निमोनिया फेफड़ों में होनेवाला संक्रमण है। इसमें एक या दोनों फेफड़ों के एयर सैक / alveoli मवाद से भरकर सुज जाते हैं | जिससे बलगम वाली खांसी ,बुखार, ठण्ड लगना और सांस में परेशानी हो जाती है | संक्रमण के कारण अल्विओली में इन्फ्लेमेशन होता है, द्रव भरने लगता है जो आगे चलकर मवाद का रूप ले लेता है। इससे अल्विओली की दीवार मोटी हो जाती है तथा गैस का एक्सचेंज ढंग से नहीं हो पाता और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है | निमोनिया कई बार जानलेवा साबित होता है | छोटे बच्चों तथा 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को निमोनिया का संक्रमण ज्यादा होता है। अधिकतर निमोनिया संक्रामक होते हैं। यह छींकने और खांसने से फैलते हैं। कुछ निमोनिया संक्रामक नहीं भी होते हैं | भारत में प्रत्येक वर्ष करीब 1 लाख 90 हज़ार छोटे बच्चे निमोनिया के कारण अपनी जान गँवा देते हैं |
निमोनिया के लक्षण
निमोनिया के लक्षण फ्लू जैसे हो सकते हैं। ये कभी – कभी धीमी गति से विकसित होते हैं और कभी – कभी बहुत तेज़ी से गंभीर रूप ले लेते हैं। इनके मुख्य लक्षण हैं –
- सूखी खांसी या बलगम वाली खांसी
- कमजोरी और थकावट महसूस होना
- कंपकंपी लगकर बुखार आना
- बुखार के साथ बहुत पसीना आना
- साँस लेने में कठिनाई होना
- सीने में दर्द होना , धड़कन का तेज़ होना
- बेचैनी महसूस होना
- कई बार पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलने से मतिभ्रम या उलझन की स्थिति पैदा होना
- होंठ और नाखूनों का रंग बदलना
- जी मिचलाना और उल्टी होना
- कभी -कभी खांसी में खून का भी आना संभव है
- फेफड़ों का ढंग से कार्य न करने के कारण ऑक्सीजन की कमी होना
निमोनिया के कारण और प्रकार
निमोनिया वायरस , बैक्टीरिया , परजीवी या अन्य जीवों से भी हो सकता है। ज्यादातर मामलों में बैक्टीरियल निमोनिया सामने आता है। कई बार फंगस और प्रदूषण भी इसका कारण होते हैं | जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत कमजोर होती है उनमें फंगल निमोनिया की सम्भावना रहती है। निमोनिया के कारण के आधार पर इसे 5 श्रेणी में बांटा गया है –
- बैक्टीरियल निमोनिया / Bacterial pneumonia
बैक्टीरियल निमोनिया का कारण streptococcus pneumoniae होता है। यह सभी उम्र के लोगों को हो सकता है। लेकिन जिनकी रोग प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो या पहले से कोई संक्रमण हो तो इसकी संभावना ज्यादा रहती है।
- वायरल निमोनिया / Viral pneumonia
वायरल निमोनिया का कारण फ्लू या अन्य वायरस भी हो सकते हैं। यदि वायरल निमोनिया है तो बैक्टीरियल निमोनिया होने की संभावना अधिक होती है।
- माइकोप्लाज्मा निमोनिया / Mycoplasma pneumonia
इसे एटिपिकल निमोनिया भी कहा जाता है। यह mycoplasma pneumoniae नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। इसके लक्षण माइल्ड होते हैं। इसे वाकिंग निमोनिया भी कहा जाता है। इसके लक्षण साधारण कोल्ड की तरह होते हैं। यह स्कूल के बच्चों में ज्यादा फैलता है। ये बैक्टीरिया सिर्फ वॉटर ड्रॉपलेट्स में ही जिन्दा रह सकते हैं। सही पोषण लेने और आराम करने से यह ठीक हो जाता है। यदि प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो तो स्थिति गंभीर हो सकती है।
