इन्सुलिन रेसिस्टेन्स

इन्सुलिन प्रतिरोध क्या है ?What is Insulin Resistance 

इन्सुलिन एक प्रकार का हार्मोन है। यह अग्न्याशय के बीटा कोशिकाओं के द्वारा निर्मित होता है | सामान्य शब्दों में कहा जाये तो अग्न्याशय इन्सुलिन हार्मोन का निर्माण करता है | इन्सुलिन कोशिकाओं को ग्लूकोज के अवशोषण में मदद करता है | हमारी कोशिकाएं इन्सुलिन की उपस्थिति में ही ग्लूकोज को अवशोषित करने में सक्षम हो पाती हैं | इन्सुलिन रेसिस्टेन्स या इन्सुलिन प्रतिरोध एक ऐसी स्थिति है जिसमें मांसपेशियों , फैट और लिवर में मौजूद कोशिकाएं इन्सुलिन के प्रति सही तरीके से प्रतिक्रिया नहीं देती | जिससे रक्त में ग्लूकोज का लेवल बढ़ने लगता है | इन्सुलिन के प्रति संवेदनशीलता का कम होना इन्सुलिन प्रतिरोध कहलाता है | 

रक्त में बढ़ा हुआ ग्लूकोज का स्तर अधिक इन्सुलिन उत्पादन के लिए अग्न्याशय में बीटा कोशिकाओं को ट्रिगर करता है | जिससे अधिक इन्सुलिन का उत्पादन होता है और इन्सुलिन का स्तर बढ़ जाता है | यदि रक्त में ग्लूकोज का स्तर सामान्य से अधिक हो जाये लेकिन इतना अधिक नहीं कि डायबिटीज का संकेत मिले तो डॉक्टर इसे प्री डायबिटीज के तौर पर मानते हैं | 

इन्सुलिन रेसिस्टेन्स / प्रतिरोध का निदान , Diagnosis of Insulin Resistance in Hindi 

इन्सुलिन रेसिस्टेन्स की पहचान के लिए कई तरह के टेस्ट किये जाते हैं। 

  •   A1C Test – इससे तीन महीने के औषत ब्लड शुगर नापते हैं।
  •  Fasting blood glucose test – 8 घंटे की फास्टिंग के बाद रक्त में ग्लूकोज का लेवल चेक किया जाता है। 
  • Random glucose test – इसमें दिन में किसी भी समय रक्त में ग्लूकोज के स्तर की जाँच की जाती है | 
  • C-peptide test – फास्टिंग में ब्लड का सैंपल लेकर c-peptide टेस्ट किया जाता है। c-peptide इन्सुलिन के साथ ही रिलीज़ होता है। इससे रक्त में इन्सुलिन का लेवल भी पता चलता है। इससे डॉक्टर टाइप – 1 और टाइप – 2 डायबिटीज का पता लगाते हैं | इन्सुलिन रेसिस्टेन्स का भी पता इससे लगाया जा सकता है |  c -peptide का नार्मल रेंज –    0. 51 –  2. 72 ng /ml 
  • Homeostatic model assessment of Insulin Resistance /HOMA -IR 

इसमें फास्टिंग इन्सुलिन लेवल और फास्टिंग ग्लूकोज लेवल का टेस्ट किया जाता है | इसे एक फार्मूला के द्वारा निकाला जाता है | 

Insulin Resistance = Fasting glucose x  Fasting insulin /405 

No Insulin Resistance –               < 1 (less than 1)

Insulin Resistance Moderate –    > 1.9 (more than 1.9)

Insulin Resistance Severe   –      > 2.9 (more than 2.9)

 उदाहरण से समझते हैं – 

पेशेंट A 

फास्टिंग ग्लूकोज : 90 mg /dl 

फास्टिंग इन्सुलिन : 4 mcIU /ml 

Insulin Resistance = 90 x 4 /405 = 0.88 

पेशेंट B 

फास्टिंग ग्लूकोज : 82 mg / dl 

फास्टिंग इन्सुलिन : 14 mcIU /ml 

Insulin Resistance = 80 x 14 /405 = 2.83 

हमने देखा कि पेशेंट A के रक्त में ग्लूकोज का स्तर ज्यादा है ,पर इन्सुलिन का स्तर कम होने के कारण उसका इन्सुलिन रेसिस्टेन्स कम है जबकि पेशेंट B में  कम ग्लूकोज स्तर होने के बावजूद इन्सुलिन का स्तर ज्यादा होने के कारण इन्सुलिन प्रतिरोध ज्यादा है। ग्लूकोज का स्तर कम होने के बावजूद भी पेशेंट B में डायबिटीज का जोखिम ज्यादा है | 

इस मेथड से व्यक्ति खुद भी अपना इन्सुलिन प्रतिरोध जाँच सकता है। इसके लिए उसे फास्टिंग ग्लूकोज और फास्टिंग इन्सुलिन की जांच करवानी होगी | 

