![गिलोय के फायदे](https://i0.wp.com/healthysansaar.in/wp-content/uploads/2020/10/IMG_20201006_071148_3-1.jpg?resize=360%2C422&ssl=1)
गिलोय क्या होता है ? What is Giloy in Hindi ?
भारत के विभिन्न प्रांतों में पाया जाने वाला गिलोय एक आयुर्वेदिक औषधीय बेल है | इसकी पत्तियां ह्रदय के आकर की होती है। यह पान के पत्ते की तरह दिखता है। इसकी बेल बहुत तेज़ी से वृद्धि करती है। वृद्धि के लिए यह दूसरे वृक्षों को अपना आधार बनाती है। यह बेल जिन वृक्षों पर चढ़ती है उन वृक्षों का गुण इस लता में आ जाता है | यह नीम ,सहजन, आम सभी वृक्षों पर चढ़ जाती है। नीम पर चढ़ी गिलोय को नीम गिलोय के नाम से जाना जाता है ,यह सर्वोत्तम माना जाता है | गिलोय के फायदे लेने हैं तो इसके पत्ते और डंठल का प्रयोग करना ज्यादा अच्छा होता है। इसके तने के टुकड़े को काटकर मिट्टी में लगा दिया जाये तो उसमें से नई बेल निकल आती है। इसे नमी वाली जगह पसंद है | इस लेख में हम गिलोय के फायदे और सेवन का तरीका जानेंगे।
गिलोय का वैज्ञानिक नाम Tinospora cordifolia है। इसे गुडुची , अमृता ,चक्रांगी ,कुंडलिनी ,गुलबेल इत्यादि नामों से भी जाना जाता है | यह बहुत पुरानी औषधि मानी जाती है। आयुर्वेद के जनक आचार्य चरक के अनुसार गुडुची वात दोष हरने वाली ,त्रिदोष मिटाने वाली ,खून को साफ़ करने वाली ,रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली ,ज्वर को ख़त्म करने वाली ,खांसी मिटाने वाली औषधि है | गुडुची की डंठल का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है |
गिलोय में पाए जाने वाले पोषक तत्व /Nutritional Value of Giloy
गिलोय के फायदे ताज़ा पत्ते और सूखे पत्ते दोनों प्रकार के पत्तों से प्राप्त किया जा सकता है। दोनों प्रकार के पत्तियों में पोषक तत्वों की मात्रा में अंतर का कारण है, सूखी पत्तियों में नमी की कमी। 100 ग्राम सूखी पत्तियों में पत्तियों की संख्या ज्यादा होती हैं।
गिलोय की पत्तियां 100 ग्राम
पोषक तत्व | ताज़ी पत्तियां ( 100 gm ) | सुखी पत्तियां (100 gm ) |
कार्बोहायड्रेट | 3.34 gm | 7.53 gm |
प्रोटीन | 2.30 gm | 5.23 gm |
फैट | 0.36 gm | 1.05 gm |
फाइबर | 11.32 gm | 52.3 gm |
आयरन | 5.87 mg | 22.55 mg |
कैल्शियम | 85.2 mg | 210 mg |
विटामिन C | 0.56 mg | 16 mg |
बीटा कैरोटीन | 303.7 mcg | 428.5 mcg |
एनर्जी | 88.64 kcal | 240 kcal |
गिलोय में कॉपर ,फ़ास्फ़रोस ,जिंक और मैंगनीज भी होते हैं | इसमें गिलोइन नामक ग्लूकोसाइड और टिनोस्पोरिन ,पामेरिन एवं टिनोस्पोरिक एसिड पाया जाता है | इसमें गिलोस्टेरोल तथा बर्बेरिन नामक एल्कलॉइड भी मौजूद हैं | एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर गुडुची एंटी वायरल ,एंटी बैक्टीरियल ,एंटी इंफ्लेमेटरी ,एंटी कैंसर ,एंटी पाइरेटिक गुणों को दर्शाता है |
गिलोय के फायदे /Giloy ke fayde / Giloy benefits in Hindi
1. गिलोय के फायदे इम्युनिटी बढ़ाने में
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में गुडुची /गिलोय का महत्वपूर्ण योगदान है | इसमें मौजूद पोषक तत्व
- आयरन की कमी दूर करते हैं। लाल रक्त कणो की संख्या बढ़ाते हैं
- प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाते हैं
- Wbc की संख्या मेन्टेन करके रखते हैं
इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट के कारण –
- फ्री रेडिकल्स से शरीर का बचाव होता है
- किडनी से टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं
- लिवर की भी टॉक्सिसिटी कम हो जाती है
इसमें मौजूद एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुणों के कारण संक्रमण से शरीर का बचाव होता है | यह शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाकर बैक्टीरियल और वायरल दोनों इन्फेक्शन को ख़त्म करते हैं |
2. गिलोय के फायदे डायबिटीज में