- एस्पिरेशन निमोनिया / Aspiration pneumonia
एस्पिरेशन निमोनिया उन लोगों को अधिक संक्रमित करता है जो पहले से बीमार हो। यह भोजन , गैस , धूल मिट्टी , प्रदूषण से होता है। इसे कभी-कभी ठीक करना मुश्किल हो जाता है।
- फंगल निमोनिया / Fungal pneumonia
फंगल निमोनिया का कारण फंगस होता है। इसका इलाज करना कठिन होता है ,यह निमोनिया कम देखने को मिलता है।
निमोनिया का परिक्षण / Diagnosis of Pneumonia
- शारीरिक जाँच – डॉक्टर स्टेथोस्कोप से फेफड़ों की आवाज़ सुनकर निमोनिया का पता लगा लेते हैं।
- छाती का एक्स रे – डॉक्टर को निमोनिया का संदेह हो तो वह छाती का एक्स-रे करवा कर देखते हैं।
- खून की जांच – डॉक्टर खून की जांच करवा कर सफ़ेद रक्त कोशिकाओं की गिनती देखते हैं। न्यूट्रोफिल्स की संख्या से डॉक्टर को संक्रमण का पता चलता है।
- बलगम की जांच – जर्म्स को देखने के लिए बलगम की जांच कराई जाती है।
- सिटी स्कैन – फेफड़ों की बेहतर दृश्य पाने के लिए सिटी स्कैन करवाई जाती है।
- ऑक्सीजन लेवल की जांच – खून में ऑक्सीजन की मात्रा की जांच की जाती है।
- ब्रोंकोस्कोपी – यह फेफड़ों के वायुमार्ग की जांच के लिए किया जाता है। जब एंटीबायोटिक्स का भी असर नहीं हो रहा हो और रोगी अस्पताल में भर्ती हो तब यह जांच की जाती है।
निमोनिया का इलाज
- एंटीबायोटिक्स – बैक्टीरियल निमोनिया का इलाज एंटीबायोटिक से की जाती है।
- खांसी की दवा – खांसी बहुत ज्यादा हो तो खांसी की दवा दी जाती है जिससे खांसी कम हो जाये। हल्की खांसी बलगम को बाहर निकालने के लिए जरुरी होता है।
- बुखार और दर्द की दवा दी जाती है ,जिससे बुखार और दर्द ठीक हो तथा इंफ्लामेशन भी कम हो जाये।
अस्पताल में भर्ती करने की जरुरत होती है यदि –
- आयु 65 वर्ष से अधिक हो
- रक्त चाप लो हो गया हो
- सांस ज्यादा तेज़ चल रही हो
- सांस लेने के लिए सहायता की जरुरत पड़ रही हो
- तापमान सामान्य से कम हो गया हो
- ह्रदय गति 50 से नीचे या 100 से ऊपर हो
- मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी होने से भ्रमित या उलझन की स्थिति आ गई हो।
- किडनी में समस्या आ गई हो
- गंभीर लक्षण के कारण वेंटिलेटर की जरूरत हो
- छोटे बच्चों को संक्रमण के दौरान बुखार हो , सांस लेने में परेशानी हो रही हो ,बच्चा सुस्त लग रहा हो, बहुत ज्यादा सो रहा हो ,सामान्य से आधा तरल पदार्थ ले रहा हो तो अस्पताल में भर्ती करने की जरुरत होती है |
निमोनिया का घरेलू उपचार
1. लहसुन से निमोनिया का उपचार
निमोनिया की स्थिति में लहसुन की एक कली सुबह खाली पेट लें | इसके लिए लहसुन को छीलकर बारीक काट लें और 10 मिनट बाद उसे खाकर दो घूंट गुनगुना पानी पी लें। आधे घंटे तक कुछ नहीं खाएं। छोटे बच्चे जो लहसुन नहीं खा सकते उन्हें लहसुन का पानी पिलाएं। इसके लिए लहसुन को काटने के बाद 4 – 5 चम्मच गरम पानी में रख दें। 10 मिनट बाद बच्चे को यह पानी पिलाएं |
2. हल्दी से निमोनिया का इलाज