Insulin level = 2.6 –  25 mcIU /ml 

यदि इन्सुलिन का लेवल 2.6 से कम आता है तो यह टाइप – 1 डायबिटीज दर्शाता है | 

इन्सुलिन रेसिस्टेन्स /प्रतिरोध  के लक्षण –

वजन बढ़ना 

यदि आप का वजन बढ़ रहा है तो यह इन्सुलिन प्रतिरोध की ओर संकेत करता है | पुरुषों में उनके कमर की नाप 40 इंच या उससे अधिक हो जाये और महिलाओं में उनके कमर की नाप 35 इंच या उससे अधिक हो जाये तो इन्सुलिन प्रतिरोध की जाँच करवाए | इन्सुलिन प्रतिरोध के बढ़ने से टाइप – 2 डायबिटीज की सम्भावना होती है | 

थकान 

यदि मेटाबोलिज्म प्रभावित हो चुका है तो सही भोजन लेने के  बावजूद थकान महसूस होगी। यह भी इन्सुलिन प्रतिरोध की ओर संकेत करता है | 

ब्लड प्रेशर रीडिंग 

यदि ब्लड प्रेशर की रीडिंग 130/85 से ऊपर आ रहा है तो यह भी इन्सुलिन रेसिस्टेन्स के प्रति संकेत दे रहा है |

ट्राइग्लिसराइड लेवल

फास्टिंग ट्राइग्लिसराइड का लेवल 150 mg /dl से ज्यादा आना भी इन्सुलिन प्रतिरोध की ओर संकेत करता है | 

फास्टिंग ग्लूकोज लेवल 

फास्टिंग ग्लूकोज का लेवल 100 mg /dl से ऊपर हो तो यह इन्सुलिन रेसिस्टेन्स का लक्षण है | 

HDL का लेवल 

इन्सुलिन प्रतिरोध की समस्या तब भी संभव है जब गुड कोलेस्ट्रॉल HDL का लेवल पुरुषों में 40 mg /dl और महिलाओं में 50 mg /dl से कम हो | 

बार – बार पेशाब आना 

यदि रक्त में ग्लूकोज का स्तर सामान्य है फिर भी प्यास बहुत लग रही है और बार बार पेशाब जाना पड़ रहा है तो यह इन्सुलिन प्रतिरोध के बढ़ने का लक्षण दिखा रहा है | 

त्वचा का काला पड़ना 

यदि गर्दन ,अंडर आर्म या आर्मपिट और कमर के चारो ओर काले रंग के पैच है तो यह इन्सुलिन प्रतिरोध के कारण है | 

बाल झड़ना और मुहांसे होना 

यदि सामान्य से ज्यादा बाल झड़ रहे हैं और मुहांसो की समस्या हो रही है तो यह भी इन्सुलिन रेसिस्टेन्स का एक लक्षण है | 

इन्सुलिन प्रतिरोध का कारण / इन्सुलिन रेसिस्टेंस का कारण 

अधिक कैलोरीज़ का सेवन 

अधिक मात्रा में कैलोरीज लेने से और शरीर में बॉडी फैट की अधिकता के कारण रक्त में फ्री फैटी एसिड की मात्रा अधिक हो जाती है। रक्त में फ्री फैटी एसिड की अधिकता के कारण कोशिकाएं इन्सुलिन के प्रति सही तरीके से प्रतिक्रिया देना बंद कर देती है | ऐसा ओवर इटिंग अर्थात आवश्यकता से अधिक खाने के कारण होता है | 

मोटापा 

पेट और आस पास के अंगों में जमनेवाली चर्बी की वजह से भी ब्लड में फ्री फैटी एसिड और इंफ्लेमेटरी हार्मोन रिलीज़ होने लगते हैं | जिसकी वजह से इन्सुलिन प्रतिरोध की समस्या होती है | 

स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं 

यदि फैटी लिवर है या पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) है तो इन्सुलिन प्रतिरोध का खतरा रहता है | यह भी कह सकते है कि यदि इन्सुलिन रेसिस्टेन्स है तो PCOS और फैटी लिवर होने की सम्भावना होती है | यह समस्या एक दूसरे का कारण बनते हैं | 

आनुवंशिक 

यदि परिवार में किसी को डायबिटीज की समस्या हो तो इन्सुलिन प्रतिरोध की समस्या होती है। जो आगे चलकर डायबिटीज में बदल जाता है | 

असक्रिय जीवन शैली 

किसी भी प्रकार की फिजिकल एक्टिविटी नहीं करना अर्थात किसी भी तरह से कैलोरी नहीं जलाना , इन्सुलिन रेसिस्टेन्स की समस्या उत्पन्न करता है | 

इन्फ्लामेशन 

यदि शरीर में किसी भी प्रकार का इंफ्लामेशन हो और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ा हुआ हो अर्थात फ्री रेडिकल्स की संख्या ज्यादा हो गयी हो तो इन्सुलिन प्रतिरोध की सम्भावना पूरी होती है | 