जिन व्यक्तियों को टाइप – 2 डायबिटीज की समस्या हो ,उन्हें इसका सेवन करना चाहिए | इसमें हाइपो ग्लाइसेमिक एजेंट मौजूद है ,जो रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद करते हैं | यह इन्सुलिन के श्राव को बढ़ाकर इन्सुलिन रेसिस्टेन्स को कम करता है। जब शरीर की कोशिकाएं ग्लूकोज को अब्सॉर्ब नहीं करती तो रक्त में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है | ये समस्या उनमें आती हैं जिनमें इन्सुलिन रेसिस्टेन्स हाई होता है। पैंक्रियास /अग्न्याशय उचित मात्रा में इन्सुलिन का श्राव नहीं कर पाता तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसमें गुडुची का सेवन फायदेमंद देखा गया है |
3. गिलोय के फायदे बुखार में
गुडुची में एंटी पाइरेटिक गुण होते हैं | यह हर तरह के बुखार को ठीक करने की क्षमता रखता है | क्रोनिक फीवर को भी इसके सेवन से ठीक किया जा सकता है | यह रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाकर इम्युनिटी बढ़ाता है | एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल होने के कारण यह संक्रमण को ख़त्म करता है ,जिससे इसका एंटी पायरेटिक गुण प्रभावी रूप से बुखार को समाप्त करने में सक्षम हो पाता है |
4. पाचन को बेहतर बनाने में फायदेमंद
गिलोय का जूस और इसका काढ़ा पेट की बीमारियों को दूर रखता है | गिलोय के फायदे अपच ,कब्ज़ और एसिडिटी की परेशानी को दूर करने में भी है | इसके लिए इसके चूर्ण को गरम पानी के साथ लिया जाता है | यह स्ट्रेस को कम करता है ,इससे भी पाचन शक्ति मजबूत होती है |
5. अस्थमा में भी फायदेमंद
गुडुची में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं | इस तरह यह खांसी और अस्थमा दोनों में लाभदायक सिद्ध होता है | श्वसन सम्बन्धी समस्या में गिलोय के फायदे तब ज्यादा होंगे जब गिलोय चूर्ण में मुलैठी चूर्ण और शहद मिलाकर लें ,इससे आराम मिलता है | यह फेफड़े को ताकत देता है तथा स्वस्थ रखता है | गुडुची कफ़ नाशक माना जाता है |
6. गिलोय के फायदे लिवर क्लींज़िंग में
गुडुची में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स और पोषक तत्व के कारण यह लिवर के लिए एक अच्छा क्लीन्ज़र का कार्य करता है | इसके लिए इसका काढ़ा धनिया और काली मिर्च के साथ बनाया जाता है |
7. गिलोय के फायदे वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण में
गिलोय में एंटीवायरल और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं | यह संक्रमण के शुरुआती लक्षण को ख़त्म करता है और संक्रमण को फैलने से रोकता है | यह मितली की समस्या ,गले में कफ़ का महसूस होना ,खांसी इत्यादि को शुरुआत में ही ठीक कर देता है |
8. एनीमिया में फायदेमंद
गुडुची में आयरन की मात्रा अच्छी पायी जाती है | आयरन की मात्रा इसके चूर्ण में ज्यादा होती है | इसमें मौजूद कॉपर और विटामिन C के कारण यह हिमोग्लोबिन को बढ़ाने में मदद करता है। कॉपर के कारण आयरन शरीर के द्वारा अच्छी तरह अब्सॉर्ब कर लिया जाता है | आयरन की कमी पूरी होने से हीमोग्लोबिन का लेवल सही हो जाता है जिससे एनीमिया रोग ख़त्म हो जाता है। एनीमिया में गिलोय के फायदे प्राप्त करना हो तो एक दिन में दो बार इसके चूर्ण का सेवन करना चाहिए | यह कम्पलीट ब्लड काउंट रिपोर्ट में सकारात्मक परिवर्तन दिखाता है। डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स की वृद्धि के लिए गिलोय के फायदे अद्भुत हैं।
9. गिलोय के फायदे वात रोगों में
आचार्य चरक ने गिलोय को वात ,पित्त और कफ़ तीनों दोषों में फायदेमंद बताया है। वात दोष में 80 प्रकार के रोग शामिल हैं। जिनमें से कुछ हैं – गठिया ,साइटिका ,मुंह का सूखना ,आँखों से संबंधित समस्याएं ,हाथ पैरो में दर्द रहना ,गैस बनना और ऊपर की तरफ आना इत्यादि | इन सब में इसके चूर्ण को गाय के घी के साथ लाभदायक बताया जाता है | गुडुची में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं ,इस कारण यह शरीर में सूजन को कम करता है।
10. यौन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक
इसमें मौजूद प्लांट कंपाउंड्स और अन्य पोषक तत्व के कारण गिलोय के फायदे पुरुषों और महिलाओं दोनों के यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में है | यह खून की कमी को दूर कर ,खून का संचार हर अंगों तक करने में मदद करता है। इसके सेवन से स्टैमिना बढ़ती है तथा इसमें मौजूद प्लांट कंपाउंड्स काम उत्तेजना को बढ़ाते हैं |
11. गिलोय के फायदे मस्तिष्क के लिए
गिलोय को अडाप्टोजनिक जड़ी बूटी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह स्ट्रेस रिलीफ का कार्य करता है। यह याददाश्त तेज़ करने के साथ साथ कॉन्सेंट्रेशन और फोकस को बढ़ाने में भी सहायता करता है | इसके लिए giloy के जूस को टॉनिक की तरह प्रयोग किया जाता है |
12. गुडुची के फायदे हाथीपांव /फ़ाइलेरिया में
फ़ाइलेरिया में हाथ और पांव में सूजन हो जाता है। फ़ाइलेरिया के कीड़े परजीवी होते हैं | यह मच्छरों के द्वारा एक जगह से दूसरे जगह पहुँच जाते हैं। इस समस्या में giloy का सेवन फायदेमंद होता है। इसके लिए आचार्य द्वारा बताये गए नियमानुसार गुडुची का सेवन करना चाहिए।
13. त्वचा के लिए फायदेमंद
गिलोय में एंटी एजिंग गुण पाए जाते हैं। इसके सेवन से झुर्रियां और फाइन लाइन्स में कमी आती है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालता है ,जिससे कील मुहांसे ठीक होते हैं | इसमें मौजूद पोषक तत्व स्किन की इलास्टिसिटी को मेन्टेन करके रखते हैं | गुडुची वात ,पित्त और कफ़ तीनो दोषों को दूर करता है ,इसलिए भी यह त्वचा के लिए लाभदायक साबित होता है |
गिलोय का सेवन कैसे करना चाहिए /How to use Giloy
गिलोय को वात ,पित्त और कफ़ तीनो दोषों को दूर करने में सक्षम बताया गया है | यही कारण है कि गिलोय के फायदे हर प्रकार के रोगों में बताया जाता है। इसके गुण जितने हैं ,उतना ज्ञान अभी तक लोगों को नहीं हो पाया है। इसने अपना नाम अमृता को सार्थक किया है | हर प्रकार के वायरल फीवर और वायरल इन्फेक्शन को यह ठीक करता है | इसके लिए तीनो दोषों में giloy को लेने का तरीका अलग- अलग है |
गिलोय के फायदे वात दोष में कैसे लें
वात दोष के कारण होने वाली समस्याएं जैसे गठिया ,साइटिका ,शरीर में दर्द रहना ,अत्यधिक रूखापन,मुंह का सूखना ,आँखों में दर्द रहना ,पेट में ऐठन, स्वाद और गंध का पता न चलना इत्यादि | इसमें गुडुची के चूर्ण का सेवन गाय के घी या अरण्ड के तेल के साथ किया जाता है |
पित्त दोष में गिलोय का सेवन कैसे करें
शरीर में गर्मी का बढ़ जाना ,अधिक पसीना आना ,नकसीर की समस्या ,शरीर का रंग पीला पड़ना ,फोड़े फुंसी होना ,हाथ पाव में जलन , आँखों का लाल होना ये सब पित्त दोष के कारण होने वाली समस्याएं हैं | पित्त दोष में इसका जूस पीना चाहिए और इसके चूर्ण का सेवन शक्कर अर्थात खाण्ड के साथ करना चाहिए |
कफ़ दोष में गिलोय के फायदे कैसे लें
शरीर में सूजन ,खांसी ,जुकाम ,बलगम का ज्यादा बनना ,साँस की तकलीफ़ इत्यादि कफ़ दोष के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याएं हैं | इसके लिए giloy को शहद के साथ लिया जाना चाहिए |
गुडुची /गिलोय के सेवन की मात्रा
यदि गुडुची /giloy के चूर्ण का सेवन कर रहे हैं तो एक दिन में एक ग्राम से कम ही इसकी मात्रा रखनी चाहिए |
यदि इसका जूस ले रहे हैं तो 10 -15 ml एक दिन में लेना चाहिए | यह एक औषधि है इसलिए इसे बिना कारण नहीं लिया जाना चाहिए | एक महीने तक लगातार सेवन कर लिया हो तो आवश्यक है कि इसे लेना बंद करें। गिलोय की तासीर ठंडी होती है | इसके बावजूद गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाने वाली माताओं को इसके सेवन से दूर रहना चाहिए। कभी आवश्यकता हुई इसे लेने कि तो आयुर्वेद आचार्य से सलाह कर के लें।
उम्मीद है कि आप लोगों ने भी इसका फायदा उठाया होगा | आप अपना अनुभव हमें बताएं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसे जान सकें और वो भी इसका लाभ उठाए | आपके द्वारा बताये गए अनुभव दूसरों तक इस लेख के द्वारा पहुँचेगा |
कैसा रहा आपका अनुभव ?
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