हल्दी का प्रयोग निमोनिया में सबसे अच्छा परिणाम दिखाता है। हल्दी कई प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है –
- हल्दी में एंटीवायरल ,एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं | निमोनिया की स्थिति में हल्दी की चाय लें। इसके लिए पानी उबालें। गैस बंद करने के बाद एक कप पानी में एक चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर डालें। ढक कर 10 मिनट के लिए रखें ,फिर इसे बिना छाने पी लें |
- एक चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर गुनगुने पानी के साथ रात को सोने से पहले कायमचूर्ण की तरह खा लें। यह भी बहुत असरदार होता है |
- नमक के पानी के साथ गरारे करें , उसमें दो चुटकी हल्दी पाउडर भी मिला लें |
- रात को सोने से पहले हल्दी का धुआं सूंघे। उसके बाद पानी नहीं पिएं |
हल्दी का सेवन बिना कारण नहीं करें क्योंकि ज्यादा हल्दी लेने से खून में आयरन की कमी हो जाती है। यह औषधि है और इसका प्रयोग औषधि की तरह ही करें |
3. मेथी दाना की चाय
2 कप पानी में आधा चम्मच मेथी के दाने ,एक ग्राम अदरक ,एक लहसुन की कली और 4-5 काली मिर्च कूटकर डालें। इसे 5 मिनट उबाल लें। जब यह पीने लायक गुनगुना रह जाये तो आधा चम्मच शहद डालकर पिएं |
4. लौंग तुलसी की चाय
3 कप पानी उबालें ,उसमें 2 लौंग ,4-5 काली मिर्च ,1 ग्राम अदरक ,1 लहसुन की कली ,एक छोटा टुकड़ा दालचीनी ,8-10 तुलसी पत्ते डालें और 5 मिनट के लिए इसे उबलने दें | ढक कर 10 मिनट के लिए रहने दें , पीने के समय इसमें शहद या गुड़ मिलाएं | दिन में एक बार यह काढ़ा पिएं | यह इंफ्लामेशन को कम करता है और संक्रमण को भी ठीक करता है | यह औषधि है , इम्यून बूस्टर नहीं | बिना जरुरत के इसे नहीं पिएं |
5. अदरक की चाय
एक कप पानी उबालें ,गैस बंद कर दें ,इसमें 4 ग्राम अदरक और 4-5 काली मिर्च कूटकर डालें। 10 मिनट के लिए ढककर रख दें। 10 मिनट बाद इसमें शहद मिलाकर पिएं। इस चाय को केवल एक बार ही लें। रात के समय यह चाय नहीं लें ,इससे नींद में बाधा आएगी | यह चाय ब्लड थिनर का भी कार्य करता है ,इसलिए यदि कोई ब्लड थिनर ले रहे हैं तो यह चाय नहीं लें | गर्भवती महिला भी यह चाय नहीं लें। जिन्हें खूनी बवासीर है वो भी नहीं लें |
6. गिलोय का सेवन
निमोनिया की स्थिति में गिलोय का सेवन उपयोगी होता है | इसे काढ़ा या टेबलेट के रूप में लिया जा सकता है। इससे इंफ्लामेशन कम होगा तथा संक्रमण सही होगा | संक्रमण के समय बुखार भी होता है। गिलोय में एंटी पायरेटिक गुण होते हैं ,जिस कारण यह शरीर का तापमान कम करता है | यदि टैबलेट ले रहे हैं तो इसे दो बार लिया जाता है। काढ़ा भी दो बार पि सकते हैं। इससे प्लेटलेट्स की कमी नहीं होती और कमजोरी भी ठीक होती है |
7. भाप से निमोनिया का इलाज
स्टीम / भाप लेना निमोनिया में बहुत फायदेमंद होता है। इसके लिए पानी में 5-7 बूँद युकलिप्टुस आयल /eucalyptus oil की डालें। इसमें संक्रमण को रोकने और इन्फ्लेमेशन को कम करने का गुण होता है |
8. तेल की मालिश
