता है। इससे लक्षण में सुधार दिखने लगते हैं।
- पानी
लो बीपी के लक्षण दीखते ही पानी पीना चाहिए। इससे रक्त की मात्रा में वृद्धि होती है और डिहाइड्रेशन भी दूर होता है। इससे भी लो बीपी नार्मल होता है।
- छाछ
एक गिलास पानी में 2 चम्मच दही और नमक तथा भूना हुआ जीरा डालकर मिलाये। इस तरह छाछ तैयार हो गया। यह भी लो बीपी के लक्षण को दूर करता है। इससे सोडियम और पानी दोनों की कमी पूरी हो जाती है।
लो ब्लड प्रेशर के लक्षण ,कारण और समस्याएं
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