उम्र सम्बन्धी कारक 

उम्र बढ़ने के साथ साथ इन्सुलिन प्रतिरोध का बढ़ना सामान्य है | 

मीठे का सेवन 

यदि ज्यादा चीनी का सेवन किया जाये तो भी इन्सुलिन प्रतिरोध बढ़ता है। यदि यही फ्रुक्टोज़ फलों से प्राप्त हो तो यह समस्या नहीं होती | 

नींद की कमी 

यदि नींद पूरी नहीं करते हैं और ऐसा लम्बे समय तक चलता रहता है तो इन्सुलिन प्रतिरोध की समस्या उत्पन्न हो जाती है | 

दवाइयों का सेवन 

अल्कोहल ,स्टेरॉइड्स ,अन्य दवाइयाँ  जो HIV तथा अवसाद में दिए जाते हैं वो भी इन्सुलिन प्रतिरोध का कारण बनते हैं |  

आंत से जुडी बैक्टीरिया 

आंत में कुछ ऐसी बैक्टीरिया होती हैं जिनकी बढ़ती या घटती संख्या ,इन्सुलिन रेसिस्टेन्स का कारण बनती हैं | 

इन्सुलिन रेसिस्टेन्स डायबिटीज में कैसे परिवर्तित होता है 

इन्सुलिन रेसिस्टेन्स के कारण रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। रक्त में शुगर की मात्रा सामान्य रखने के लिए अग्न्याशय और ज्यादा इन्सुलिन बनाना शुरू कर देता है। जब तक अग्न्याशय पर्याप्त इन्सुलिन बनाता रहता है तब तक सबकुछ नियंत्रण में रहता है | एक समय अंतराल के बाद अग्न्याशय की क्षमता कम हो जाती है और वह इन्सुलिन की जरुरत पूरी करने में असमर्थ हो जाती है। ऐसे में शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है तथा हम डायबिटीज के रोगी बन जाते हैं | 

इन्सुलिन रेसिस्टेन्स का उपचार 

इन्सुलिन रेसिस्टेन्स को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव करना आवश्यक है। निम्न प्रकार से आप अपना इन्सुलिन प्रतिरोध कम कर सकते हैं। 

व्यायाम 

फिजिकल एक्टिविटी को बढाकर ,नियमित व्यायाम ,योगा और सैर करके इन्सुलिन प्रतिरोध को कम कर सकते हैं | 

पेट की चर्बी कम करें  

व्यायाम तथा खान – पान में बदलाव कर के पेट की चर्बी को कम करना आवश्यक है | पेट की चर्बी कम होने से रक्त में फ्री फैटी एसिड भी कम होगा और इन्सुलिन प्रतिरोध पर इसका सीधा असर होगा |

कैलोरी कम लें 

अपने आहार में कार्बोहायड्रेट कम करें ,चीनी का सेवन बिलकुल कम कर दें | रोटी ,चावल ,दाल ,आलू जैसी चीज़ें जिनसे ग्लूकोज मिलता है , उन्हें कम करें | 

संतुलित आहार लें 

अपने आहार में ड्राई फ्रूट्स ,फल ,सलाद ,हरी सब्जी ,कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले अनाज ,अंडा और मछली शामिल करें | 

ओमेगा -3 फैटी एसिड का सेवन करें 

ओमेगा -3 फैटी एसिड के सेवन से ट्राइग्लिसराइड का लेवल कम होता है | tg कम होने से  इन्सुलिन प्रतिरोध कम होता है | इसके लिए अखरोट ,अंडा और मछली खाएं | 

ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम करें 

शरीर में फ्री रेडिकल्स की संख्या कम करके ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम किया जाता है | इसके लिए एंटी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर ड्राई फ्रूट्स ,फल ,कच्ची हरी सब्जी , हर्बल चाय का सेवन करें | 

पर्याप्त नींद लें 

समय पर सोना तथा समय पर जागना बहुत आवश्यक है | इससे तनाव कम होता है , नींद पूरी होती है ,शरीर में हार्मोन सही तरीके से श्रावित होता है | इससे इन्सुलिन रेसिस्टेन्स  कम करने में बहुत मदद मिलती है | 

डॉक्टर से संपर्क करें 

डॉक्टर को अपनी स्थिति बतायें और उनके द्वारा दिए गए दवाइयों का सेवन करें तथा साथ ही उचित जीवन शैली अपनायें | 

इन्सुलिन प्रतिरोध की जटिलताएँ /Complications of Insulin Resistance 

  • ब्लड में ग्लूकोज का लेवल बहुत ज्यादा हो जाना | 
  • ब्लड में ग्लूकोज का लेवल बहुत कम हो जाना | 
  • हार्ट अटैक 
  • स्ट्रोक 
  • किडनी की समस्या 
  • आँखों की समस्या 
  • कैंसर 
  • अल्जाइमर्स  डिजीज