सर्दी के दिनों में विशेषकर यह ज्यादा जरूरी हो जाता है। सर्दी के दिनों में तिल के तेल से रात को छाती और गले की मालिश करें।अन्य मौसम में सरसों की तेल से मालिश करें । सरसों तेल में लहसुन पकाकर भी मालिश की जा सकती है | इससे सीने के दर्द में आराम मिलता है तथा बलगम पिघलता है |
निमोनिया को जल्दी ठीक करने के लिए लिया जाने वाला आहार
1 . औषधीय पत्तियों की चाय
जितना आवश्यक ऊपर बताई गयी चाय है उतना ही आवश्यक इन पत्तियों की चाय है। दूध वाली चाय के जगह करी पत्ता , अमरूद के पत्ते , तुलसी पत्ते या पुदीना के पत्तों की चाय लें | इनमें से किसी भी एक पत्ते का चुनाव करें और 5 मिनट उबालकर पिएं | पत्तियों को एक साथ मिलाकर चाय नहीं बनाये | इन सभी प्रकार की पत्तियों में संक्रमण और इन्फ्लेमेशन को ठीक करने की क्षमता है | इनमें एंटीवायरल ,एंटीबैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण पाए जाते हैं | इन पत्तियों की चाय का प्रयोग बचाव के लिए भी किया जा सकता है | इनका सेवन प्रतिदिन भी किया जाये तब भी इनका कोई नुकसान नहीं |
2 . फलों का सेवन
निमोनिया में शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। नारियल पानी का सेवन निमोनिया में फायदेमंद होता है | इसमें संक्रमण को ठीक करने के गुण होते हैं | इसके अतिरिक्त जो भी मौसमी फल मिलें उनका सेवन ज्यादा से ज्यादा करें | इन सभी फलों में कुदरती तौर पर संक्रमण ठीक करने के गुण होते हैं | इनसे पोषक तत्वों की भी पूर्ति हो जाती है | शरीर में लिक्विड की कमी फल खाकर पूरा करें | केवल केले का सेवन नहीं करें क्योंकि यह कफवर्धक होता है |
3 . अमरूद का सेवन
अमरूद को अलग से बताने का कारण यह है कि यह एक औषधि की तरह कार्य करता है | यह विटामिन C का बढ़िया श्रोत है | निमोनिया की स्थिति में इसे बारीक़ टुकड़ों में काटकर भूने। भूनने के लिए तेल या घी का प्रयोग नहीं करना है | जब यह अच्छे से भून जाये तब इसमें कूटा हुआ काली मिर्च डालकर खाएं। यह एक एक्सपेक्टोरेन्ट की तरह कार्य करता है | जमे हुए बलगम को बाहर निकालता है तथा संक्रमण ठीक करता है | फलों का सेवन सूर्यास्त से पहले तक ही करना चाहिए |
4 सूखे मेवे का सेवन / Dry fruits
अंजीर ,छुहारा और किशमिश यह तीन ऐसे ड्राई फ्रूट हैं जो फेफड़ों को स्वस्थ रखने में सक्षम हैं | किशमिश हर तरह के संक्रमण को ठीक कर बुखार भी ठीक करता है | अंजीर और छुहारे को भिंगोकर शहद के साथ खाएं ,इससे म्यूकस झिल्ली नम होती है ,खांसी में आराम मिलता है तथा बलगम आराम से बाहर निकल जाता है | अंजीर को अस्थमा और टी बी के रोगी के लिए भी अच्छा बताया जाता है |
परहेज़ करें
- दूध और दूध से बनी चीज़ों का सेवन बंद कर दें | हल्दी वाला दूध भी नहीं लें | यह इंफ्लामेशन को बढ़ाता है तथा यह कफवर्धक होता है |
- तेल ,मसाला ,चीनी मैदा इनका भी सेवन बंद करें |
- ठंढी चीज़ें और बासी भोजन नहीं करें |
नोट : ऊपर बताई गयी औषधीय चीज़ों का सेवन तब करें जब निमोनिया के लक्षण या सर्दी खांसी हो | बचाव के लिए फल ,सूखे मेवे और पत्तियों की चाय लें | डॉक्टर की सलाह से ही दवाइयां लें | दवाइयों के साथ भी घरेलु उपचार और फलों का सेवन करें |
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